मंगलवार, 21 मार्च 2023

BLACK COLOUR STORY-काले रंग के परिवार की कहानी

  काले रंग के परिवार की कहानी

काले रंग के परिवार की कहानी

  एक व्यक्ति जिसका नाम गौरीशंकर था पर उसका रंग काला था उसकी नौकरी शहर में लग गई। वह खुशी खुशी गांव के जीवन से अपने आपको शहर के रंग ढंग में ढालने लगा। खान पान से लेकर उठने और बैठने,बोलने,पहनने तक बनावटीपन डालना शुरू कर दिया। उसे इस प्रकार के बनावटीपन की आदत नहीं थी। लेकिन जीवन का एक बड़ा हिस्सा नौकरी के कारण अब उसे शहर में गुजरना था।इसलिए अपनी जीवनशैली में ये सब तब्दीलियां लाना आवश्यक था। वो बहुत ही सकारात्मक विचारों का व्यक्ति था। इसलिए परिवर्तन में विश्वास करता था।। नौकरी के शुरुवाती दिनों में गौरीशंकर  कंवारा था और शहर में किराए के मकान में ही रहता था। और कोशिश करता की अधिक से अधिक पैसे बचाएं जा सके। 

      कुछ वर्ष की नौकरी के बाद उसका विवाह गांव की एक लड़की से हो गया। उस व्यक्ति के परिवार में सभी लोगों का रंग श्याम रंग था। और घर में नई बहू भी श्याम रंग की ही आ गई। लेकिन गांव में उनका व्यवहार और भाषा बहुत ही मधुर और मिलनसार था इसलिए हमेशा से ही लोगों के साथ उनका प्रेम के रिश्ते थे।विवाह होने के बाद गौरीशंकर ने शहर में घर खरीद लिया और अब अपने माता पिता और पत्नी के साथ रहने लगा। जिस कॉलोनी में घर खरीदा तो पड़ोस में निर्मल का परिवार पहले से ही रह रहा था।


      अब गौरीशंकर कोशिश करता की पड़ोसी से अच्छे संबंध बनाने के लिए सुबह सांय जब मिलते तो उनको अभिवादन स्वरूप नमस्ते बोलता । उसके माता पिता भी शहर में नए थे। वो भी निर्मल के परिवार  को सम्मान पूर्वक राम राम बोलते । लेकिन उस वगौरीशंकर ने महसूस किया की निर्मल परिवार  उनको लगातार अनदेखी  करते रहते थे।। अब पड़ोसी परिवार के पुरुष महिला सभी लोग उनको कलुवा परिवार बोलते थे। और कभी कभार वो गौरीशंकर  के परिवार को भी सुनने को मिलता । उनके श्याम रंग के कारण वो लोग उनको तुछ्य व हीन समझते थे। कभी कोई भी बात होती तो उसमे उनका उनके काले रंग को लेकर कटास करने से नही चूकते। लेकिन गौरीशंकर  का परिवार प्रेम की पोटली से बना था और बहुत ही विनम्र स्वभाव के संस्कारी लोग थे वो इस बात का कभी भी बुरा नही मानते थे। और अधिकांश समय आगे चलके बात करने की पहल करते या कोई बहाना दूंढते।कुछ वर्ष बीत जाने के बाद गौरीशंकर के घर  बेटी पैदा हुई। और उसका रंग गौरा था। परिवार में सभी खुश थे। लेकिन निर्मल परिवार उसका भी अलग अलग तरह से मजाक बनाते। 

      एक बार क्या हुआ की निर्मल  परिवार घूमने के लिए गया हुआ था ।और निर्मल के बुजुर्ग माता पिता घर पर ही थे। उस दौरान एक रात्रि को उनके घर पर बिजली का शॉर्ट सर्किट में आग।लग गई। और घर में धुंवा फैल गया। उस व्यक्ति का परिवार बगल में ही रहता था ।इसलिए उन्हे जलने की बदबू आई। तुरंत उन्होंने घर में ध्यान दिया जब कुछ भी नही दिखा तो वह व्यक्ति बाहर निकल कर देखने लगा तो उसे निर्मल के घर में धुँवा  दिखाई दि। उसने तुरंत सभी को आवाज लगाई और फायर ब्रिगेड को फोन किया। और बहादुरी दिखाते हुए उनके घर में दाखिल हुआ और देखा की दोनो बुजुर्ग बेहोश हो चुके थे। उनको निकाल कर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। और उनकी पूरी देखभाल की 2 दिन के बाद उनका परिवार घूमने के बाद वापस आया तो उनको इस घटना से बहुत दुख हुआ। लेकिन गौरीशंकर  के कारण उसके वर्ष माता पिता बच गए थे। जब उनको पता चला तो निर्मल परिवार को बहुत पछ्तावा हुआ,और वह अपनी पत्नी,बेटे और पुत्रवधु के साथ उनके घर आया और उनकी सहायता के लिए धन्यवाद दिया। और उनके श्याम रंग के कारण उनकी उपेक्षा के लिए भी क्षमा मांगी और अपनी शर्मिंदगी जाहिर की। उन्होंने भी उनको इस बात के लिए माफ कर दिया। पर खुदा की नीति को कौन पहुंचता हैं निर्मल  की पुत्रवधु ने भी कुछ समय बाद एक लड़के को जन्म दिया। और वो बच्चा बिलकुल ही काले रंग का पैदा हुआ। तब उनको समझ आया की ईश्वर ने किसी को रंग दिया ,किसी को रूप दिया, किसी को गुणों का भंडार दिया। इसलिए दुसरो के रंग रूप से व्यक्ति के व्यक्तित्व को नही आंकना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसके गुणों और व्यवहार से होती हैं। यह ही सत्य है।

QUESTION-लोगों का रंग काला क्यों होता हैं ? 

ANSWER-लोगों का रंग गोरा या काला होना हमारी त्वचा में पाए जाने वाले मेलेनिन नामक वर्णक की मात्रा के आधार पर तय होता है People have a fair complexion based on the amount of pigment called melanin found in our skin.

QUESTION-रंगों का राजा कौन सा है?

ANSWER-ब्लू (जैसा कि "रॉयल ब्लू") विशिष्टता की सूची में उच्च है। बैंगनी रंग की दुर्लभता और तीव्रता के कारण यह रंग हमेश से रॉयल्टी से जुड़ा है, प्राचीन रोमन साम्राज्य में केवल धनी और अमीर सम्राट ही इस रंग के कपडे पहन सकते थे।

 


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