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शनिवार, 3 जून 2023

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

 

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

शुतुरमुर्ग के अंडे
 

Cशुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी भारतीय परंपरा में प्रसिद्ध है। यह कहानी बचपन में हमें सिखाती है कि हमें विश्वास करना चाहिए और जिसे हम नहीं देख सकते, उस पर आशा रखनी चाहिए।

      कहीं दूर एक गांव में एक बूढ़ी महिला अकेली रहती थी। उसके पास केवल एक शुतुरमुर्ग था, जिसे वह बहुत प्यार करती थी। शुतुरमुर्ग ने अकेलेपन में उसे साथ दिया था और वह उसे अपना सब कुछ समझती थी।

       एक दिन बूढ़ी महिला ने एक सप्ताहांत से पहले देखा कि शुतुरमुर्ग बहुत उदास और चिंतित लग रहा है। उसने शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे देने का फैसला किया। वह सोचती थी कि इससे शुतुरमुर्ग का मन लगेगा और वह फिर से खुश हो जाएगा।

        बूढ़ी महिला ने उस दिन सुबह उठते ही शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे दिए। शुतुरमुर्ग ने अंडे देखकर खुशी के साथ उन्हें अपने पास रख लिया। वह सोचने लगा कि चांदी के रंग के अंडों से वह अब अधिक खास हो गया है।

      दिन बितते गए, लेकिन कुछ ही दिनों में शुतुरमुर्ग फिर से उदास और चिंतित लगने लगा। बूढ़ी महिला चिंतित हो गई और सोचने लगी कि उसका फैसला गलत था। उसे लगा कि शुतुरमुर्ग को कुछ और होना चाहिए।

      वह नदी के किनारे गई और नदी में रहने वाली एक महिला को मिली। वह महिला उसे बताई कि शुतुरमुर्ग के अंडे सिर्फ इतने ही रंग के होते हैं, वे कभी चांदी के रंग के नहीं होते। यह सिर्फ एक कथा है और एक तरह से तुम्हें यह सिखाती है कि हमें जो कुछ है, उसे स्वीकार करना चाहिए और वही सबसे महत्वपूर्ण होता है।

       बूढ़ी महिला घर लौटी और शुतुरमुर्ग के पास गई। उसने अपनी गलती स्वीकार की और अपनी ओर से उसे खास बनाने के लिए एक बेहतरीन इंद्रधनुष बनाया। शुतुरमुर्ग ने उसे देखा और खुशी से उसे अपने पंखों में उड़ा लिया।

   शिक्षा  

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे लिए पर्याप्त है। हमें अपनी संख्या में आने वाली खुशियों को स्वीकार करना चाहिए और जीवन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे हमें खुशहाली, समृद्धि और शांति मिलेगी।

FAQ  

Question :शुतुरमुर्ग का अंडा का वजन कितना होता है

Answer :शुतुरमुर्ग के एक अंडे का वजन लगभग 1.6 किलोग्राम है। यानी शुतुरमुर्ग का एक अंडा मुर्गी के 24 अंडों के बराबर होता है। सभी पक्षियों में शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ा होता है।

Question :शुतुरमुर्ग के अंडे कैसे सेने होते हैं ? 

Answer :नर शुतुरमुर्ग घोंसला बनाता है,जो 30 सेंटीमीटर गहरा रेत का एक बड़ा-सा गड्ढा बनांता है। इसमें अच्छे प्रकार से  टहनियां डाली जाती हैं। अंडे सेने की जिम्मेदारी केवल मादा की नहीं होती। नर और मादा दोनों मिलकर अंडे को सेते हैं

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी

 पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी 

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी
 एक समय की बात है, एक गांव में एक पशु प्रेमी किसान रहता था। उसके पास एक घोड़ा और कुछ बकरे थे। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

       किसान के पास एक बड़ा खेत था, जिसमें वह फल, सब्जियां और चारा उगाता था। घोड़ा और बकरे खेत में घूमने का आनंद लेते थे और सब्जियों को चबाकर खाते थे। किसान ने इन पशुओं को बहुत अच्छा खाना देते थे और उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ते थे।

         एक दिन, बड़ा बवंडर आया और उससे घोड़ा और बकरे अचानक अलग हो गए। खेत पर बहुत सारी बारिश हुई और उनका रास्ता भटक गया। पशु प्रेमी किसान बहुत चिंतित हो गए।

      वह उन्हें खोजने के लिए उनकी खोज में निकल पड़े। दिन भर की मेहनत के बाद, वह अपने घोड़े और बकरों को ढूंढ़ निकले और उन्हें खेत में वापस लाए।

      घोड़ा और बकरे खेत तक बहुत खुश थे क्योंकि वहां उनको आरामदायक और स्वादिष्ट चारा मिल रहा था। पशु प्रेमी किसान अपनी पशुओं को देखकर बहुत खुश थे क्योंकि वे सुरक्षित और सम्पन्न थे।

      शिक्षा : यह कहानी हमें सिखाती है कि पशुओं की सेवा करना और उनकी देखभाल करना हमारा कर्त्तव्य है। यह हमें प्रेम और समझदारी की भावना सिखाती है। हमें पशुओं के प्रति ध्यान और प्यार देना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें उनकी संरक्षण करना चाहिए।

पशु प्रेमी किशन की कहानी

एक गांव में एक पशु प्रेमी रहता था। उसका नाम किशन था। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

एक दिन किशन ने एक सड़क के किनारे देखा कि एक बेचारा घोड़ा बहुत बीमार होकर बिल्कुल दुबला-पतला हो गया है। उसकी आंखों में दुख और दुर्दशा का दृश्य था। किशन ने उसे देखकर दया की भावना से उसके पास गया और उसे ले आया।

किशन ने घोड़े की देखभाल शुरू की, उसे ठंडी और स्वच्छ जगह में रखा, उसे अच्छा खाना खिलाया और उसके लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान की। धीरे-धीरे, घोड़ा स्वस्थ हो गया और उसकी खूबसूरती वापस आ गई।

कुछ समय बाद, किशन एक बकरे को देखा जो गरीबी और बीमारी के कारण बहुत कमजोर हो गया था। उसकी उन्नति के लिए कोई साधन नहीं थे और वह असहाय था। किशन ने बकरे की देखभाल शुरू की, उसे उचित आहार और देखभाल प्रदान की। धीरे-धीरे, बकरा स्वस्थ हो गया और उसकी शक्ति और प्रगति देखी गई।

किशन ने अपने पशु-मित्रों की सेवा करके बहुत संतुष्टि महसूस की। उसने समझा कि पशुओं की देखभाल में उनका ख्याल रखना, उन्हें प्यार देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना असली पशु-प्रेम का अर्थ है।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें सभी प्राणियों की सेवा करनी चाहिए और पशु-प्रेम और दया दिखानी चाहिए। पशुओं के प्रति सम्मान और देखभाल करना हमारी मानवता के प्रतीक है।

सोमवार, 3 अप्रैल 2023

शेर की कहानियाँ हिंदी में

  शेर और भोले पंडित की कहानी 
Monkey Claverness save Poojari

     एक बार जंगल के पास एक गाँव था और जंगल से जंगली जानवर गाँव में आ जाते थे और जानवरो को शिकार बनाते थे। एक बार जंगल का राजा शेर आ गया। शेर गाँव के जानवरों को मार का खा जाता था। गाँव वाले बहुत परेशान हो गए और उन्होंने गाँव के पास एक पिंजरा लगाकर शेर को पिंजरे में बंद कर दिया। 

एक दिन सांय पूजा करके मंदिर का पुजारी घर आ रहा था। तभी शेर ने पुजारी जी से पिंजरा खोलने का आग्रह किया। 

पुजारी जी ने कहा –“पक्का तुमने गाँव वालों को परेशान किया होगा तभी तुम्हें इस पिंजरे में बंद किया है। 

यदि मैं पिंजरा खोल दूंगा तो तुम मुझे खा जाओगे। ” शेर ने पक्का वचन दिया कि पुजारी उसका पिंजरा खोल देगा तो शेर उसे कुछ नहीं करेगा और जंगल चला जायेगा। 

पुजारी ठहरा दयालु प्रवर्ती का और वह शेर की बातों में आ गया और पिंजरा खोल दिया जैसे ही पुजारी ने पिंजरा खोला वैसे ही शेर ने उसे दबोच लिया। 

भोला पुजारी बोला – “ शेर ! तुम तो जंगल के राजा हो और मैंने तुम्हारी सहायता की है। तुमने मुझे पक्का वचन भी दिया था कि तुम मुझे नहीं खाओगे। ” 

शेर –“मैं तो जंगली जानवर हूँ मैं ये वचन का पालन नहीं कर सकता,मुझे जोरों की भूख लगी है और मैं तुम्हें खा कर अपनी भूख मिटाऊंगा।” 

 वहीँ पास में एक पेड़ पर एक बन्दर बैठा था और वो पुजारी और शेर का पूरा किस्सा सुन रहा था। पुजारी की बात सुनकर बन्दर बोला –“पुजारी क्यों बेवकूफ बना रहे हो ! शेर तो पिंजरे में हो ही नहीं सकता क्योंकि शेर इतना बड़ा है और पिंजरा इतना छोटा। शेर इसमें बंद नहीं हो सकता। ”

 बन्दर की बात सुनकर शेर बोला -“मूर्ख बन्दर ! इन गांव वालो ने मुझे इसी पिंजरे में बंद किया था। ”

 बन्दर बोला- “मैं मान ही नहीं सकता। आप इतने बड़े और ये पिंजरा इतना छोटा ! ना ये संभव नहीं हो सकता। जब तक आप इस पिंजरे में जा कर नहीं दिखलायेंगे ,मैं कैसे मान लूँ आपको कोई इतने छोटे पिंजरे में बंद कर सकता है। 

 बंदर के कहने पर शेर पिंजरे में चला गया। जैसे ही शेर पिंजरे में गया बन्दर ने बाहर से पिंजरा बंद कर दिया। इस प्रकार शेर फिर से पिंजरे में बंद हो जाता है और बन्दर की चतुराई से भोले भाले पुजारी की जान बची। 

शिक्षा – शेर,बन्दर और पुजारी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दुष्ट कभी भी विश्वास के योग्य नहीं होते हैं। ”

शेर और चूहा

Kinds is best quality of Human beings

 एक बार  जंगल में एक शेर गहरी नींद में  सोया हुआ था । तभी उसके पास में एक चूहा आया और चूहा शेर के ऊपर चढ़कर खेलने लगा ।जैसे ही शेर की नींद खुली तो यह सब देख के शेर को गुस्सा आ गया और उसने चूहे को दबोच लिया और उसे खाने लगा। चूहे ने बड़ी मासूमियत से उसे छोड़ने का आग्रह किया हे शेर मामा आप मुझे छोड़ दीजिए किसी दिन में आपकी मदद करूंगा। चूहे को मासूमियत से शेर को दया आ गई व शेर उसपे हंसने लगा।और उसने चूहे को छोड़ दिया।  

       कुछ ही दिन हुऐ थे की  शेर शिकारियों के बिछाए हुऐ जाल के में फंस गया । अब क्या था शेर मजबूर था और खूब कोशिश पर जाल से पार नहीं पा सका दुखी होकर जोर जोर से दहाड़ लगाता रहा। तभी चूहे ने सुना की शेर मामा के दहाड़ने की आवाज आ रही हैं।और तुरंत शेर के पास पहुंच गया। अब क्या था तुरंत जाल को कुतरने लग गया और अपने नुकीले दांतो से जाल को काट दिया।और शेर को आजाद कराया। इस तरह से शेर की दयालुता का अहसान उसकी शिकारियों से जान बचाकर चुकाया। इस प्रकार से शेर और चूहे को दोस्ती पक्की हो गई।


शिक्षा - हमे शारीरिक आधार और ताकतवर और कमजोर से इंसान को छोटा बड़ा नही मानना चाहिए।और हमेशा कमजोर और दिन दुखियो पर दया का भाव रखना चाहिए और मदद करनी चाहिए।


इसलिए रहीम जी ने अपने दोहे में कहा हैं की
"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दिजिए डारी।
जहां काम आवे सुई,कहा करे तलवारी।।" 

प्रश्न 1 -चूहा चीज वस्तुओ को क्यों कुतरता हैं ?


उत्तर -चूहों के दांत निरंतर बढ़ते रहते हैं और ये इतने ज्यादा मजबूत होते हैं कि वे सीमेंट और धातु जैसी चीजों को भी कुतर सकते हैं।  आमतौर पर चूहे के दांत उसके जीवन काल में 20 से 22 सेंटीमीटर तक बढ़ते हैं। यदि चूहा वस्तुओं को कुतरना बंद कर दे तो ये दाँत उसको भोजन करने में बाधक बन जायेंगे और वो भूख से मर्त्यु हो जाएगी इसलिए इसके वस्तुओ के कुतरने से उसके दाँत घिसते रहते हैं और वो आसानी से भोजन कर पता हैं।


प्रश्न 2 -क्या चूहा लोहे के सरियों को भी काट सकता हैं ?


उत्तर- हाँ यह सही हैं की चूहा ताम्बा और लोहे को भी काट सकता हाँ। जर्मनी के एक वैज्ञानिक मिनरलॉगिस्ट फ़्रीड्रिक मोह ने 1812 में वस्तुओ के हॉर्ड्नेस को मापने का एक पैमाना बनाया। इस पैमाने से वस्तुओं की कठोरता का माप किया जाता है। इसमें 1 से 10 तक के स्केल पर चूहों के दाँतो की हार्ड्नेस 5.5 पाई गई। यानि की  चूहों के दाँत तांबा और लोहा दोनो से ज़्यादा कठोर होते हैं। जिस चीज को तांबा या लोहे के औजार से तोड़ा नहीं जा सकता उसे चूहे अपने दांत से कुतर सकते हैं।


प्रश्न 3- चूहे के कितने दांत होते हैं ?


उत्तर -चूहों के 16 दांत होते हैं। उनके चार कृंतक होते हैं, दो ऊपरी और दो निचले, मुंह के सामने स्थित होते हैं, जिनका उपयोग कुतरने और काटने के लिए किया जाता है।

 

घमंडी शेर

एक जंगल में एक शेर था उसको अपनी ताकत पर बहुत घमंड था।  उसके दिमाक में यह बात बार बार आती थी की वह जंगल का राजा हैं और सभी जानवर उससे कांपते हैं।इसलिए उसे अपनी ताकत और साहस का कुछ ज्यादा ही रोब दिखाता था।
एक दिन शेर जंगल की सैर पर जा रहा था रास्ते में उसे एक खरगोश मिला।शेर ने खरगोश से पूछा -"बताओ जंगल का राजा कौन ?"
डरता हुआ खरगोश -"महाराज!आप।"
शेर मन ही मन खुश होते हुए आगे बढ़ गया। रास्ते में उसे हिरण मिल गया।
शेर ने वहीं सवाल हिरण से किया -"बताओ जंगल का राजा कौन?"
हिरण डरते हुए -"महाराज ! आपके अलावा और कौन हो सकता हैं।"
शेर हिरण का जबाव सुनकर प्रसन्नता से आगे चल दिया। खिरगोश और हिरण की तरह ही लोमड़ी और भालू ने भी जवाब दिया और शेर मन ही मन बहुत खुश होता।
अब थोड़ी आगे चलने पर शेर को हाथी मिला शेर ने हाथी से पुछा की "बताओ जंगल का राजा कौन?"
हाथी पहले से ही घर पर झगड़े से गुस्से में था।और शेर की बेतुकी बात सुनकर हाथी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने शेर को अपनी सूंड में शेर को पकड़ा और ऊपर उछाल कर पटक दिया।अब हाथी ने शेर से पुछा -"अब बतलाऊं की जंगल का राजा कौन ?"
हाथी से पिटाई खाकर शेर को बहुत दर्द हो रहा था तभी शेर बोला -"नही हाथी भाई मुझे अपनी ताकत पर घमंड था " अब में समझ गया की हर जगह हेंकड़ी नही दिखानी चाहिए।


शिक्षा -अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए

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        महाभारत में जब हनुमानजी भीम के रास्ते में अपनी पूंछ फैला लेते हुऐ थे तब भी ने अपने घमंड में कहा की ऐ बंदर अपनी पूंछ को रास्ते से दूर कर नही तो मैं इसे उठा कर फेंक दुंगा। तब हनुमान ने कहा की बेटा में अब बूढ़ा हो गया हूं तनिक आप ही कोशिश करके इसे दूर करदो। भीम को गुस्सा आया और वो पूंछ को उठाने लगा लेकिन बिल्कुल भी हिला नही पाया तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिए और भीम को अपनी ताकत के घमंड को सही इस्तेमाल की शिक्षा दी।।

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शुक्रवार, 31 मार्च 2023

बाज़ का जीवन प्रेरणा स्रोत/बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते/ Hawk life in Hindi

 

 बाज़ के स्वतंत्रता और संघर्ष की कहानी

Hawk/शाहिन

 बाज़,शाहिन या हॉक ये सभी उस जाबाज़ पक्षी के नाम हैं। जिसे दुनिया पक्षियों के राजा के नाम से जानती हैं। आसमान में  32o किलोमीटर की गति से दौड़ने वाले इस पक्षी ने अपने पंजों की मजबूत पकड़,सजगता  के साथ आसमान में तेज गति से दौड़ने के लिए जाना जाता हैं।  इस लेख में आज बाज़ के साहसिक जीवन की अनसुनी बातें जानेंगे ।

बाज़ की शारीरिक बनावट और जीवनचक्र

    बाज़ एक शिकारी पक्षी होता हैं। आमतौर पर इसकी शारीरिक बनावट गरुड़ से छोटी होता है।इसके शरीर की लम्बाई 13-23 इंच तथा पंख की लम्बाई 29-47 इंच होती हैं। मादा बाज़ शारीरक आकार में नर से ज्यादा बड़ी होती है/ बाज़ के पंख पतले तथा मुड़े हुए होते हैं जो उसे तेज़ गति से उड़ने और उसी गति से अपनी दिशा बदलने में सहायक होते हैं। बाज़  की छाती की मजबूत मांसपेशियाँ ,लम्बे पतले पंख और सरल आकार के फाल्कन सही मायने में रफ्तार के लिए ही बने है | बाज़ की करीब 1500 से 2000 प्रजातियां पाई जाती हैं। मादा बाज़ एकबार में 3 से 5 अण्डे देती हैं और 35 दी तक शेती हैं। इस दौरान नर बाज़ भोजन की व अन्य व्यवस्ता करता हैं।  इसके चूजे जीवन के शुरुवाती 6  सप्ताह में ही 3 से 4 किलोग्राम वजन  हैं। इसकी गर्दन 270 डिग्री तक घूम सकती हैं।  अलावा बाज़ एक साथ दो  बिंदुओ पर देख सकता हैं। 

        बाज़ एक मांसहारी पक्षी होता हैं। 

      इसे घने जंगल,पहाड़ और वृहत रेगिस्थान पसंद नहीं होता हैं। बाज़ बड़े पेड़ो पर अपना घोंसला बना कर रहता हैं यह बार बार जगह नहीं बदलता हैं। घोंसले में ये चीजें जोड़ता रहता हैं इसलिए इसके घोंसले 4 से 6 फ़ीट तक बड़े और वजनदार हो जाते हैं।  इसलिए ही बाज़ अपने जीवन काल में एक स्थान पर ही रहना पसंद करता हैं।  जब तक भोजन जैसी समस्या नहीं होती यह अपना निवास स्थान नहीं बदलता हैं। बाज़ अपने भोजन के लिए खरगोश,चूहे,गिलहरी,मछली,और काम गति से उड़ने वाले पक्षियों का शिकार करता हैं।  यह लोमड़ी और हिरन जैसे जानवरो को अपने पंचो में जकड कर शिकार कर लेता हैं। यह अपने वजन से अधिक वजन के पशु पक्षियों का शिकार करने में सक्षम होता हैं।  बाज़ को पानी में भी तैरना भी आता हैं। परंतु ये पानी से सीधे हवा में वापस नहीं उड़ सकता इसके लिए इसे पानी से धरातल पर आना पड़ता हैं। इसकी आंखे बहुत तेज होती हैं यह पांच किलोमीटर से अपने शिकार को देख सकती हैं।बाज़ की आंखों का वजन उसके दिमाक से भी भारी होता हैं।और तो और ये अल्ट्रा वायलेट लाइट को भी देखने की क्षमता रखता हैं।

           पौराणिक कथाओं के अनुसार बाज को भगवान विष्णु का वाहन माना गया हैं। वर्तमान में बाज़ संयुक्त अरब अमीरात का राष्टीय पक्षी हैं और UAE में लोग घरों में पालते हैं। बाज़ कुछ मिनिट्स में आसमान में 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाता हैं और कई घंटो तक बिना पंख हिलाए उड़ सकता हैं।एक बार में बाज़ 7 से 8 घंटे लगातार उड़ान पर रह सकता हैं।जंगल में बाज़ का जीवन 23 से 30 वर्ष तक होता हैं।जबकि पालतू बाज़ 50 वर्ष तक जीवनकाल पूरा करते हैं।

      बाज़ अपने बच्चो को जो उड़ने की ट्रेनिंग देता हैं वो दुनिया में कमांडो ट्रेनिंग की भांति सबसे कठिन और रिस्क वालीं ट्रेनिंग होती हैं।

"बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते "

(कहानी )

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बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते

यह कहावत ही बाज़ की अपने बच्चो की ट्रेनिंग की कहानी को बयान करती हैं। माना जाता हैं जब बाकी पक्षियों के बच्चे बचपन में चहकते रहते हैं तब तक बाज़ के बच्चे ऐसे शिकारी बनते हैं जो अपने वजन से दस गुणा प्राणियों का शिकार करते हैं।मादा बाज पक्षी अपने चूजे को पंजे मे दबोचकर 10  से 12 किलोमीटर तक ऊंची उड़ जाती है । इतनी ऊंचाई पर जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।

        अब वह जमीन के बिल्कुल करीब आ जाता  है ।धरती के जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को अब उसकी दूरी धरती से बचती है महज 7 से 800 मीटर लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।उस मुकाम पर पहुंचकर वह एक परिस्थिति में स्थिर हो जाती है! और फिर यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की “कठिन परीक्षा” उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है.तेरी दुनिया क्या है तेरी ऊंचाई क्या है तेरा मुकाम बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 किलोमीटर उस चूजे को पता भी नहीं होती कि उसके साथ क्या हो रहा है 7 किलोमीटर के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते हैं वह खुलने लगते हैं।लगभग 9 किलोमीटर आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते हैं ।यह जीवन का प्रथम समय होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता हैं।अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर होता हैं लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है धरती से लगभग 4 से 500 मीटर दूरी पर बच्चे को महसूस होता  है कि उसके जीवन का शायद यह अंतिम  समय है फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।

      यह पंजा उसकी मां का था जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती हैं।और यह बाज के चूजे की पहली ट्रेनिंग थी और ये निरंतर चलती रहती है जब तक कि उसका बच्चा उड़ना नहीं सीख जाता।ये ट्रेनिंग बिल्कुल एक कमांडो की तरह होती है High pressure and maximum risk… तब जाकर दुनिया को एक शाहीन/बाज़ मिलता है जो वायु की दुनिया का अघोषित बादशाह कहा जाता है ।

हिंदी की यह  कहावत हैं की

“बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते”

    मादा बाज शुरू से ही अपने बच्चों को संघर्ष करना सिखाती है। हम इंसानों की तरह वो उन्हें सुख सुविधाओं के साथ नहीं पालती। इसलिए बाज के बच्चे हमेशा बहादुर और संघर्षशील होते हैं।

      आज के माता पिता को निश्चित अपने  बच्चों के पीछे मादा बाज़ की भांति चिपक के रहना चाहिए जब तक वह इस दुनियां की मुश्किलों से रूबरू नही हो जाता उन्हे लड़ना सिखाइए बिना आवश्यकता के संघर्ष करना सिखाएं ताकि  मजबूत पंखों के बलबूते वो इस दुनिया में ऊंचाई पर उड़ान भर सके।

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गुरुवार, 9 मार्च 2023

cowardly rabbit-डरपोक खरगोश की कहानी

 Don't believe what you hear

(Story) 

डरपोक खरगोश की कहानी

A rabbit lived in a  dip forest. He was very fearful. If even the slightest sound was heard somewhere, he would start running away in fear. Due to fear, he used to keep his ears standing in air all the time. That's why he could never sleep peacefully and always in tension.


One day the rabbit was sleeping under a apple tree. Sudden a apple fell from the tree near him. Hearing the sound of apple falling, he got up in a panic and jumped up and stood far away. "Run! Run! The sky is falling." Started running away screaming.

On the way he met a deer. The deer asked him, "Hey brother, why are you running like this? What is the matter after all?" Started running. While running, both were shouting loudly, "Run! Run! the sky is falling. Giraffes, wolves, foxes, jackals, and a herd of other animals also started running with them in fear of seeing them. Everyone was running and shouting together, Run! Run! The sky is falling. He was sleeping in the cave. Hearing the noise of the animals, he woke up in a panic. When he came
out of the cave, he got very angry. He roared and said, "Stop! Stop! What is the matter?"


All the animals stopped for fear of the lion. Everyone said in one voice, "The sky is falling down."


Singh laughed a lot after hearing this. Tears welled up in his eyes while laughing. He stopped laughing and said, "Who has seen the sky falling?" Everyone started staring at each other. In the end, everyone's eyes turned towards the rabbit, only then it came out of his mouth, "A piece of the sky has fallen under that apple tree."


"Come on, let's go over there and see." Singh said. The whole platoon of animals along with the lion reached near the apple tree, everyone searched here and there. No one could see any piece of the sky anywhere. Yes, he definitely saw a apple falling on the ground.

Pointing to the apple, the lion asked the rabbit, "Is that the piece of sky, for which you made everyone afraid?"

Now the rabbit understood his mistake. His head bowed down in shame. He started trembling with fear.

Other animals were also very ashamed of this incident, they were regretting their mistake that they were running unnecessarily fearing what they had heard. Happened.


Moral of the story's - Don't believe what you hear (सुनी सुनाई बातो पर यकींन ना करे )

सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

दो पक्षियों की प्रेम कथा -सच्ची घटना पर आधारित

 जीवन में किसी और का प्रवेश 

दो पक्षियों की  प्रेम कथा

   यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी हैं। मैं अपने परिवार के साथ एक हरी भरी सोसायटी में रहती हूं। ग्रीष्मकाल अवकाश का समय था।सुबह और सांय बच्चो,महिलाओं और बुजुर्गो की चहल पहल के बीच सेंट्रल पार्क के चारो और टहलने के लिए एक पक्का पगडंडी बनी हुई थी।क्योंकि पेड़ पौधों के कारण पक्षियों भी चहकते रहते थे।उन्हीं पक्षियों में एक जोड़ा टिटहरी का था और वो दोनों पार्क के साथ लगी पगडंडी पर ही अपना आशियाना बना रखा था। और दोनो आसपास के घरों पर और पार्क में टहलते रहते थे और अक्सर टी- टी - टी - टी की आवाज करते रहते थे। और ये जोड़ा लोगो की चर्चा का विषय होता था क्योंकि वो दोनो साथ साथ ही रहते थे। 

        कुछ समय के बाद मादा टिटहरी ने अंडे दिए। अब मादा टिटहरी उन अंडो के ऊपर बैठी रहती थी। और नर टिटहरी भोजन के लिए उधर उधर टहलते रहता था। और जब लोग उनके घोंसले के पास से गुजरते तो अमूमन मादा टिटहरी अपने पंखों को फैला देती थी।और टी- टी- टी- टी करने लगती और उससे मुख्यत बच्चे चलके उसके घोंसले के पास से गुजरते और टिटहरी की ये हरकत देख के खुश होते। और बड़े लोग अक्सर उससे दूरी बनाकर आगे निकल जाते थे। क्योंकि टिटहरी को अपने अंडो में पल रहे बच्चो को लोगो से खतरा महसूस करती थी। 

      ये सिलसिला लंबे समय तक चला। एक दिन देखा की उनके जीवन में एक मादा टिटहरी का प्रवेश हुआ। लोगो ने सोचा की उनके रिश्ते से कोई देखभाल के लिए आई हैं। अब वो दोनो भोजन के लिए उधर उधर साथ साथ जाने लगे और कब उनमें प्रेम पनप गया। और वो दोनो कन्ही दूर चले गए। अब मादा टिटहरी पे दोहरी जिम्मेदारी आ गई। अंडो की सुरक्षा के साथ साथ भोजन की व्यवस्था भी उसे करनी पड़ती थी। अब वो उसके आशियाना के पास से गुजरने वाले अन्य जानवर जिनमें पालतू कुत्ते हुया करते थे।और बच्चो पे चोंच से हमला करना शुरू कर दिया ।तो लोग समझ गए की नर टिटहरी उस रिश्तेदार के साथ कन्हि और घर बसा लिया हैं ।और इसके कारण अंडो की देखरेख करते करते यह टिटहरी चिड़चिड़ी हो चुकी थी। 

       आखिर एक दिन किसी ने मौका देख के उसके अंडो को चुरा लिया। कुछ दिन वो टिटहरी दुखी मन से इधर उधर भटकती रही और विलाप करती रही।और अंत में वो भी वँहा से कंही और विस्थापित हो गई ,इस प्रकार एक प्रेम कहानी का अंत हुआ लेकिन आजकल के समाज में अक्सर देखा जाता है की जहां जिंदगी में किसी और की एंट्री होती हैं तो ऐसी स्थिति में चक्की के दो पाटों के बीच बच्चों को ही पीसना होता है। इसलिए रिश्तों की इस डोर को कस के पकड़िए ताकि आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाज़ा ना भुगतना पड़े।

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