रविवार, 12 मार्च 2023

Top 7 Kids Stories -बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां

बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां

-बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां
  दर्जी और हाथी की दोस्ती

       एकबार की बात हैं की एक गांव में एक दर्जी रहता था। दर्जी सुबह प्रात:अपनी दुकान खोल लेता था। उसकी दुकान के सामने से एक व्यक्ति हर रोज अपने हाथी के साथ गांव के तालाब में सुबह सुबह स्नान करने व पानी लाने के लिए जाते थे। दर्जी प्रतिदिन सुबह सुबह हाथी को कुछ खाने के लिए देना शुरू किया। और हाथी आता और दुकान पे रुकता। दर्जी उसे कुछ खाने को देता और उसके सूंड पे हाथ फेरता। इसके बदले हाथी भी तालाब से वापसी के समय दर्जी के लिए तालाब से कमल का फूल लेके आता और दर्जी को फूल देता। 

        यह सिलसिला खूब दिन से चल रहा था। और ये क्रिया एक पशु और मनुष्य की दोस्ती की मिशाल बन गई। सभी लोग दर्जी और हाथी की दोस्ती की चर्चा करते थे।। एक दिन दर्जी को मजाक करने की सूझी और उसने हाथी को कुछ खिलाने।की बजाय उसकी सूंड में सुई चुभा दी। 

      अब क्या था हाथी बहुत नाराज़ हो गया। हाथी उस दिन तालाब से कमल की जगह सूंड में कीचड़ भरकर आय।जैसे ही वो दर्जी की दुकान पे पहुंचा और सारे कीचड़ को उसकी दुकान में फेंक दिया जिससे दर्जी के सारे कपड़े गंदें हो गए।और दर्जी इस घटना से बहुत दुखी हुआ।

शिक्षा -जैसा बोवोगे वैसा पाओगे। इसलिए सबसे मधुर व्यवहार करना ही अच्छा होता हैं । 

लालची कुत्ता 

लालची कुत्ता

   यह कहानी हैं एक कुत्ते की । एक दिन वो भूख के लिए भोजन ढूंढ रहा था। तभी उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। कुत्ते ने उस टुकड़े को मुंह में दबा कर एकांत में खाने का प्लान किया। और वो एक दिशा में चल पड़ा रास्ते में वो एक नदी के ऊपर पुलिया से गुजर रहा था।तभी उसने अपनी परछाई नदी के पानी में देखी। कुत्ते ने सोचा की क्यों न में इसकी रोटी छीन लू फिर आराम से बैठके भोजन करूंगा।  कुत्ता यह सोच ही रहा था की वो अपनी परछाई पे भौंका और भौंकते ही उसका मुंह खुला और उसके मुंह की रोटी पानी में गिर गई। बेचारे कुत्ते को अपने लालची स्वभाव की कीमत अपनी रोटी खो के चुकानी पड़ी। और उसको बहुत पछतावा हुआ।

 शिक्षा - लालच बुरी बला हैं। इसलिए कभी भी अधिक लालच नहीं करना चाहिए।

बंदर मामा और बिल्ली मांसी

बंदर मामा और बिल्ली मांसी

 

       एक बार दो बंदर थे । उनको एक रोटी मिली ।वो अब रोटी का बंटवारा करने लगे तभी उनमें झगड़ा होने लग गया। और वो दोनो एक दूसरे पर अधिक रोटी लेने का आरोप लगाने लगे। तभी उन्होंने बिल्ली मांसी के पास जाकर फैसला करने का निर्णय किया। और बिल्ली के घर पहुंच गए। 

     सारा माजरा समझ के बिल्ली मांसी ने एक तुला ली और दोनो में रोटी का एक एक टुकड़ा रख दिया। लेकिन तुला के एक पलड़े में अधिक होने पर बिल्ली ने एक छोटा टुकड़ा तोड़ के खुद खा लिया। अब दूसरे पलड़े में अधिक रोटी हो गई। अबकी बार उसमे से थोड़ा खा लिया। ऐसा दो से तीन बार किया तब जाके दोनो बंदरो को समझ में आया की उन दोनो की लड़ाई में बिल्ली मांसी ने अपना उल्लू सीधा कर लिया। तुरंत दोनो ने बिल्ली को रोका और बाकी बची हुई रोटी वापस लेके चुपचाप चले गए।

शिक्षा -आपसी झगड़े में हमेशा तीसरा व्यक्ति मौका ढूंढता हैं। इस लिए मध्यस्था की जगह आपसी संवाद में विश्वास करे।

संगठन में शक्ति हैं।

संगठन में शक्ति हैं।

    एकबार चार सांड थे। वो चारो प्रतिदिन जंगल में जाते और एक साथ घास चरते और खुशी खुशी वापस आते। चारो बड़े ही हस्टपुष्ट और ताकतवर थे। उस जंगल के एक शेर था। और उसका इन सांडो का शिकार करके भोजन करने का मन होता था। 

     लेकिन चारो सांडो के बलशाली और एकसाथ रहने के कारण हिम्मत नही कर पाता था। एक दिन शेर ने एक सांड को अपनी और बुलाकर कहा की ये तीनो तो हमेशा ताज़ी ताज़ी घास खाते हैं और तुम्हारे लिए सुखी घास का एरिया छोड़ते हैं। अब शेर की ये बात उस सांड के दिल में घुस गई और दूसरे दिन वो अकेला ही दूसरे एरिया में घास चरने चला गया। अब क्या था शेर ने उसे अकेला देख के उसका शिकार कर लिया और खा गया। ऐसा ही करके उसने चारों सांडो को अलग अलग करके शिकार कर के खा गया।

शिक्षा - एकजुटता में जो ताकत हैं वो किसी भीं और चीज में नही होती हैं। इसलिए संगठन में ही शक्ति होती है।

किसान और उसके बेटे 

किसान और उसके बेटे

        एक किसान था उसके चार बेटे थे। किसान पी में काम करके अपना गुजर बसर करता था। अब किसान बुढ़ा होने लगा था।और उसको अपने बेटो की चिंता सताने लगी थी। एक दिन किसान ने चारो बेटो को बुलाया और अपने पास बैठाया। किसान ने बेटो को बताया की अब वो बूढ़ा और कमजोर हो चुका है। इसलिए अधिक दिन तक जिंदा नहीं रहेगा। किसान ने कहां की उसके मरने के बाद उसके चारो बेटे खेत में जाएं। बना खजाना छुपा हुआ हैं। 

      और ये बताने के कुछ दिन बाद किसान की मृत्यु हो गई। कुछ दिन बात किसान पुत्रों ने खेत में जाकर खजाना ढूंढने का निर्णय किया। और चारो ने पूरे खेत को फावड़े से खुदाई कर डाली। लेकिन उन्हें कन्ही भीं खजाना नहीं मिला। उधर से एक बुजुर्ग गुजर रहा था। उसने खेत की खुदाई देख के कहा की उन्हे खेत में गेहूं की बुवाई कर देनी चाहिए। चारो ने उसकी बात मानके खेत में गेहूं उगा दिया। कुछ महीनो के बाद फसल तैयार हुई और खूब पैदावार हुई। तब उनको समझ में आया की उनके पिता ने उन्हें मेहनत को ही छुपा हुआ खजाना कहा था।

शिक्षा - मेहनत ही जीवन का असली धन हैं।

वकील और गुरुजी को कहानी 

      एक बार की बात हैं की एक वकील और एक गुरुजी दोस्त थे। वकील थोड़ा चालक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। गुरुजी के पास कुछ जमीन थी और उसमे एक कुंआ था और उसमे अच्छा खासा पानी था। होता क्या है की गुरुजी ने वो जमीन और कुंआ वकील से खरीद ली। 

      कुछ दिन में प्रॉपर्टी के कागज़ गुरुजी के नाम हो गए। थोड़े समय के अंतराल के बाद वकील आता है और कहता हैं की  गुरुजी आपको मैने कुंआ बेचा हैं पानी नहीं। गुरुजी समझ गए की वकील ने अपनी होशियारी दिखा दी हैं। गुरुजी ने उस समय कहा की ये तो एकदम सही है। मैने कुंआ खरीदा हैं। अब।वकील पानी यूज करने लगा। 

    थोड़े दिन का समय गुजरा ही था की एक दिन गुरुजी सुबह सुबह वकील के घर पहुंच गए और बोला की दोस्त वो कुंआ तो मैंने खरीद लिया हैं आप अपना पानी खाली करो। ऐसी परिस्थिति में पाकर विचार वकील बड़ा शर्मिंदा हुआ और वकील की होशियारी धरी की धरी रह गई।

शिक्षा - हर जगह पर होशियारी दिखाना उल्टा पड़ जाता हैं

मेले में सुन्दर बैल और ग्राहक को कहानी 

      एक बार एक मेला लगा हुआ था । मेले में जी तरह तरह के सामान और जानवरों की बिक्री होती थी। उसी मेले में एक स्टॉल पर एक व्यक्ति अपना बैल बेचने आया हुआ था। अमूमन मेले।में सस्ता माला बिकता हैं लेकिन उस व्यक्ति का बैल बहुत हस्तपुष्ट और सुंदर था। सभी लोग आते और इस बैल की तारीफ करते और वैसा बैल उनके पास भी होना चाहिए अपनी इच्छा बताते लेकिन जब मोल भाव पूछते तो व्यक्ति कीमत बोलता की दस हजार रुपया। ऊंची कीमत सुनते ही लोग चले जाते। 

      एक व्यक्ति आया और उसे बैल बहुत पसंद आए। उसने कीमत जानी और तुरंत उसे दस हजार रुपए थमा दिए।व्यक्ति ने पैसे गिने और जेब में रख लिए। व्यक्ति को ग्राहक बहुत अच्छा लगा इसलिए उसने उसे कहा की आप बैठिए में आपकी कुछ खातिरदारी करता हु। लेकिन ग्राहक ने कहा की नही आप मुझे बैल दीजिए मुझे जाना हैं। व्यक्ति ने उसे कहा की भया तनिक जल सेवन कर लो। लेकिन ग्राहक ने मना कर दिया और फिर कहा की बैल उसे दे दे उसका जल्दी जाना हैं। व्यक्ति ने उसे फिर चाय पीने को कहा फिर खाने के लिए पुछा फिर उसे स्मोकिंग के कहा लेकिन ग्राहक हर बात पे ना में ही जवाब देता और जल्दी जाने के लिए कहता। व्यक्ति ने अपनी जेब से पैसे वापस निकाल के ग्राहक के हाथ में थमा दिए और बैल देने को मना कर दिया। ऐसा देख ग्राहक ने कहा की भया क्या बात हो गई। तब उस व्यक्ति ने कहा की मैने इस बैल का बड़े प्यार व लाड़चाव से पाला हैं। आपकी ये जल्दी इसे थोड़े ही दिन में मार देगी। 

      ग्राहक ने कहा वो कैसे। तब व्यक्ति ने बताया की आपको मैने आवभगत के लिए इसलिए कहा ताकि आप थोड़ा आराम कर ले लेकिन आप तो एक ही रट लगाए हुए थे की जल्दी जाना हैं। मैं समझ गया की आप इस बैल का तनिक भी आराम नही करने दोगे और ये मर जायेगा।।

शिक्षा - किसी की आवभगत को फॉर्मेलिटी से मत देखिए वो व्यक्ति आपको आराम देना चाहता हैं









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