शुक्रवार, 30 जून 2023

एक व्यापारी की कहानी

 एक व्यापारी की कहानी

      एक व्यापारी था जिसका नाम राजीव था वो अपने राज्य में कारोबार करता था। लेकिन उस
की आमदनी बहुत कम थी इसलिए वो विदेश में जाकर कारोबार करने की इच्छा रखता था। एक दिन उसने अपने परिवार में इस बात को रखा की वो विदेश में जा कर व्यापार करना चाहता हैं लेकिन घर वालो ने उसकी शादी की उम्र का हवाला देकर पहले शादी करने को  कहा। तब कुछ समय बाद उसकी शादी होगई। अब उसकी पत्नी भी उसके घर उसके साथ रहने लगी। 

      तब एक दिन उसने अपने मन की बात अपनी पत्नी से साझा किया। पत्नी ने कहा की वह उनके साथ  हैं। इसलिए वो व्यापार के लिए खुशी खुशी जा सकता हैं। यह बात सुनकर राजीव बहुत खुश हो गया ।और शादी के कुछ वर्ष  बाद वो विदेश में जाकर व्यापार करने लगा ।और कुछ ही समय में बहुत पैसा कमाया। इस बीच में वो घर पर चिट्ठी लिखा करता था और पैसे भिजवाता रहता था ।इस प्रकार से आने वाले कुछ वर्षो में  उसने बहुत पैसा कमा लिया था।अब उसको लगा की उसे अब वापस अपने देश लौटना चाहिए। और उसने अपना कारोबार समेट कर वापस जहाज का टिकट खरीद लिया और अपने देश की और बढ़ चला।।
          जिस जहाज में वो यात्रा कर रहा था । उसमे बहुत से लोग सफर कर रहे थे। तभी उसकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो जहाज के एक हिस्से में अकेला उदास बैठा हुआ था। राजीव से रूका नहीं गया और वो इस व्यक्ति के पास जाकर बैठ गया और बाते करना शुरू कर दिया । तभी राजीव ने इस व्यक्ति से उसकी उदासी का कारण पूछा तो पता चला की उसके पास बहुत अच्छे अच्छे विचारो के फॉर्मूला हैं लेकिन उन फॉर्मूला का उसे विदेश में कोई खरीददार नही मिला इसलिए वो उदास व निराश हैं। यह बात सुनकर राजीव ने कहा की वो अपना फॉर्मूला उसे बताए वो उसका मुंह मांगी अशर्फियां देगा।यह बात सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसने राजीव  को एक बात बताई की वो कभी भी कोई कार्य करे तो 2 मिनट का धैर्य रखे और सोच कर फिर उस कार्य करे तो उसका बहुत बड़ा फायदा होगा।
        राजीव ने उसे 500 अशर्फियां दे दी और दोनो बाते करते करते अगले कुछ दिनों मे अपने देश पहुंच गए।और अपने अपने घर पहुंच गए। राजीव सुबह सुबह अपने घर पहुंचा तो देखा की सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी पर थे वो राजीव को देख कर बहुत खुश हुए। राजीव हेलो हाय करके घर में दाखिल हुआ और सीधा अपने कमरे में गया ।तभी देखता है की उसकी पत्नी के बगल में एक हटा कटा जवान लड़का सोया हुआ था। अपनी पत्नी के बिस्तर पर किसी और को पाकर वह बहुत क्रोधित हो गया और तुरंत दीवार पर लगी तलवार उठा ली ।तभी उसने बिस्तर पर उसकी पत्नी को हिलता हुआ देख कर तलवार को पीछे छिपा लिया ।लेकिन तलवार पीछे रखे एक बर्तन से टकराने के कारण वो बर्तन नीचे गिर गया और उसकी पत्नी राजीव को देखकर बहुत खुश हों गई। और जल्दी से सोए हुए व्यक्ति को कहा की बेटा जल्दी खड़े हो और अपने पिता के पांव छुओ। यह सुनकर राजीव के पैरों से जमीन खिसक गई। और उसका जहाज में मिले व्यक्ति की कही बात याद आई। की धैर्य से 2 मिनट सोचकर कार्य करने से उसका फायदा होंगा और आज उसने अपने ही बेटे की गरदन काटने से अपने आपको रोक लिया।

शिक्षा.... जोश में हमेशा विवेक काम करना बंद कर देता हैं इसलिए कुछ भी करने से पहले 2 मिनट रुक जान चाहिए और पुन मनन करके कार्य करने से हमेशा फायदा ही होगा। और आप नुकसान से बच जाओगे।

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गुरुवार, 29 जून 2023

मुंशी प्रेमचंद की टॉप 3 कहानियाँ

 

"गोदान" मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 

मुंशी प्रेमचंद

 "गोदान" मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है जो ग्रामीण भारतीय समाज की समस्याओं और मानवीय दया को व्यापक रूप से व्यक्त करती है। 

    यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव "जगदीशपुर" में स्थित है। कहानी का मुख्य पात्र, धनपत राय, एक गरीब किसान हैं जो अपने परिवार के साथ असंतोष और गरीबी में जीने के चलते अपार्श्रम करते हैं। धनपत राय की पत्नी, तरावती, संघर्ष और दुःखों से भरी ज़िन्दगी जीती हैं। उनके पास दो बेटे हैं, बिरजू और गोपाल, जो अपने परिवार के साथ गरीबी और असहायता का सामना करते हैं। धनपत राय के लिए सपना होता है कि वह अपने परिवार को सुखी और समृद्ध बनाए रख सके। इसलिए, उन्हें गोदान करने की इच्छा होती है, जिसका मतलब होता है एक गाय की दान करना। धनपत राय गाय लेने के लिए जमीनी मालिक, सेठ ग़ोपीनाथ से ऋण लेते हैं। यह ऋण धनपत राय के जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। 

       कहानी में धनपत राय के परिवार के सदस्यों का सम्पूर्ण जीवन दिखाया गया है। वह अपनी खेती में आर्थिक समस्याओं का सामना करते हैं, समाजी और आध्यात्मिक मामलों से जूझते हैं, और संघर्षों और दुःखों का सामना करते हैं। इसके साथ ही, कहानी में धनपत राय का संघर्ष दिखाया गया है जब वह अपने उधारी राशि को चुक्ता करने की कोशिश करते हैं। "गोदान" में कई महत्वपूर्ण पात्र शामिल होते हैं, जैसे कि सेठ ग़ोपीनाथ, भगवान नागिया, चन्द्रकांत और अन्नपूर्णा आदि। इन पात्रों के माध्यम से, कहानी में समाज के विभिन्न पहलुओं और दशाओं को दर्शाया जाता है, जिनमें समाजिक विभाजन, जाति प्रथा, धर्म, स्वार्थपरता, और सामाजिक न्याय के मुद्दे शामिल हैं। कहानी की गतिविधियों के बीच, धनपत राय गोदान के सपने की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन उसके दौरान उन्हें न्याय, स्वार्थपरता और दया के मुद्दों का सामना करना पड़ता है। अंत में, कहानी अपूर्ण रूप से समाप्त होती है जब धनपत राय को अपने सपने को पूरा नहीं कर पाने का अहसास होता है और उसे यह समझना पड़ता है कि जीवन में संघर्ष और न्याय कभी-कभी असम्भवता को जन्म देते हैं। 

           "गोदान" में मुंशी प्रेमचंद ने ग्रामीण भारतीय समाज के संघर्षों, असामाजिकता, दया, और न्याय की महत्त्वपूर्णता को प्रकट किया है। उन्होंने साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज की अन्यायपूर्ण परंपराओं और सामाजिक अंतरविरोधों का वर्णन किया है और लोगों को समाज के बदलाव की जरूरत को समझाने का प्रयास किया है।


     "गबन" मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। यह कहानी उत्तर प्रदेश के छोटे गांव में बसी हुई है और समाज की सभ्यता, जातिवाद, और धन के मामले पर चिंता करती है।

        गबन कथा का मुख्य पात्र है, जो एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता है। उसकी पत्नी, गुड़िया, एक निष्ठावान और प्यारी पत्नी है, लेकिन गबन धन की लालसा के चलते असंतुष्ट रहता है। वह संघर्ष करता है और चोरी करके एक उद्योगपति के पास दौड़ता है ताकि उसे धन की प्राप्ति हो सके। गबन चोरी करके एक बड़ी राशि लेता है, जिसे वह अपनी ऊँची जीवनशैली में खर्च करने की आशा करता है।

      गबन को चोरी के कार्य में कई संकटों का सामना करना पड़ता है। वह चोरी की गई धनराशि को छिपाने और लौटाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है, जबकि उसकी चोरी की खुद को छिपाने की कोशिश करनी पड़ती है। उसे भय और समाज में अपमान की आशंका भी होती है। अपनी नाकामी और अपने परिवार की नाशपाति का आभास करते हुए, गबन धीरे-धीरे समझता है कि धन की लालसा सभी को व्याप्त कर सकती है और संघर्ष और न्याय अपार्थ्य को जन्म दे सकते हैं।

      "गबन" कथा में मुंशी प्रेमचंद ने सामाजिक न्याय, व्यक्तिगत संघर्ष, और धन के महत्व को उजागर किया है। यह कहानी हमें सिखाती है कि धन की लालसा से भरपूर जीवन खुशियों का जमावड़ा नहीं है और अधिकारिक न्याय और सामाजिक न्याय की आवश्यकता होती है।

 "प्रेमा" एक लघुकथा

ChatGPT"प्रेमा" एक लघुकथा है जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है। यह कहानी प्यार, सम्मान, और साहस के बारे में है।

      प्रेमा एक साधारण स्त्री है जो अपने पति के साथ एक छोटे से गांव में रहती है। उनका पति अत्याचारी होता है और उन्हें धीरे-धीरे परेशान करता है। अपने बाल-बच्चों के लिए सुरक्षित और स्थिरता का संचार करने के लिए प्रेमा को एक उद्यान में लगे एक आम के पेड़ का इंतजार करना पड़ता है।

        प्रेमा जाती है और उसे आम पेड़ में एक लड़का मिलता है, जो उसे एक आम देता है। प्रेमा के अंदर एक अनूठी आग जलती है और वह अपने पति के अत्याचारों से बहार आने के लिए साहस और निर्धारितता का निशान बनाती है।

       पति को आम का गिरा हुआ दिखाने पर, प्रेमा अपनी विजय की घोषणा करती है। यह पति के लिए एक सबक होता है कि उसकी पत्नी का सम्मान और प्यार अनमोल हैं और वह अपने अत्याचारी तथा अश्लीलतापूर्ण व्यवहार को बदलने की आवश्यकता है।

       "प्रेमा" कहानी हमें साहस, प्रेम, और मानवीय सम्मान की महत्वपूर्ण भूमिका सिखाती है। यह हमें यह बताती है कि कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें साहस और स्थिरता की आवश्यकता होती है और प्यार और सम्मान हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं।

 

 

 

जरूरत को समझाने का प्रयास किया है।

मंगलवार, 27 जून 2023

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी/Short story of Peter Rabbit

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी

Short story of Peter Rabbit in Hindi

 पीटर रैबिट एक शरारती छोटा खरगोश था जो अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ एक बिल में रहता था। एक दिन, पीटर ने अपनी माँ की बात नहीं मानी और सब्जियाँ खाने के लिए मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे में चला गया। मिस्टर मैकग्रेगर बहुत क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे, और उन्हें अपने बगीचे में खरगोश पसंद नहीं थे। जब उसने पीटर को देखा, तो उसने कुदाल लेकर पूरे बगीचे में उसका पीछा किया। पतरस बहुत डरा हुआ था, और वह जितनी तेजी से भाग सकता था भागा। आख़िरकार वह पानी के डिब्बे में छिपकर भागने में सफल रहा।
       अपने साहसिक कार्य के बाद पीटर बहुत थका हुआ और भूखा था। उसने घर जाकर अपनी मां को जो कुछ हुआ था, बताने का फैसला किया। जब वह घर पहुँचा तो उसकी माँ उस पर बहुत क्रोधित हुई। उसने उससे कहा कि वह एक शरारती खरगोश है और उसे फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। पतरस को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करेगा।
       
        अगले दिन, पीटर श्री मैकग्रेगर के बगीचे में वापस गया। इस बार, वह अधिक सावधान था. उसने कोई सब्ज़ी नहीं खाई, और उसने कोई शोर नहीं किया। उसने बस चारों ओर देखा और ताजी हवा और धूप का आनंद लिया। कुछ देर बाद उसने घर जाने का फैसला किया. वह खुश था कि उसने अपना सबक सीख लिया था, और उसने अब से एक अच्छा खरगोश बनने के लिए दृढ़ संकल्प कर लिया था।
      पीटर रैबिट की कहानी आज्ञा नही मानना और मुक्ति की एक उत्कृष्ट कहानी है। यह बच्चों को अपने माता-पिता की बात सुनने का महत्व सिखाती है, और यह दर्शाता है कि सबसे शरारती खरगोश भी अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अच्छे बन सकते हैं।

          पीटर रैबिट को इस कहानी में एक जिज्ञासु और साहसी खरगोश के रूप में वर्णित किया गया है। वह हमेशा परेशानी में रहता था, लेकिन वह बहुत चतुर और साधन संपन्न भी था।
         मिस्टर मैकग्रेगर एक क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे जिन्हें खरगोश पसंद नहीं थे। वह हमेशा उन्हें अपने बगीचे से दूर भगाता रहता था।
पीटर रैबिट की माँ एक बुद्धिमान और धैर्यवान खरगोश थी। वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी और वह हमेशा उन्हें सही गलत की सीख देती थी।
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सोमवार, 26 जून 2023

घमंडी राजा की कहानी

 घमंडी राजा की कहानी

घमंडी राजा की कहानी

एकबार एक राजा था । राजा दिखने में बहुत रूपवान और सुदृढ़ था और उसे इस बात का बहुत घमंड था। एकबार राजा दरबार में अपने रूप की प्रशंसा कर रहा था और कह रहा था की वो इतना सुंदर और बलवान हैं की भगवान भी उसके सामने बौने होंगे। तभी वहां से भगवान गुजर रहे थे । उन्होंने राजा की बात सुनी और एक राजा के इस घमंड के भाव से क्रोधित हो गए। भगवान ने उसे श्राफ दिया की उसके सिर पर दो सिंह निकल आए

       अगले दिन जैसे ही राजा सुबह जगा तो उसने देखा की उसके सिर पर 2 सिंग निकले हुए हैं। राजा वापस चादर ओढ़ के सो गाया । राजा ने सिपाई को बुलाया और कहा की शाही नाई को बुलाकर लाए। थोड़े समय के बाद शाही नाई महल में पहुंचा और सीधे राजा के कक्ष में गया । राजा ने सिपाइयो को जाने का आदेश दिया ।राजा ने चादर के अंदर से ही नाई से बात कर रहा था । उसने नाई से कहा की आप मुझे तीन वादे करो की आप को जो में चीज दिखाऊंगा उसपर आप हंसेगा नही । 

       नाई ने कहा की ठीक हैं महाराज में बिल्कुल भी हंसी नहीं करूंगा।दूसरा वादा करो की यह बात किसी और को नही बताओगे।इसके लिए भी नाई ने राजा से कहा की वो किसी को भी नही बताएगा। राजा ने नाई से कहा की जो समस्या में आपको बताऊंगा उसका इलाज भी आपको खोजना हैं। नाई ने हामी भरदी की ठीक हैं महाराज आपके इस आदेश की भी पालना हो जायेगी। उसके बाद राजा ने अपने को चादर से अलग किया और नाई को अपने सर पर उगे 2 सिंग दिखाए। जैसे ही नाई ने देखा वो अपनी हंसी रोक नही पाया। इससे राजा बहुत क्रोधित होगया । लेकिन नाई ने तुरंत राजा से माफी मांगी और कहा की वो शेष दोनो आदेशों की पूरी पालना करेगा। नाई ने राजा के बड़े बालों से दोनो सिंग को छुपा दिया और उसकी अच्छी डिजाइन बना कर राजा को पगड़ी पहना दी जिससे किसी को पता ना चले।और नाई ने राजा से जाने की अनुमति ली और चला गया। नाई महल के बरामदे तक ही पहुंचा था की उसने देखा की एक बड़ा बरगद का पेड़ हैं जिसमे चिड़ियाओं के अपने घोंसले के लिए छोटी छोटी गुफाएं बना रखी थी। नाई से रहा नही गया और उसने बरगत के उन छेड़ो में मुंह दिया और बोला की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" और नाई बोलकर आगे चला गया। 

       एक रात उस बरगद के पेड़ पर बिजली गिरी और पेड़ टूट कर ढेर हो गया। राजा ने आदेश दिए की पेड़ की लकड़ी अच्छी हैं इनसे म्यूजिकल यंत्र बनालो। एक दिन राजा का मन संगीत सुनने का किया तो वाद्य यंत्र मंगवाए और संगीत शुरू करने का आदेश दिया। तो सभी यंत्र गाने लगे की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" इस पर दरबार के बैठे सभी मंत्रीगण हंसने लगे।राजा इससे क्रोधित होकर राजपाट छोड़ दिया और जंगल में जाकर एक कच्ची झोंपड़ी बनाईं और जंगली जानवरों के साथ रहने लगा। जंगल में राजा ने अपने मनोरंजन के लिए बांसुरी बजाना शुरू किया। और धीरे धीरे वो बहुत ही अच्छी बांसुरी बजाने लगे उसकी बांसुरी सुनकर जंगल के सारे जानवर इकठे होने लगे । एक दिन राजा जंगल में तालाब से पानी लाने गया तो राजा ने पानी में अपनी परछाई देखी और अपना चेहरा देख कर राजा रोने लग गया। इसके बाद हमेशा राजा आंख बंद करके पानी भरता और अपना चेहरा नहीं देखता। 

        एक दिन वही भगवान उधर दे गुजर रहे थे तभी उन्हें बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई दी और उन्होंने देखा की इस जंगल में इतनी मधुर बांसुरी कोन बजा रहा हैं। भगवान ने मनुष्य रूप धारण किया और राजा के पास पहुंचे। और राजा से कहा की आप उसी राज्य के राजा हो क्या जिसके राजा सबसे सुंदर थे। इसपर राजा ने भगवान को अपनी पूरी व्यथा की कहानी बताई।और फिर भगवान ने अपना वास्तविक रूप में प्रकट हुए और बताया की उसका घमड़ तोड़ने के लिए ही आपको श्राफ दिया था। राजा ने भगवान से माफी मांगी और भगवान ने उसके सर से दोनो सिंग हटा दिए और उसको उसका रूप और राजपाट वापस लौटा दिया।।
 

शिक्षा - मनुष्य को किसी भी बात पे घमड़ी नही होना चाहिए। क्योंकि घमंड विनाश का रूप होता हैं।

गुरुवार, 8 जून 2023

गरीब लाछा गुर्जरी की कथा /जाट गुर्जर के रिश्तो की मिशाल

      एक गांव में एक गरीब लाछा गुर्जरी रहती थी। उसका परिवार गांव के ऊंट चराने में लगा हुआ था। लाछा गुर्जरी को अपने ऊंटों से बहुत प्यार था और वह उनके लिए हर रोज़ दिनभर मेहनत करती थी। लेकिन धनी और अमीर लोग उसे हमेशा ग़रीब समझते थे और उसके साथ अनदेखी करते थे।

      एक दिन, गांव में एक महापंडित बुलाया गया और उन्होंने घोषणा की कि वह गांव के सभी लोगों के पास एक परीक्षा लेंगे और जीतने वाले को बड़ा इनाम देंगे। इससे सभी लोगों में एक उत्साह और उत्साह उभरा।

      लाछा गुर्जरी ने भी अपने ऊंटों के साथ इस परीक्षा में हिस्सा लेने का निर्णय किया। उसने अपने ऊंटों को तैयार किया और उन्हें अच्छी तरह से संभाला।

       परीक्षा दिन आया और सभी लोग अपने-अपने योग्यता के साथ पहुंचे। महापंडित ने एक ऊंट को आगे बढ़ाने का आदेश दिया और कहा, "जो ऊंट अपनी बुद्धिमानी और चालाकी से मेरे पास पहले पहुंचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा।"

      जब यह सुनकर लोग उन्हीं ऊंटों को देखने लगे, तो सभी बड़ी उम्मीद से ऊंट की ओर देख रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे एक गरीबी से भरी लाछा गुर्जरी के ऊंट आगे बढ़ने लगे। सभी लोग चकित हो गए और लाछा गुर्जरी के ऊंट की जीत की ओर देखने लगे।

       लाछा गुर्जरी के ऊंट ने महापंडित के पास पहुंचते ही वहां विजयी घोषित किया गया। सभी लोग चौंक गए और आश्चर्यचकित हो गए। यह देखकर महापंडित ने पूछा, "यह गरीबी से भरे हुए ऊंट ने मेरी परीक्षा में कैसे जीत हासिल की?"

       लाछा गुर्जरी ने गर्व से उठते हुए ताना दिया, "महापंडित जी, जाट गुर्जर के ऊंट की बुद्धि, चालाकी और संघर्ष से भरी होती है। यह मेरे ऊंटों के लिए बस एक परीक्षा थी, लेकिन हमारे जाट गुर्जर के रिश्तों की मिशाल थी। हम ग़रीब हों, लेकिन हमारी बुद्धि, संघर्ष और समर्पण हमेशा हमारे साथ होता है।"

          इस कथा से हमें यह सिखाया जाता है कि सम्पत्ति या सामरिक स्थिति से बढ़कर, एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, सामर्थ्य और संघर्ष के माध्यम से महत्वपूर्ण कार्यों को प्राप्त कर सकता है। जाट गुर्जर के रिश्ते यह बताते हैं कि ग़रीबी और संघर्ष के बावजूद, हम अपनी मेहनत, बुद्धि और समर्पण से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

लाछा गुर्जरी के मालपुआ (Sweet) की कहानी

लाछा गुर्जरी के मालपुआ की कहानी

 
लाछा गुर्जरी के मालपुआ

     बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर और प्यारी लड़की लाछा गुर्जरी नामक थी। वह एक छोटे से गांव में रहती थी और उसका परिवार गांव के आदिवासी समुदाय से संबंधित था। लाछा गुर्जरी को खाने की खुशबू और मिठाई बनाने की ज़िद हमेशा से थी।

      एक दिन गांव में एक बड़ा मेला आयोजित हुआ, और उसमें अनेक प्रकार की खाने की दुकानें लगीं। लाछा गुर्जरी भी उस मेले में गई और अपनी मिठाई बेचने का सोचा। वह बहुत मेहनत से दिग्गी मालपुआ बनाती और अपनी दुकान पर रखती थी।

      मेले में राजा और उसके दरबार के सदस्य भी मौजूद थे। राजा ने सुना कि लाछा गुर्जरी की मालपुआ बहुत मशहूर हैं, और उन्होंने इसका स्वाद चखने का निर्णय किया। राजा ने अपने दरबारियों को भेजकर दिग्गी मालपुआ खाने को कहा और अपनी खुशबू भरी गद्दी पर बैठ गए।

     जब दरबारी लोग लाछा गुर्जरी की मालपुआ खाने पहुंचे, तो वे उसकी मिठास से हैरान रह गए। उन्होंने कहा, "यह मालपुआ अद्वितीय है, इसमें कुछ खास है।" एक दरबारी ने कहा, "इसमें इतनी मीठास कहाँ से आती है?" और दूसरा दरबारी ने कहा, "शायद इसमें प्यार की कोई मायरा छिपा होती है।"

       इस बात को सुनकर लाछा गुर्जरी को बहुत खुशी हुई। वह राजा के पास गई और कहा, "महाराज, इस मालपुआ में कोई विशेष चीज़ नहीं है, बस मेरे हाथों का प्यार और समर्पण है। आपका आदर्शवाद और सम्मान इसे इतनी मीठास देते हैं।"

      राजा ने लाछा गुर्जरी की मज़ाकिया बातों को समझ लिया और खुश होकर उसे बधाई दी। वह उसे राजमहल में बुलाया और उसे अपनी राजमहल की रानी बना दिया। लाछा गुर्जरी और राजा के बीच प्यार और सम्मान की कहानी बड़े सुंदर ढंग से चली।

शिक्षा 

     इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि सच्चा प्यार और समर्पण किसी भी खाने को अद्वितीय और स्वादिष्ट बना सकता है। जब हम अपने काम को दिल से करते हैं।

शनिवार, 3 जून 2023

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

 

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

शुतुरमुर्ग के अंडे
 

Cशुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी भारतीय परंपरा में प्रसिद्ध है। यह कहानी बचपन में हमें सिखाती है कि हमें विश्वास करना चाहिए और जिसे हम नहीं देख सकते, उस पर आशा रखनी चाहिए।

      कहीं दूर एक गांव में एक बूढ़ी महिला अकेली रहती थी। उसके पास केवल एक शुतुरमुर्ग था, जिसे वह बहुत प्यार करती थी। शुतुरमुर्ग ने अकेलेपन में उसे साथ दिया था और वह उसे अपना सब कुछ समझती थी।

       एक दिन बूढ़ी महिला ने एक सप्ताहांत से पहले देखा कि शुतुरमुर्ग बहुत उदास और चिंतित लग रहा है। उसने शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे देने का फैसला किया। वह सोचती थी कि इससे शुतुरमुर्ग का मन लगेगा और वह फिर से खुश हो जाएगा।

        बूढ़ी महिला ने उस दिन सुबह उठते ही शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे दिए। शुतुरमुर्ग ने अंडे देखकर खुशी के साथ उन्हें अपने पास रख लिया। वह सोचने लगा कि चांदी के रंग के अंडों से वह अब अधिक खास हो गया है।

      दिन बितते गए, लेकिन कुछ ही दिनों में शुतुरमुर्ग फिर से उदास और चिंतित लगने लगा। बूढ़ी महिला चिंतित हो गई और सोचने लगी कि उसका फैसला गलत था। उसे लगा कि शुतुरमुर्ग को कुछ और होना चाहिए।

      वह नदी के किनारे गई और नदी में रहने वाली एक महिला को मिली। वह महिला उसे बताई कि शुतुरमुर्ग के अंडे सिर्फ इतने ही रंग के होते हैं, वे कभी चांदी के रंग के नहीं होते। यह सिर्फ एक कथा है और एक तरह से तुम्हें यह सिखाती है कि हमें जो कुछ है, उसे स्वीकार करना चाहिए और वही सबसे महत्वपूर्ण होता है।

       बूढ़ी महिला घर लौटी और शुतुरमुर्ग के पास गई। उसने अपनी गलती स्वीकार की और अपनी ओर से उसे खास बनाने के लिए एक बेहतरीन इंद्रधनुष बनाया। शुतुरमुर्ग ने उसे देखा और खुशी से उसे अपने पंखों में उड़ा लिया।

   शिक्षा  

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे लिए पर्याप्त है। हमें अपनी संख्या में आने वाली खुशियों को स्वीकार करना चाहिए और जीवन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे हमें खुशहाली, समृद्धि और शांति मिलेगी।

FAQ  

Question :शुतुरमुर्ग का अंडा का वजन कितना होता है

Answer :शुतुरमुर्ग के एक अंडे का वजन लगभग 1.6 किलोग्राम है। यानी शुतुरमुर्ग का एक अंडा मुर्गी के 24 अंडों के बराबर होता है। सभी पक्षियों में शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ा होता है।

Question :शुतुरमुर्ग के अंडे कैसे सेने होते हैं ? 

Answer :नर शुतुरमुर्ग घोंसला बनाता है,जो 30 सेंटीमीटर गहरा रेत का एक बड़ा-सा गड्ढा बनांता है। इसमें अच्छे प्रकार से  टहनियां डाली जाती हैं। अंडे सेने की जिम्मेदारी केवल मादा की नहीं होती। नर और मादा दोनों मिलकर अंडे को सेते हैं

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी

 पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी 

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी
 एक समय की बात है, एक गांव में एक पशु प्रेमी किसान रहता था। उसके पास एक घोड़ा और कुछ बकरे थे। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

       किसान के पास एक बड़ा खेत था, जिसमें वह फल, सब्जियां और चारा उगाता था। घोड़ा और बकरे खेत में घूमने का आनंद लेते थे और सब्जियों को चबाकर खाते थे। किसान ने इन पशुओं को बहुत अच्छा खाना देते थे और उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ते थे।

         एक दिन, बड़ा बवंडर आया और उससे घोड़ा और बकरे अचानक अलग हो गए। खेत पर बहुत सारी बारिश हुई और उनका रास्ता भटक गया। पशु प्रेमी किसान बहुत चिंतित हो गए।

      वह उन्हें खोजने के लिए उनकी खोज में निकल पड़े। दिन भर की मेहनत के बाद, वह अपने घोड़े और बकरों को ढूंढ़ निकले और उन्हें खेत में वापस लाए।

      घोड़ा और बकरे खेत तक बहुत खुश थे क्योंकि वहां उनको आरामदायक और स्वादिष्ट चारा मिल रहा था। पशु प्रेमी किसान अपनी पशुओं को देखकर बहुत खुश थे क्योंकि वे सुरक्षित और सम्पन्न थे।

      शिक्षा : यह कहानी हमें सिखाती है कि पशुओं की सेवा करना और उनकी देखभाल करना हमारा कर्त्तव्य है। यह हमें प्रेम और समझदारी की भावना सिखाती है। हमें पशुओं के प्रति ध्यान और प्यार देना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें उनकी संरक्षण करना चाहिए।

पशु प्रेमी किशन की कहानी

एक गांव में एक पशु प्रेमी रहता था। उसका नाम किशन था। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

एक दिन किशन ने एक सड़क के किनारे देखा कि एक बेचारा घोड़ा बहुत बीमार होकर बिल्कुल दुबला-पतला हो गया है। उसकी आंखों में दुख और दुर्दशा का दृश्य था। किशन ने उसे देखकर दया की भावना से उसके पास गया और उसे ले आया।

किशन ने घोड़े की देखभाल शुरू की, उसे ठंडी और स्वच्छ जगह में रखा, उसे अच्छा खाना खिलाया और उसके लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान की। धीरे-धीरे, घोड़ा स्वस्थ हो गया और उसकी खूबसूरती वापस आ गई।

कुछ समय बाद, किशन एक बकरे को देखा जो गरीबी और बीमारी के कारण बहुत कमजोर हो गया था। उसकी उन्नति के लिए कोई साधन नहीं थे और वह असहाय था। किशन ने बकरे की देखभाल शुरू की, उसे उचित आहार और देखभाल प्रदान की। धीरे-धीरे, बकरा स्वस्थ हो गया और उसकी शक्ति और प्रगति देखी गई।

किशन ने अपने पशु-मित्रों की सेवा करके बहुत संतुष्टि महसूस की। उसने समझा कि पशुओं की देखभाल में उनका ख्याल रखना, उन्हें प्यार देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना असली पशु-प्रेम का अर्थ है।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें सभी प्राणियों की सेवा करनी चाहिए और पशु-प्रेम और दया दिखानी चाहिए। पशुओं के प्रति सम्मान और देखभाल करना हमारी मानवता के प्रतीक है।

शुक्रवार, 26 मई 2023

A Divorce story of Hindu Pair/प्रेम कहानी

Divorce story in Hindu Pair/प्रेम कहानी

Divorce story 
यह कहानी हैं जयपुर में रहने वाली एक दंपति की। दोनो का प्रेम विवाह था लेकिन बहुत कोशिशों के बाद घर वाले राजी हुए थे और खुशी खुशी शादी की सभी रिति रिवाज से विवाह संपन हुआ  था।

रश्मि मेरे ऑफिस में ही काम करती थी।और उसके पति रमेश किसी अन्य कम्पनी में वित्तीय विभाग में मैनेजर की पोस्ट पर काम करते थे। बहुत से मौको  पर आपसी मुलाकातों से रमेश से भी अच्छी दोस्ती हो गई थी। 

     विवाह उपरांत कुछ वर्षो के बाद दोनो के जीवन में तलाक लेने की जंग शुरू हो गई। जैसे ही मुझे भनक पड़ी तो मुझे एक पंडित जी की कही बाते ताजा हो गई की जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
एक डायवोर्स (Divorce) जो अंग्रेज़ लोग लेते हैं और दूसरा तलाक़ जो मुस्लिम लोग लेते हैं। हमारे हिंदुओ में ऐसा कोई शब्द निर्माण नही किया गया क्योंकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती थी। क्योंकि हिंदुओ में तो जन्म जन्म के रिश्ते बनते हैं। जिनका निर्धारण भगवान के यँहा  होता हैं और एक बार रिश्ते की डोर में बंध जाने के बाद यह अटूट रिश्तों की श्रेणी में आ जाता हैं। में तुरंत रश्मि के पास गया और उससे बात की और अगले ही दिन  
मैं शाम को... उसके घर पहुंचा...। उसने चाय बनाई... और मुझसे बात करने लगी...। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं..., फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि... रमेश से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है...।

मैंने पूछा कि... "रमेश कहां है...?" तो उसने कहा कि... "अभी कहीं गए हैं..., बता कर नहीं गए...।" उसने कहा कि... "बात-बात पर झगड़ा होता है... और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है..., ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि... अलग हो जाएं..., तलाक ले लें...!"
रश्मि जब काफी देर बोल चुकी... तो मैंने उससे कहा कि... "तुम रमेश को फोन करो... और घर बुलाओ..., कहो कि आनंद आए हैं...!"

रश्मि ने कहा कि... उनकी तो बातचीत नहीं होती..., फिर वो फोन कैसे करे...?!!!
खैर..., रश्मि ने फोन नहीं किया...। मैंने ही फोन किया... और पूछा कि... "तुम कहां हो...  मैं तुम्हारे घर पर हूँ..., आ जाओ...। रमेश पहले तो आनाकानी करता रहा..., पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया...।

अब दोनों के चेहरों पर... तनातनी साफ नज़र आ रही थी...। ऐसा लग रहा था कि... कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी... आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे...! दोनों के बीच... कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी...!!

रमेश मेरे सामने बैठा था...। मैंने उससे कहा कि... "सुना है कि... तुम रश्मि  से... तलाक लेना चाहते हो...?!!!

उसने कहा, “हाँ..., बिल्कुल सही सुना है...। अब हम साथ... नहीं रह सकते...।"

अज़ीब सँकट था...! रश्मि को मैं... बहुत पहले से जानता हूं...। मैं जानता हूं कि... रमेश से शादी करने के लिए... उसने घर में कितना संघर्ष किया था...! बहुत मुश्किल से... दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे..., फिर धूमधाम से शादी हुई थी...। ढ़ेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं... ऐसा लगता था कि... ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है...! पर शादी के कुछ ही साल बाद... दोनों के बीच झगड़े होने लगे... दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे... और आज उसी का नतीज़ा था कि... आनंद... रश्मि और रमेश  के सामने बैठे थे..., उनके बीच के टूटते रिश्तों को... बचाने के लिए...!

आनंद ने कहा की “पति की... 'बीवी' नहीं होती?” यह सुनकर वो दोनों चौंक गए।

" “बीवी" तो... 'शौहर' की होती है..., 'मियाँ' की होती है..., पति की तो... 'पत्नी' होती है...! "

भाषा के मामले में... मेरे  सामने उनका  टिकना मुमकिन नहीं था..., हालांकि रमेश  ने कहा  कि... "भाव तो साफ है न ?" बीवी कहें... या पत्नी... या फिर वाइफ..., सब एक ही तो हैं..., लेकिन मेरे कहने से पहले ही... उन्होंने मुझसे कहा कि... "भाव अपनी जगह है..., शब्द अपनी जगह...! कुछ शब्द... कुछ जगहों के लिए... बने ही नहीं होते...! ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है...।"

खैर..., आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया..., आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं...। लेकिन इसके लिए... आपको मेरा  साथ देना होगा।
दोनों ने हांमी भरते हुए अपना सिर हिलाया।
 

मैंने कहा कि... "तुम चाहो तो... अलग रह सकते हो..., पर तलाक नहीं ले सकते...!"

रमेश ने कहा “क्यों...???

आनंद : “क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है...!”

"अरे यार..., हमने शादी तो... की है...!"

“हाँ..., 'शादी' की है...! 'शादी' में... पति-पत्नी के बीच... इस तरह अलग होने का... कोई प्रावधान नहीं है...! अगर तुमने 'मैरिज़' की होती तो... तुम "डाइवोर्स" ले सकते थे...! अगर तुमने 'निकाह' किया होता तो... तुम "तलाक" ले सकते थे...! लेकिन क्योंकि... तुमने 'शादी' की है..., इसका मतलब ये हुआ कि... "हिंदू धर्म" और "हिंदी" में... कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद... अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं....!!!"

मैंने इतनी-सी बात... पूरी गँभीरता से कही थी..., पर दोनों हँस पड़े थे...! दोनों को... साथ-साथ हँसते देख कर... मुझे बहुत खुशी हुई थी...। मैंने समझ लिया था कि... रिश्तों पर पड़ी बर्फ... अब पिघलने लगी है...! वो हँसे..., लेकिन मैं गँभीर बना रहा...

मैंने फिर रश्मि  से पूछा कि... "ये तुम्हारे कौन हैं...?!!!"

रश्मि ने नज़रे झुका कर कहा कि... "पति हैं...! मैंने यही सवाल रमेश  से किया कि... "ये तुम्हारी कौन हैं...?!!! उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि..."बीवी हैं...!"

मैंने तुरंत फिर टोका... "ये... तुम्हारी बीवी नहीं हैं...! ये... तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं.... क्योंकि... तुम इनके 'शौहर' नहीं...! तुम इनके 'शौहर' नहीं..., क्योंकि तुमने इनसे साथ "निकाह" नहीं किया... तुमने "शादी" की है...! 'शादी' के बाद... ये तुम्हारी 'पत्नी' हुईं..., हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से... बन कर आती है...! तुम भले सोचो कि... शादी तुमने की है..., पर ये सत्य नहीं है...! तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ..., मैं सबकुछ... अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा...!"

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी...। मेरे एक-दो बार कहने के बाद... रश्मि शादी का एलबम निकाल लाई..., अब तक माहौल थोड़ा ठँडा हो चुका था..., एलबम लाते हुए... उसने कहा कि... कॉफी बना कर लाती हूं...।"

मैंने कहा कि..., "अभी बैठो..., इन तस्वीरों को देखो...।" कई तस्वीरों को देखते हुए... मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई..., जहाँ रश्मि और रमेश  शादी के जोड़े में बैठे थे...। और पाँव~पूजन की रस्म चल रही थी...। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली... और उनसे कहा कि... "इस तस्वीर को गौर से देखो...!"

उन्होंने तस्वीर देखी... और साथ-साथ पूछ बैठे कि... "इसमें खास क्या है...?!!!"

मैंने कहा कि... "ये पैर पूजन की  रस्म है..., तुम दोनों... इन सभी लोगों से छोटे हो..., जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं...।"

“हां तो....?!!!"रश्मि ने कहा।

“ये एक रस्म है... ऐसी रस्म सँसार के... किसी धर्म में नहीं होती... जहाँ छोटों के पांव... बड़े छूते हों...! लेकिन हमारे यहाँ शादी को... ईश्वरीय विधान माना गया है..., इसलिए ऐसा माना जाता है कि... शादी के दिन पति-पत्नी दोनों... 'विष्णु और लक्ष्मी' के रूप होते हैं..., दोनों के भीतर... ईश्वर का निवास हो जाता है...! अब तुम दोनों खुद सोचो कि... क्या हज़ारों-लाखों साल से... विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं...?!!! दोनों के बीच... कभी झिकझिक हुई भी हो तो... क्या कभी तुम सोच सकते हो कि... दोनों अलग हो जाएंगे...?!!! नहीं होंगे..., हमारे यहां... इस रिश्ते में... ये प्रावधान है ही नहीं...! "तलाक" शब्द... हमारा नहीं है..., "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है...!"

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि... "बताओ कि... हिंदी में... "तलाक" को... क्या कहते हैं...???"

दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि... "दरअसल हिंदी में... 'तलाक' का कोई विकल्प ही नहीं है...! हमारे यहां तो... ऐसा माना जाता है कि... एक बार एक हो गए तो... कई जन्मों के लिए... एक हो गए तो... प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता..., उसे करने की कोशिश भी मत करो...! या फिर... पहले एक दूसरे से 'निकाह' कर लो..., फिर "तलाक" ले लेना...!!"

अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ... काफी पिघल चुकी थी...!

रश्मि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी...। फिर उसने कहा कि... "भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं...।"

वो कॉफी लाने गई..., मैंने रमेश  से बातें शुरू कर दीं...। बहुत जल्दी पता चल गया कि... बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं..., बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं..., जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं...।

खैर..., कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली...। रमेश  के कप में चीनी डाल ही रहा था कि... रश्मि ने रोक लिया..., “भैया..., इन्हें शुगर है... चीनी नहीं लेंगे...।"

लो जी..., घंटा भर पहले ये... इनसे अलग होने की सोच रही थीं...। और अब... इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं...!

मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख रश्मि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि... "अब तुम लोग... अगले हफ़्ते निकाह कर लो..., फिर तलाक में मैं... तुम दोनों की मदद करूंगा...!"

शायद अब दोनों समझ चुके थे.....

हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है...!

इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है...!!

और विवाह एक मात्र बंधन नहीं जीवन जीने और निभाने का निर्णय हैं।  जिसमे प्रेम पनपता हैं

FAऔर खुशियों के साथ जीवन के कठिन पलों के लिए संघर्ष करना सिखाता हैं।

Mother Father/माँ बाप/Hindi Quotations

 माँ बाप है धार्मिकता का आधार 

Mother FatherHindi Quotations

यह परिस्थति ना आने दे जो माँ बाप अपने मुँह का निवाला रोक के बच्चे के मुँह में खिला देते हैं उनकी दवाई की पर्ची गुम होना आपके आने वाले मुश्किल समय को इंगित करता हैं। 

Mother FatherHindi Quotations-1

घर पत्थर, ईंट ,मिट्टी लोहे या सीमेंट से बना हुआ होता हैं। जो हमारी शारीरिक रक्षा करता हैं।  लेकिन माँ बाप की छांया से ही घर में सुकून भरी ठंडक रहती है। किसी को ज्ञान नहीं हो तो जिनके मान बाप इस दुनिया में नहीं रहे उनसे जाने इसलिए समय रहते जीवन की इस ठंडक को महसूस करलो।

Maan Hindi Quotations

माँ बाप को डराना और गुस्सा करना आपकी कमजोर मानसिकता का प्रतीक है। 

Mother and Kids Hindi Quotations

माँ के कंधे झुकते नहीं उनमे मातृत्व की वो शक्ति होती हैं जिसको आज्ञाकारी पुत्र और पुत्री ही महसूस कर सकते है।

Mother Father appriciations -Hindi Quotations

मानव रूप में आपको धरती पर अवतरित करना। अंगुली पकड़ कर चलना, बोलन, खाना, लड़ना सिखाने से बढ़कर कुछ नहीं करना होता।  बाकि अपने मन मष्तिक्ष से जो करोगे वैसा ही भरोगे। इससे अधिक माँ बाप से आशा रखना आपकी मूर्खता की पहली और आखरी निशानी हैं। 

Childhood with Parents

समय बढ़ा बलवान होता हैं। गरीब अमीर माँ खुद भूखी रही होगी लेकिन बच्चे को भूखा नहीं रखा। लेकिन माँ के अलावा पूरे ज़माने को आपसे उनकी  रोटी से सरोकार हैं आपके भुखेपन से नहीं। 

Kids Demands and Parents

याद रखना आपकी एक ख्वाइश को पूरा करने के लिए माँ बाप कितनी मेहनत करते हैं। इसलिए नहीं की आने वाले कल में वो आवश्यकता के लिए दर्शक बने रहे। 

Value of Father

ऐसे बच्चे इस दुनिया में सबसे गरीब श्रेणी में आते होंगे जिनको घर में माँ बाप का रहने का स्थान का निर्धारण करने के लिए सोचना पड़े।

 
 

गुरुवार, 4 मई 2023

स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल

 स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल 

स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल

 

         एक धनराज नामक उद्योगपति था। वह प्रतिदिन अपनी कार से अपने ऑफिस जाता था। जैसे ही वह कार में बैठता तो FM रेडिओ शुरू करता। रेडिओ पर एक व्यक्ति सुबह सुबह आध्यात्मिक बातें सुनाता था।  वह हमेशा अपने कार्यकर्म की शुरुवात में कहता। जीवन का एक ही मूल मन्त्र हैं।  नेकी कर और दरिया में डाल। जीवन में नेकी के अलावा कुछ साथ नहीं जायेगा। कुछ भी साथ नहीं जायेगा यह वाक्य प्रतिदिन सुन सुन कर धनराज चिंतित होने लगा की मैंने इतनी मेहनत से इतनी धन सम्पदा बनाई हैं। और यह व्यक्ति बोल रहा ह कुछ भी साथ नहीं जायेगा। उसने निश्चित किया की कुछ करना पड़ेगा। वह अपने ऑफिस पहुंचा और PA को बुलाया और कहा की एक सर्कुलर जारी करो  जिसमे जो भी कर्मचारी यह उपाय सुझाएगा जिससे मृत्यु के बाद में अपनी धन सम्पदा साथ लेकर जा सकूँ। जैसे ही सर्कुलर जारी किया और सभी कर्मचारियों ने उसे पढ़ा तो मन ही मन कहने लगे की धनराज जी सटिया गए हैं।  निश्चित उनपे उम्र का असर दिखने लगा हैं। 

           बहुत लोगो ने इनाम के लालच में अपने अपने सुझाव दिए लेकिन धनराज के किसी का भी सुझाव गले नहीं उतरा।  फिर उसने इनाम की राशि को दुगना कर दिया। तभी एक अनजान व्यक्ति ने कहा की उसके पास एक आईडिया हँ।  जिससे धनराज की समस्या का समाधान हैं। तभी धनराज ने अपने मैनेजमेंट की मीटिंग में उस व्यक्ति को आमंत्रित किया। और उस व्यक्ति ने धनराज से कुछ प्रश्न पूछना शुरू किया।  
व्यक्ति - धनराज जी क्या आप अमरीका गए हैं ?
धनराज - हाँ मेरा पूरी दुनिया में कारोबार हैं तो मेरा आना जाना लगा रहता हैं।
व्यक्ति -निश्चित ही आपके रूपये अमरीका में अनुपयोगी होंंगे ।

धनराज - हाँ में रूपये को डॉलर में बदलवा लेता हूँ।  वंहा पर डॉलर ही चलता हैं
व्यक्ति - आप इंग्लैंड और अन्य देशो में भी जाते रहते होंगे और वंहा पे भी ऐसी व्यवस्था देखि होगी.
धनराज - हाँ इंग्लैंड में पौंड का चलन हैं और अन्य देशो में भी वंहा की करेंसी का प्रचलन होता हैं।
व्यक्ति - धनराज जी इसी प्रकार से मृत्यु के बाद भी आप अपने रूपये को कन्वर्ट करके लेके जा सकते हैं।
धनराज - लेकिन वंहा पे इस रूपये को  किसमे कन्वर्ट करना होगा।
व्यक्ति -आप अपने रूपये को स्वर्ग की मुद्रा में बदल सकते हैं।  जो हैं नेकी कर दरिया में डाल।
इसलिए धनराज जी आप अपने रूपये को लोगो के भलाई में खर्च करे।  ये सारा नेक कार्य स्वर्ग की मुद्रा में बदलता जायेगा  जिसका नाम हैं नेकी। इसलिए धीरे धीरे आप अपने रूपये को नेक कार्यो में लगते रहो ताकि आपके साथ स्वर्ग में नेकी जा सके।
इसलिए कहा जाता हैं की मर्त्यु के बाद केवल नेकी साथ जाती हैं।
तब  धनराज को अपनी कठिन मेहनत से कमाया रुपया अपनी मृत्यु के बाद अपने साथ  ले जाने का रास्ता मिला।

शिक्षा - व्यक्ति को बढ़ती उम्र के साथ साथ अपनी कमाई को नेकी की मुद्रा में बदलते रहना चाहिए अन्यथा आप अपनी मेहनत की कमाई यंही पे छोड़ कर जाना पड़ेगा।


मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति/FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति /

FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति

     एक व्यक्ति जिसका नाम मलय था उसने अपने जीवन में बहुत अधिक उन्नति की और जयपुर  में ज़मीन ख़रीद कर उसपर  आलीशान घर बनाकर सपरिवार रहने लगा,उस भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल बना हुआ था और पीछे  की ओर एक 100 साल पुराना आम का पेड़ भी लगा हुआ था।

      उसने वह भूमि उस आम के पेड़ के कारण ही ख़रीदी थी, क्यूँकि उनकी पत्नी को आम बहुत पसंद थे।

      जब कुछ समय बाद जब नए घर की सजावट होने लगी तो उसके कुछ पारिवारिक मित्रों ने उसे सलाह दी कि किसी वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ की सलाह ले लेनी चाहिए।

      हालांकि मलय को ऐसी बातों पर विश्वास नहीं था, फिर भी अपनो का मन रखने के लिए उसने उनकी बात मान ली और हांगकांग से पिछले 30 साल से वास्तु शास्त्र के बेहद प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री मास्टर मखाओ  को बुलवाया।

     उन्हें एयरपोर्ट से लिया,दोनों ने शहर में प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा खाया और उसके बाद वो उन्हें अपनी कार में लेकर अपने घर की ओर चल दिए।

      मलय रास्ते में जब मस्ती से आगे बढ रहा था। और बहुत सी  कारे  उन्हें ओवर टेक करने की कोशिश करती, वो उसे रास्ता दे देते।

      मास्टर मखाओ ने हंसते हुए कहा-  आप बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करते हैं मिस्टर मलय । मलय ने भी हंसते हुए प्रत्युत्तर में कहा - लोग अक्सर ओवर टेक तभी करते हैं जब उन्हें कुछ आवश्यक कार्य में देरी हो रही हो। इसलिए हमें उन्हें रास्ता देना ही चाहिए यही उपयुक्त हैं।

    जैसे ही वो लोग घर के पास पहुँचते-पहुँचते सड़क थोड़ी संकरी हो गयी थी और उन्होंने कार थोड़ी और धीरे कर ली। तभी अचानक एक हंसता हुआ बच्चा गली से निकला और तेज़ी से भागते हुए उनकी कार के सामने से सड़क पार कर गया। मलय अपनी कार को  उसी गति से चलाते हुए उस गली की ओर देखते रहे, जैसे किसी का इंतज़ार कर रहे हों.  

      तभी अचानक उसी गली से एक और बच्चा भागते हुए उनकी कार के सामने से निकला, जो शायद पहले बच्चे का पीछा करते हुए आया था। मास्टर मखाओ ने हैरान होते हुए पूछा - आपको कैसे पता था कि कोई दूसरा बच्चा भी भागते हुए निकलेगा ?

   उन्होंने बड़े सहज भाव से कहा, बच्चे अक्सर एक-दूसरे के पीछे भाग रहे होते हैं और इस बात पर विश्वास करना संभव ही नहीं कि कोई बच्चा बिना किसी साथी के ऐसी भाग दौड़ कर रहा हो।

     मास्टर मखाओ इस बात पर बहुत ज़ोर से हंसे और बोले कि आप निस्संदेह बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं।

     घर के बाहर पहुँच कर दोनों कार से उतरे,तभी अचानक घर के पीछे की ओर से 7-8 पक्षी बहुत तेज़ी से उड़ते नज़र आए,यह देख कर उन्होंने मास्टर मखाओ से कहा कि यदि आपको बुरा न लगे तो क्या हम कुछ देर यहाँ रुक सकते हैं ?

     मास्टर मखाओ ने  कहा हां जरूर पर क्या में कारण जान सकता हूं, तो उन्होंने कहा कि शायद कुछ बच्चे पेड़ से आम चुरा रहे होंगे और हमारे अचानक पहुँचने से डर के मारे बच्चों में भगदड़ न मच जाए, इससे पेड़ से गिर कर किसी बच्चे को चोट भी लग सकती है।

      मास्टर मखाओ कुछ देर चुप रहे, फिर संयत आवाज़ में बोले मित्र, इस घर को किसी वास्तु शास्त्र के जाँच और उपायों की आवश्यकता नहीं है।

मलय ने बड़ी हैरानी से पूछा कि ऐसा क्यूँ ?

    मास्टर मखाओ बोले- जहां आप जैसे विवेकशील  व आसपास के लोगों की भलाई सोचने वाले व्यक्ति विद्यमान होंगे - वह घर संपत्ति वास्तु शास्त्र नियमों के अनुसार बहुत पवित्र-सुखदायी-फलदायी होगी।

    इस प्रकार से एक वास्तुशास्त्र के ज्ञानी व्यक्ति को अपने विषय का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ। और उसने मलय के साथ कुछ दिन गुजरे और जीवन के इन पलो की अहमियत को अपनी वास्तुशास्त्र के प्रथम पृष्ठ में शामिल किया।

शिक्षा -

    जब हमारा मन व मस्तिष्क दूसरों की ख़ुशी व शांति को प्राथमिकता देने लगे, तो इससे दूसरों को ही नहीं, स्वयं हमें भी मानसिक शांति प्रसन्नता की अनुभूति होगी। अन्यथा शांति की तलाश में दर दर भटकते रहो यह किसी वस्तु,मौके धन दौलत से दूर आपके मन मस्तिष्क से ही संभव हैं।

FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

ANS..... फेंगशुई एक प्राचीन चीनी परंपरा है जिसके अनुसार मान्यता हैं कि इससे हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा  स्थापित करने में मदद करती है। इसे प्राचीन काल से ही समृद्धि, सौभाग्य,विपुलता और खुशी को आकर्षित करने या बनाये रखने के लिए विशेष वस्तुओं का उपयोग करने को प्रोत्साहित करता है। इसके दूसरे पहलु पे गौर फ़रमाये तो ये चीन और हॉन्कॉन्ग जैसे देशो द्वारा अपने बने हुए उत्पादों का अछि तरह से मार्केटिंग करने का तरीका हैं फेंगशुई। इसमें में विभिन्न रंगों का उपयोग, फर्नीचर की व्यवस्था और भवन संरचनाओं का भी महत्व है। यह सही हैं  की इसने प्राचीन चीनी संस्कृति को आज भी लोग इसका पालन करते हैं।  जैसे जैसे आजकल गृह निर्माण और रहनसहन में साजो सामान का समावेश और दिलचस्पी बढ़ी हैं वैसे ही फेंगशुई /वास्तुशास्त्र का प्रसार हुआ है   बात यह है कि समय के साथ, प्राचीन चीनी प्रथा ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है। फेंगशुई की वस्तुओं की वैश्विक स्तर पर मांग है। विश्व के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग इस प्राचीन कला का अनुसरण करने लगे हैं। फेंगशुई की प्रथाओं को अपनाने के बाद कई लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखा है।

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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

बिना मृत्यु के पुनर्जन्म की कहानी

 .         बिना मृत्यु के पुनर्जन्म की कहानी

बिना मृत्यु के पुनर्जन्म की कहानी


एक चोर ने राजा के महल में चोरी की। सिपाहियों को पता चला तो उन्होंने उसके पदचिह्नों(पैरों के निशान ) का पीछा किया। पीछा करते-करते वे नगर से बाहर आ गये। पास में एक गाँव था। उन्होंने चोर के पदचिह्न गाँव की ओर जाते देखे। गाँव में जाकर उन्होंने देखा कि एक साधु  सत्संग कर रहा  हैं और बहुत से लोग बैठकर सुन रहे हैं। चोर के पदचिह्न भी उसी ओर जा रहे थे।सिपाहियों को संदेह हुआ कि चोर भी सत्संग में लोगों के बीच बैठा होगा। वे वहीं खड़े रह कर उसका इंतजार करने लगे। 

सत्संग में साधु कह रहे थे- जो मनुष्य सच्चे हृदय से भगवान की शरण चला जाता है,भगवान उसके सम्पूर्ण पापों को माफ कर देते हैं। 

 गीता में भगवान ने कहा हैः 

  सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को  त्याग कर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर। 

वाल्मीकि रामायण में आता हैः 

 जो एक बार भी मेरी शरण में आकर 'मैं तुम्हारा हूँ' ऐसा कह कर रक्षा की याचना करता है, उसे मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूँ – यह मेरा व्रत है। 

    इसकी व्याख्या करते हुए साधु ने कहा : जो भगवान का हो गया, उसका मानों दूसरा जन्म हो गया। अब वह पापी नहीं रहा, साधु हो गया। 

     अगर कोई दुराचारी से दुराचारी  भी अनन्य भक्त होकर मेरा भजन करता है तो उसको साधु ही मानना चाहिए। कारण कि उसने बहुत अच्छी तरह से निश्चय कर लिया है कि परमेश्वर के भजन के समान अन्य कुछ भी नहीं है। 

       चोर वहीं बैठा सब सुन रहा था। उस पर सत्संग की बातों का बहुत असर पड़ा। उसने वहीं बैठे-बैठे यह दृढ़ निश्चय कर लिया कि अभी से मैं भगवान की शरण लेता हूँ, अब मैं कभी चोरी नहीं करूँगा। मैं भगवान का हो गया। सत्संग समाप्त हुआ। लोग उठकर बाहर जाने लगे। बाहर राजा के सिपाही चोर की तलाश में थे। चोर बाहर निकला तो सिपाहियों ने उसके पदचिह्नों को पहचान लिया और उसको पकड़ के राजा के सामने पेश किया। 

       राजा ने चोर से पूछाः इस महल में तुम्हीं ने चोरी की है न? सच-सच बताओ, तुमने चुराया धन कहाँ रखा है? चोर ने दृढ़ता पूर्वक कहाः "महाराज ! इस जन्म में मैंने कोई चोरी नहीं की।" 

 सिपाही बोलाः "महाराज ! यह झूठ बोलता है। हम इसके पदचिह्नों को पहचानते हैं। इसके पदचिह्न चोर के पदचिह्नों से मिलते हैं, इससे साफ सिद्ध होता है कि चोरी इसी ने की है।" राजा ने चोर की परीक्षा लेने की आज्ञा दी, जिससे पता चले कि वह झूठा है या सच्चा। 

      चोर के हाथ पर पीपल के ढाई पत्ते रखकर उसको कच्चे सूत से बाँध दिया गया। फिर उसके ऊपर गर्म करके लाल किया हुआ लोहा रखा परंतु उसका हाथ जलना तो दूर रहा, सूत और पत्ते भी नहीं जले। लोहा नीचे जमीन पर रखा तो वह जगह काली हो गयी। राजा ने सोचा कि 'वास्तव में इसने चोरी नहीं की, यह निर्दोष है।' 

     अब राजा सिपाहियों पर बहुत नाराज हुआ कि "तुम लोगों ने एक निर्दोष पुरुष पर चोरी का आरोप लगाया है। तुम लोगों को दण्ड दिया जायेगा।" यह सुन कर चोर बोलाः "नहीं महाराज ! आप इनको दण्ड न दें। इनका कोई दोष नहीं है। चोरी मैंने ही की थी।" राजा ने सोचा कि यह साधु पुरुष है, इसलिए सिपाहियों को दण्ड से बचाने के लिए चोरी का दोष अपने सिर पर ले रहा है। राजा बोलाः तुम इन पर दया करके इनको बचाने के लिए ऐसा कह रहे हो पर मैं इन्हें दण्ड अवश्य दूँगा। 

चोर बोलाः "महाराज ! मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ, चोरी मैंने ही की थी। अगर आपको विश्वास न हो तो अपने आदमियों को मेरे साथ भेजो। मैंने चोरी का धन जंगल में जहाँ छिपा रखा है, वहाँ से लाकर दिखा दूँगा।" राजा ने अपने आदमियों को चोर के साथ भेजा। चोर उनको वहाँ ले गया जहाँ उसने धन छिपा रखा था और वहाँ से धन लाकर राजा के सामने रख दिया। यह देखकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। 

   राजा बोलाः अगर तुमने ही चोरी की थी तो परीक्षा करने पर तुम्हारा हाथ क्यों नहीं जला? तुम्हारा हाथ भी नहीं जला और तुमने चोरी का धन भी लाकर दे दिया, यह बात हमारी समझ में नहीं आ रही है। ठीक-ठीक बताओ, बात क्या है ? चोर बोलाः महाराज ! मैंने चोरी करने के बाद धन को जंगल में छिपा दिया और गाँव में चला गया। वहाँ एक जगह सत्संग हो रहा था। मैं वहाँ जा कर लोगों के बीच बैठ गया। सत्संग में मैंने सुना कि ''जो भगवान की शरण लेकर पुनः पाप न करने का निश्चय कर लेता है, उसको भगवान सब पापों से मुक्त कर देते हैं। उसका नया जन्म हो जाता है।'' इस बात का मुझ पर असर पड़ा और मैंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि 

" अब मैं कभी चोरी नहीं करूँगा। "

इस प्रकार से जब सोचो तभी सवेरा इस सत्संग से चोर की  बिना मृत्यु के पुनर्जन्म की कहानी सम्पन हुई

    अब मैं भगवान का हो लिया कि 'अब मैं कभी चोरी नहीं करूँगा। अब मैं भगवान का हो गया। इसीलिए तब से मेरा नया जन्म हो गया। इस जन्म में मैंने कोई चोरी नहीं की, इसलिए मेरा हाथ नहीं जला। आपके महल में मैंने जो चोरी की थी, वह तो पिछले जन्म में की थी। 

 कैसा दिव्य प्रभाव है सत्संग का ! मात्र कुछ क्षण के सत्संग ने चोर का जीवन ही पलट दिया। उसे सही समझ देकर पुण्यात्मा, धर्मात्मा बना दिया। चोर सत्संग-वचनों में दृढ़ निष्ठा से कठोर परीक्षा में भी सफल हो गया और उसका जीवन बदल गया। राजा उससे प्रभावित हुआ, प्रजा से भी वह सम्मानित हुआ और प्रभु के रास्ते चलकर प्रभु कृपा से उसने परम पद को भी पा लिया।

सत्संग पापी से पापी व्यक्ति को भी पुण्यात्मा बना देता है। 

जीवन में सत्संग नहीं होगा तो आदमी कुसंग जरूर करेगा। 

 कुसंग व्यक्ति से कुकर्म करवा कर व्यक्ति को पतन के गर्त में गिरा देता है लेकिन सत्संग व्यक्ति को तार देता है, महान बना देता है। ऐसी महान ताकत है सत्संग में !

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

चालाक गधा /Clever Donkey -Short Stories

 


चालाक गधा  /Clever Donkey -Short Stories

चालाक गधा


     एक गांव में एक कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। कुम्हार अक्षर गधे को मटके बनाने के लिए मिट्टी लाने के काम में लेता था। एक बार मटके बनाने का काम कमजोर होने के कारण कुम्हार परेशान था तभी किसी दोस्त ने बताया की वो नदी के पार गांव से नमक लाके उससे बेच सकता हैं और अपना घर खर्चा चला सकता हैं। कुम्हार को यह सुझाव अच्छा लगा।

       दूसरे दिन सुबह जल्दी ही कुम्हार गधे को लेकर नमक लाने चला गया। और अब नमक का व्यवसाय करने लगा।अब रोज कुम्हार जाता और नमक लाकर बेचता । एक दिन कुम्हार गधे पर नमक की बोरी लाद कर वापस आ रहा था। तभी नदी में गधे का पैर फिसल गया। और गधा नदी में गिर गया। थोड़ी देर की मशक्त के बाद कुम्हार ने गधे को उठाया और बोरी को सही करके चलने लगा तो गधे ने महसूस किया की उसकी पीठ पर वजन कम लग रहा हैं। अब गधा जब भी नमक लेकर नदी से वापस आता तो पानी में बैठ जाता। पानी में नमक पिघल जाता और गधे का वजन कम हो जाता। गधा बहुत खुश था लेकिन नमक कम होने से कुम्हार को नुकसान होना शुरू हो गया। 

            कुम्हार परेशान होके ये बात अपने दोस्त को बताई तो दोस्त ने कुम्हार को एक उपाय सुझाया। की वो नमक की जगह रूई लाद कर लाए। कुम्हार ने ऐसा ही किया। गधे को तो आदत हो चुकी थी की नदी में पहुंचे और पानी में लोटने की ।जैसे ही गधा पानी में बैठा और कुम्हार ने उसे उठाया तो वजन बहुत बढ़ चुका था। अब गधे के मन में डर बैठ गया और कुम्हार ने गधे को लाइन पर लाने में कामयाबी पाई।.....Watch Birds Photo Here....

बुधवार, 5 अप्रैल 2023

मकर संक्रांति

 मकर संक्रांति

     किसी भी साल की भांति 2023 का पहला पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) का पड़ रहा है. देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति का ज्योतिषी रूप से भी बहुत महत्व है. कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य 30 दिन में राशि बदलते हैं और 6 माह में उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति 14 जनवरी, शुक्रवार के। 

      मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व देशभर के अलग-अलग भागों में अलग तरीके और अलग नाम से मनाया जाता है. लेकिन सब जगह एक बार कॉमन यह है कि इस दिन तिल-गुड़ खाना और इसका दान करना शुभ माना जाता है. सदियों से इस दिन काले तिल के लड्डू खाने की परंपरा चली आ रही है. लेकिन क्या आप इसके पूछी की वजह जानते हैं? आइए जानते हैं इस दिन काले लड्डू क्यों बनाए और खाए जाते। काले तिल जो हैं वो शनि का रुप होते हैं व गूड़ सुर्य का प्रतिनिधित्व करता है ।इसलिए इस दिन तिल व गुड के लडू खाना व दान करना पसंद करते है । जिससे शनि की दशा को ठिक रखा जा सके।।

तिल व गुड की कहानी 


पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव ने अपने बेटे शनि देव का घर कुंभ क्रोध में जला दिया था. कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं और इस राशि को ही उनका घर माना जाता है. घर को जलाने के बाद जब सूर्य देव घर देखने पहुंचे, तो काले तिल के अलावा सब कुछ जलकर राख हो गया था. तब शनि देव ने सूर्य देव का स्वागत उसी काले तिल से किया.

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

कृष्णा ने नदी पार करने के लिए किया पानी सूखने का इंतजार

     नदी पार करने के लिए पानी सूखने का इंतजार कथा

(Short Story)

        एक बार भगवान श्री कृष्ण नदी के किनारे बैठे हुए थे ।तभी अर्जुन  आ जाता हैं।और पूछता हैं कि हे ! भगवान आप यहा पर क्या कर रहे हो ? कृष्ण ने जबाब दिया को में तो नदी में पानी खत्म होने का इंतजार कर रहा हूं।अर्जुन ने कहा परंतु ऐसा क्यों ? तब तो आप नदी कभी भी पार नहीं कर पाओगे, क्योंकि यह पानी तो कभी नहीं खत्म होने वाला है ।

      श्री कृष्ण ने कहा यही बात तो मैं आप लोगों को समझा रहा हूं। की इस बहते हुए पानी की भांति ही अपनी जिन्दगी हैं।यह कभी भी नहीं रुकती है।इसको चलते हुए ही सुख दुख में इस भवसागर को पार करना होता है।

शिक्षा - अच्छे समय का इंतजार मत कीजिए। जो करना हैं उसे बिना वक्त गंवाए शुरू कर दीजिए।

बच्चों की टॉप 5 प्रेरणादायक कहानिया/Short Kids stories

 Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

चुटकी बहुत प्यारी और चंचल लड़की है। चुटकी कक्षा तीसरी में पढ़ती है। एक दिन वो अपने कमरे में पढाई कर रही थी तभी उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी का चित्र देखा । उसे तुरंत अपनी रेल यात्रा याद आ गई,जो कुछ महीने पहले अपने परिवार के साथ की थी। चुटकी ने कोयला उठाया और फिर क्या था,घर की सफ़ेद दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ा,दूसरा डब्बा जुड़ा,जुड़ते–जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। 

       जब कोयला  खत्म हो गया तो चुटकी अपनी दुनिया में वापस आई और उसने देखा कमरे की आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ।  चुटकी के मम्मी पापा ने देखा तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.और उन्होंने चुटकी की इस कला की खूब प्रशंसा की और उसकी चित्रकला में रूचि देखते हुए उसको आवश्यक सामग्री खरीद के उपलब्ध कराई। और चुटकी को चित्रकला से जुड़े हुए विडिओ मोबाइल पर देखने की छूट दी।  इससे चुटकी की अपनी रूचि को पंख लग गए। 

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को पंक लगाई और उनके भविष्य का निर्माण में आज से ही बढ़ाये /Boost the confidence of children because they are the future

 चालक चूहा/Cleaver Rat  

( Hindi short stories )


     मोटू  के घर में एक शरारती चूहया थी । वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में इधर उधर दौड़ती रहती थी। उसने मोटू  की किताब भी कुतर डाली थी। एक दिन तो उसने मोटू के कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। मोटू की माता  जो कई बार ही खाना बनाकर उसे ढकना भूल जाती थी। वह चूहिया उसे भी चट कर जाती थी । चूहिया खा पीकर बड़ी  हो गई थी। 

          एक दिन मोटू  की माता  ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा था । शरारती चुहया की नज़र बोतल पर पड़ गयी। अब वो सरबत को भी चकना चाहती थी लेकिन उसकी कोई भी तरकीब काम नहीं कर रही था लेकिन चुहिया को तो शरबत पीना था।

        चुहिया बोतल पर चढ़ी और किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो गई । अब उसमें अपना मुंह घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन बोतल का मुंह छोटा था इसलिए चुहिया अपना मुंह नहीं घुसा पा रही थी । 

       फिर चुहिया  को एक  आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चुहिया का पेट भर गया। अब वह मोटू के बिस्तर के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम करने लगी आज उसको पूर्ण संतुष्टि और खुश थी ।

   नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता/Hard work with smartness is the key to success. 

रजत  के तीन खरगोश राजा

( Hindi short stories with moral for kids )

      रजत कक्षा तीन का छात्र था। उसके घर में तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे।  रजत अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। और स्कूल से आने के बाद अधिकार समय उन्ही के साथ खेलता था और उनका पूरा ध्यान रखता था । वह स्कूल जाने से पहले पास के बगीचे से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था।स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।और कभी कभी उनको टमाटर और फल खिलाता था।


एक  दिन की बात है  रजत को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका,और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था।  रजत ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।


 रजत उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई।  रजत अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे ,और खेल रहे थे।  रजत को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मां  भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी भी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता/ Understand the agony of others. You will never feel any sorrow

दोस्ती का महत्व/Importance of friends
( Hindi short stories with moral for kids )

 रजत  गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता हैं  । वहां रजत को खूब मजा आता हैं ,क्योंकि नानी के आम का बगीचा हैं  वहां रजत ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं,पर उन्हें रजत आम नहीं खिलाता है।

       एक  दिन की बात है, रजत को खेलते खेलते चोट लग गई। रजत के दोस्तों ने रजत  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी माता  से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर रजत को मालिश किया गया।

        माता  ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। रजत जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

  नैतिक शिक्षा – 

        दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपानी नहीं चाहिए/Always love your best friend. And take the time to choose your friends. Because friends will decide your behavior towards the situation in life.

चिड़िया के होंसले की कहानी |/Chidiya ke honsle ki Story In Hindi


          एक  जंगल था  जिसमें भांति भांति के  छोटे-बड़े जानवरों और पक्षियों का बसेरा था।  उसी जंगल के एक पीपल के पेड़ पर घोंसला बनाकर एक सोहन चिड़िया भी रहा करती थी जो बहुत छोटी सी थी सब उसे प्यार से नन्ही नानी कहते थे। एक दिन जंगल में भीषण आग लग गई।  

      सही जीव जन्तुओ में चारो और  हा-हाकार मच गया। सब अपनी जान बचाकर भागने लगे लेकिन छोटी  चिड़िया जिस पेड़ पर रहा करती थी वह भी आग की चपेट में आ गया था। ऐसी परिस्थति में चिड़िया को भी अपनी जान बचाने के लिए उसे भी अपना घोंसला छोड़ना पड़ा।

     लेकिन चिड़िया  जंगल की आग देखकर बिलकुल भी नहीं  घबराई।  वह तुरंत बिना वक्त गंवाए नदी के पास गई और अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की ओर लौटी. चोंच में भरा पानी आग मे छिड़ककर वह फिर नदी की ओर गई. 

      इस तरह नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर बार-बार वह जंगल की आग में डालने लगी। उसकी इस हरकत को बाकि सभी जानवर देख रहे थे और चिड़िया की इस मूर्खतापूर्ण काम को देख कर सभी हंसने लगे और  बोले, “अरे चिड़िया रानी, ये क्या कर रही हो? चोंच भर पानी से जंगल की आग बुझा रही हो,मूर्खता छोड़ो और प्राण बचाकर भागो. जंगल की आग ऐसे नहीं बुझेगी।”

       उनकी बातें सुनकर चिड़िया बोली, “तुम लोगों को भागना है, तो भागो  मैं नहीं भागूंगी  ये जंगल मेरा घर है और मैं अपने घर की रक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगी फिर कोई मेरा साथ दे न दे.”

       चिड़िया की बात सुनकर सभी जानवरों के सिर शर्म से झुक गए।  उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।  सबने चिड़िया से क्षमा मांगी और फिर उसके साथ जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास में जुट गए. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और जंगल में लगी आग बुझ गई।

Moral of the story -मनुष्य को भी नन्ही चिड़िया के जैसे कठिन परिस्थति में  बिना प्रयास के कभी हार नहीं माननी चाहिए।


                               मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
                               पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।  


विपत्ति चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो? बिना प्रयास के कभी हार नहीं मानना चाहिए.



 

सोमवार, 3 अप्रैल 2023

शेर की कहानियाँ हिंदी में

  शेर और भोले पंडित की कहानी 
Monkey Claverness save Poojari

     एक बार जंगल के पास एक गाँव था और जंगल से जंगली जानवर गाँव में आ जाते थे और जानवरो को शिकार बनाते थे। एक बार जंगल का राजा शेर आ गया। शेर गाँव के जानवरों को मार का खा जाता था। गाँव वाले बहुत परेशान हो गए और उन्होंने गाँव के पास एक पिंजरा लगाकर शेर को पिंजरे में बंद कर दिया। 

एक दिन सांय पूजा करके मंदिर का पुजारी घर आ रहा था। तभी शेर ने पुजारी जी से पिंजरा खोलने का आग्रह किया। 

पुजारी जी ने कहा –“पक्का तुमने गाँव वालों को परेशान किया होगा तभी तुम्हें इस पिंजरे में बंद किया है। 

यदि मैं पिंजरा खोल दूंगा तो तुम मुझे खा जाओगे। ” शेर ने पक्का वचन दिया कि पुजारी उसका पिंजरा खोल देगा तो शेर उसे कुछ नहीं करेगा और जंगल चला जायेगा। 

पुजारी ठहरा दयालु प्रवर्ती का और वह शेर की बातों में आ गया और पिंजरा खोल दिया जैसे ही पुजारी ने पिंजरा खोला वैसे ही शेर ने उसे दबोच लिया। 

भोला पुजारी बोला – “ शेर ! तुम तो जंगल के राजा हो और मैंने तुम्हारी सहायता की है। तुमने मुझे पक्का वचन भी दिया था कि तुम मुझे नहीं खाओगे। ” 

शेर –“मैं तो जंगली जानवर हूँ मैं ये वचन का पालन नहीं कर सकता,मुझे जोरों की भूख लगी है और मैं तुम्हें खा कर अपनी भूख मिटाऊंगा।” 

 वहीँ पास में एक पेड़ पर एक बन्दर बैठा था और वो पुजारी और शेर का पूरा किस्सा सुन रहा था। पुजारी की बात सुनकर बन्दर बोला –“पुजारी क्यों बेवकूफ बना रहे हो ! शेर तो पिंजरे में हो ही नहीं सकता क्योंकि शेर इतना बड़ा है और पिंजरा इतना छोटा। शेर इसमें बंद नहीं हो सकता। ”

 बन्दर की बात सुनकर शेर बोला -“मूर्ख बन्दर ! इन गांव वालो ने मुझे इसी पिंजरे में बंद किया था। ”

 बन्दर बोला- “मैं मान ही नहीं सकता। आप इतने बड़े और ये पिंजरा इतना छोटा ! ना ये संभव नहीं हो सकता। जब तक आप इस पिंजरे में जा कर नहीं दिखलायेंगे ,मैं कैसे मान लूँ आपको कोई इतने छोटे पिंजरे में बंद कर सकता है। 

 बंदर के कहने पर शेर पिंजरे में चला गया। जैसे ही शेर पिंजरे में गया बन्दर ने बाहर से पिंजरा बंद कर दिया। इस प्रकार शेर फिर से पिंजरे में बंद हो जाता है और बन्दर की चतुराई से भोले भाले पुजारी की जान बची। 

शिक्षा – शेर,बन्दर और पुजारी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दुष्ट कभी भी विश्वास के योग्य नहीं होते हैं। ”

शेर और चूहा

Kinds is best quality of Human beings

 एक बार  जंगल में एक शेर गहरी नींद में  सोया हुआ था । तभी उसके पास में एक चूहा आया और चूहा शेर के ऊपर चढ़कर खेलने लगा ।जैसे ही शेर की नींद खुली तो यह सब देख के शेर को गुस्सा आ गया और उसने चूहे को दबोच लिया और उसे खाने लगा। चूहे ने बड़ी मासूमियत से उसे छोड़ने का आग्रह किया हे शेर मामा आप मुझे छोड़ दीजिए किसी दिन में आपकी मदद करूंगा। चूहे को मासूमियत से शेर को दया आ गई व शेर उसपे हंसने लगा।और उसने चूहे को छोड़ दिया।  

       कुछ ही दिन हुऐ थे की  शेर शिकारियों के बिछाए हुऐ जाल के में फंस गया । अब क्या था शेर मजबूर था और खूब कोशिश पर जाल से पार नहीं पा सका दुखी होकर जोर जोर से दहाड़ लगाता रहा। तभी चूहे ने सुना की शेर मामा के दहाड़ने की आवाज आ रही हैं।और तुरंत शेर के पास पहुंच गया। अब क्या था तुरंत जाल को कुतरने लग गया और अपने नुकीले दांतो से जाल को काट दिया।और शेर को आजाद कराया। इस तरह से शेर की दयालुता का अहसान उसकी शिकारियों से जान बचाकर चुकाया। इस प्रकार से शेर और चूहे को दोस्ती पक्की हो गई।


शिक्षा - हमे शारीरिक आधार और ताकतवर और कमजोर से इंसान को छोटा बड़ा नही मानना चाहिए।और हमेशा कमजोर और दिन दुखियो पर दया का भाव रखना चाहिए और मदद करनी चाहिए।


इसलिए रहीम जी ने अपने दोहे में कहा हैं की
"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दिजिए डारी।
जहां काम आवे सुई,कहा करे तलवारी।।" 

प्रश्न 1 -चूहा चीज वस्तुओ को क्यों कुतरता हैं ?


उत्तर -चूहों के दांत निरंतर बढ़ते रहते हैं और ये इतने ज्यादा मजबूत होते हैं कि वे सीमेंट और धातु जैसी चीजों को भी कुतर सकते हैं।  आमतौर पर चूहे के दांत उसके जीवन काल में 20 से 22 सेंटीमीटर तक बढ़ते हैं। यदि चूहा वस्तुओं को कुतरना बंद कर दे तो ये दाँत उसको भोजन करने में बाधक बन जायेंगे और वो भूख से मर्त्यु हो जाएगी इसलिए इसके वस्तुओ के कुतरने से उसके दाँत घिसते रहते हैं और वो आसानी से भोजन कर पता हैं।


प्रश्न 2 -क्या चूहा लोहे के सरियों को भी काट सकता हैं ?


उत्तर- हाँ यह सही हैं की चूहा ताम्बा और लोहे को भी काट सकता हाँ। जर्मनी के एक वैज्ञानिक मिनरलॉगिस्ट फ़्रीड्रिक मोह ने 1812 में वस्तुओ के हॉर्ड्नेस को मापने का एक पैमाना बनाया। इस पैमाने से वस्तुओं की कठोरता का माप किया जाता है। इसमें 1 से 10 तक के स्केल पर चूहों के दाँतो की हार्ड्नेस 5.5 पाई गई। यानि की  चूहों के दाँत तांबा और लोहा दोनो से ज़्यादा कठोर होते हैं। जिस चीज को तांबा या लोहे के औजार से तोड़ा नहीं जा सकता उसे चूहे अपने दांत से कुतर सकते हैं।


प्रश्न 3- चूहे के कितने दांत होते हैं ?


उत्तर -चूहों के 16 दांत होते हैं। उनके चार कृंतक होते हैं, दो ऊपरी और दो निचले, मुंह के सामने स्थित होते हैं, जिनका उपयोग कुतरने और काटने के लिए किया जाता है।

 

घमंडी शेर

एक जंगल में एक शेर था उसको अपनी ताकत पर बहुत घमंड था।  उसके दिमाक में यह बात बार बार आती थी की वह जंगल का राजा हैं और सभी जानवर उससे कांपते हैं।इसलिए उसे अपनी ताकत और साहस का कुछ ज्यादा ही रोब दिखाता था।
एक दिन शेर जंगल की सैर पर जा रहा था रास्ते में उसे एक खरगोश मिला।शेर ने खरगोश से पूछा -"बताओ जंगल का राजा कौन ?"
डरता हुआ खरगोश -"महाराज!आप।"
शेर मन ही मन खुश होते हुए आगे बढ़ गया। रास्ते में उसे हिरण मिल गया।
शेर ने वहीं सवाल हिरण से किया -"बताओ जंगल का राजा कौन?"
हिरण डरते हुए -"महाराज ! आपके अलावा और कौन हो सकता हैं।"
शेर हिरण का जबाव सुनकर प्रसन्नता से आगे चल दिया। खिरगोश और हिरण की तरह ही लोमड़ी और भालू ने भी जवाब दिया और शेर मन ही मन बहुत खुश होता।
अब थोड़ी आगे चलने पर शेर को हाथी मिला शेर ने हाथी से पुछा की "बताओ जंगल का राजा कौन?"
हाथी पहले से ही घर पर झगड़े से गुस्से में था।और शेर की बेतुकी बात सुनकर हाथी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने शेर को अपनी सूंड में शेर को पकड़ा और ऊपर उछाल कर पटक दिया।अब हाथी ने शेर से पुछा -"अब बतलाऊं की जंगल का राजा कौन ?"
हाथी से पिटाई खाकर शेर को बहुत दर्द हो रहा था तभी शेर बोला -"नही हाथी भाई मुझे अपनी ताकत पर घमंड था " अब में समझ गया की हर जगह हेंकड़ी नही दिखानी चाहिए।


शिक्षा -अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए

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        महाभारत में जब हनुमानजी भीम के रास्ते में अपनी पूंछ फैला लेते हुऐ थे तब भी ने अपने घमंड में कहा की ऐ बंदर अपनी पूंछ को रास्ते से दूर कर नही तो मैं इसे उठा कर फेंक दुंगा। तब हनुमान ने कहा की बेटा में अब बूढ़ा हो गया हूं तनिक आप ही कोशिश करके इसे दूर करदो। भीम को गुस्सा आया और वो पूंछ को उठाने लगा लेकिन बिल्कुल भी हिला नही पाया तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिए और भीम को अपनी ताकत के घमंड को सही इस्तेमाल की शिक्षा दी।।

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