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शुक्रवार, 30 जून 2023

एक व्यापारी की कहानी

 एक व्यापारी की कहानी

      एक व्यापारी था जिसका नाम राजीव था वो अपने राज्य में कारोबार करता था। लेकिन उस
की आमदनी बहुत कम थी इसलिए वो विदेश में जाकर कारोबार करने की इच्छा रखता था। एक दिन उसने अपने परिवार में इस बात को रखा की वो विदेश में जा कर व्यापार करना चाहता हैं लेकिन घर वालो ने उसकी शादी की उम्र का हवाला देकर पहले शादी करने को  कहा। तब कुछ समय बाद उसकी शादी होगई। अब उसकी पत्नी भी उसके घर उसके साथ रहने लगी। 

      तब एक दिन उसने अपने मन की बात अपनी पत्नी से साझा किया। पत्नी ने कहा की वह उनके साथ  हैं। इसलिए वो व्यापार के लिए खुशी खुशी जा सकता हैं। यह बात सुनकर राजीव बहुत खुश हो गया ।और शादी के कुछ वर्ष  बाद वो विदेश में जाकर व्यापार करने लगा ।और कुछ ही समय में बहुत पैसा कमाया। इस बीच में वो घर पर चिट्ठी लिखा करता था और पैसे भिजवाता रहता था ।इस प्रकार से आने वाले कुछ वर्षो में  उसने बहुत पैसा कमा लिया था।अब उसको लगा की उसे अब वापस अपने देश लौटना चाहिए। और उसने अपना कारोबार समेट कर वापस जहाज का टिकट खरीद लिया और अपने देश की और बढ़ चला।।
          जिस जहाज में वो यात्रा कर रहा था । उसमे बहुत से लोग सफर कर रहे थे। तभी उसकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो जहाज के एक हिस्से में अकेला उदास बैठा हुआ था। राजीव से रूका नहीं गया और वो इस व्यक्ति के पास जाकर बैठ गया और बाते करना शुरू कर दिया । तभी राजीव ने इस व्यक्ति से उसकी उदासी का कारण पूछा तो पता चला की उसके पास बहुत अच्छे अच्छे विचारो के फॉर्मूला हैं लेकिन उन फॉर्मूला का उसे विदेश में कोई खरीददार नही मिला इसलिए वो उदास व निराश हैं। यह बात सुनकर राजीव ने कहा की वो अपना फॉर्मूला उसे बताए वो उसका मुंह मांगी अशर्फियां देगा।यह बात सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसने राजीव  को एक बात बताई की वो कभी भी कोई कार्य करे तो 2 मिनट का धैर्य रखे और सोच कर फिर उस कार्य करे तो उसका बहुत बड़ा फायदा होगा।
        राजीव ने उसे 500 अशर्फियां दे दी और दोनो बाते करते करते अगले कुछ दिनों मे अपने देश पहुंच गए।और अपने अपने घर पहुंच गए। राजीव सुबह सुबह अपने घर पहुंचा तो देखा की सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी पर थे वो राजीव को देख कर बहुत खुश हुए। राजीव हेलो हाय करके घर में दाखिल हुआ और सीधा अपने कमरे में गया ।तभी देखता है की उसकी पत्नी के बगल में एक हटा कटा जवान लड़का सोया हुआ था। अपनी पत्नी के बिस्तर पर किसी और को पाकर वह बहुत क्रोधित हो गया और तुरंत दीवार पर लगी तलवार उठा ली ।तभी उसने बिस्तर पर उसकी पत्नी को हिलता हुआ देख कर तलवार को पीछे छिपा लिया ।लेकिन तलवार पीछे रखे एक बर्तन से टकराने के कारण वो बर्तन नीचे गिर गया और उसकी पत्नी राजीव को देखकर बहुत खुश हों गई। और जल्दी से सोए हुए व्यक्ति को कहा की बेटा जल्दी खड़े हो और अपने पिता के पांव छुओ। यह सुनकर राजीव के पैरों से जमीन खिसक गई। और उसका जहाज में मिले व्यक्ति की कही बात याद आई। की धैर्य से 2 मिनट सोचकर कार्य करने से उसका फायदा होंगा और आज उसने अपने ही बेटे की गरदन काटने से अपने आपको रोक लिया।

शिक्षा.... जोश में हमेशा विवेक काम करना बंद कर देता हैं इसलिए कुछ भी करने से पहले 2 मिनट रुक जान चाहिए और पुन मनन करके कार्य करने से हमेशा फायदा ही होगा। और आप नुकसान से बच जाओगे।

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मंगलवार, 27 जून 2023

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी/Short story of Peter Rabbit

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी

Short story of Peter Rabbit in Hindi

 पीटर रैबिट एक शरारती छोटा खरगोश था जो अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ एक बिल में रहता था। एक दिन, पीटर ने अपनी माँ की बात नहीं मानी और सब्जियाँ खाने के लिए मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे में चला गया। मिस्टर मैकग्रेगर बहुत क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे, और उन्हें अपने बगीचे में खरगोश पसंद नहीं थे। जब उसने पीटर को देखा, तो उसने कुदाल लेकर पूरे बगीचे में उसका पीछा किया। पतरस बहुत डरा हुआ था, और वह जितनी तेजी से भाग सकता था भागा। आख़िरकार वह पानी के डिब्बे में छिपकर भागने में सफल रहा।
       अपने साहसिक कार्य के बाद पीटर बहुत थका हुआ और भूखा था। उसने घर जाकर अपनी मां को जो कुछ हुआ था, बताने का फैसला किया। जब वह घर पहुँचा तो उसकी माँ उस पर बहुत क्रोधित हुई। उसने उससे कहा कि वह एक शरारती खरगोश है और उसे फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। पतरस को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करेगा।
       
        अगले दिन, पीटर श्री मैकग्रेगर के बगीचे में वापस गया। इस बार, वह अधिक सावधान था. उसने कोई सब्ज़ी नहीं खाई, और उसने कोई शोर नहीं किया। उसने बस चारों ओर देखा और ताजी हवा और धूप का आनंद लिया। कुछ देर बाद उसने घर जाने का फैसला किया. वह खुश था कि उसने अपना सबक सीख लिया था, और उसने अब से एक अच्छा खरगोश बनने के लिए दृढ़ संकल्प कर लिया था।
      पीटर रैबिट की कहानी आज्ञा नही मानना और मुक्ति की एक उत्कृष्ट कहानी है। यह बच्चों को अपने माता-पिता की बात सुनने का महत्व सिखाती है, और यह दर्शाता है कि सबसे शरारती खरगोश भी अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अच्छे बन सकते हैं।

          पीटर रैबिट को इस कहानी में एक जिज्ञासु और साहसी खरगोश के रूप में वर्णित किया गया है। वह हमेशा परेशानी में रहता था, लेकिन वह बहुत चतुर और साधन संपन्न भी था।
         मिस्टर मैकग्रेगर एक क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे जिन्हें खरगोश पसंद नहीं थे। वह हमेशा उन्हें अपने बगीचे से दूर भगाता रहता था।
पीटर रैबिट की माँ एक बुद्धिमान और धैर्यवान खरगोश थी। वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी और वह हमेशा उन्हें सही गलत की सीख देती थी।
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सोमवार, 26 जून 2023

घमंडी राजा की कहानी

 घमंडी राजा की कहानी

घमंडी राजा की कहानी

एकबार एक राजा था । राजा दिखने में बहुत रूपवान और सुदृढ़ था और उसे इस बात का बहुत घमंड था। एकबार राजा दरबार में अपने रूप की प्रशंसा कर रहा था और कह रहा था की वो इतना सुंदर और बलवान हैं की भगवान भी उसके सामने बौने होंगे। तभी वहां से भगवान गुजर रहे थे । उन्होंने राजा की बात सुनी और एक राजा के इस घमंड के भाव से क्रोधित हो गए। भगवान ने उसे श्राफ दिया की उसके सिर पर दो सिंह निकल आए

       अगले दिन जैसे ही राजा सुबह जगा तो उसने देखा की उसके सिर पर 2 सिंग निकले हुए हैं। राजा वापस चादर ओढ़ के सो गाया । राजा ने सिपाई को बुलाया और कहा की शाही नाई को बुलाकर लाए। थोड़े समय के बाद शाही नाई महल में पहुंचा और सीधे राजा के कक्ष में गया । राजा ने सिपाइयो को जाने का आदेश दिया ।राजा ने चादर के अंदर से ही नाई से बात कर रहा था । उसने नाई से कहा की आप मुझे तीन वादे करो की आप को जो में चीज दिखाऊंगा उसपर आप हंसेगा नही । 

       नाई ने कहा की ठीक हैं महाराज में बिल्कुल भी हंसी नहीं करूंगा।दूसरा वादा करो की यह बात किसी और को नही बताओगे।इसके लिए भी नाई ने राजा से कहा की वो किसी को भी नही बताएगा। राजा ने नाई से कहा की जो समस्या में आपको बताऊंगा उसका इलाज भी आपको खोजना हैं। नाई ने हामी भरदी की ठीक हैं महाराज आपके इस आदेश की भी पालना हो जायेगी। उसके बाद राजा ने अपने को चादर से अलग किया और नाई को अपने सर पर उगे 2 सिंग दिखाए। जैसे ही नाई ने देखा वो अपनी हंसी रोक नही पाया। इससे राजा बहुत क्रोधित होगया । लेकिन नाई ने तुरंत राजा से माफी मांगी और कहा की वो शेष दोनो आदेशों की पूरी पालना करेगा। नाई ने राजा के बड़े बालों से दोनो सिंग को छुपा दिया और उसकी अच्छी डिजाइन बना कर राजा को पगड़ी पहना दी जिससे किसी को पता ना चले।और नाई ने राजा से जाने की अनुमति ली और चला गया। नाई महल के बरामदे तक ही पहुंचा था की उसने देखा की एक बड़ा बरगद का पेड़ हैं जिसमे चिड़ियाओं के अपने घोंसले के लिए छोटी छोटी गुफाएं बना रखी थी। नाई से रहा नही गया और उसने बरगत के उन छेड़ो में मुंह दिया और बोला की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" और नाई बोलकर आगे चला गया। 

       एक रात उस बरगद के पेड़ पर बिजली गिरी और पेड़ टूट कर ढेर हो गया। राजा ने आदेश दिए की पेड़ की लकड़ी अच्छी हैं इनसे म्यूजिकल यंत्र बनालो। एक दिन राजा का मन संगीत सुनने का किया तो वाद्य यंत्र मंगवाए और संगीत शुरू करने का आदेश दिया। तो सभी यंत्र गाने लगे की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" इस पर दरबार के बैठे सभी मंत्रीगण हंसने लगे।राजा इससे क्रोधित होकर राजपाट छोड़ दिया और जंगल में जाकर एक कच्ची झोंपड़ी बनाईं और जंगली जानवरों के साथ रहने लगा। जंगल में राजा ने अपने मनोरंजन के लिए बांसुरी बजाना शुरू किया। और धीरे धीरे वो बहुत ही अच्छी बांसुरी बजाने लगे उसकी बांसुरी सुनकर जंगल के सारे जानवर इकठे होने लगे । एक दिन राजा जंगल में तालाब से पानी लाने गया तो राजा ने पानी में अपनी परछाई देखी और अपना चेहरा देख कर राजा रोने लग गया। इसके बाद हमेशा राजा आंख बंद करके पानी भरता और अपना चेहरा नहीं देखता। 

        एक दिन वही भगवान उधर दे गुजर रहे थे तभी उन्हें बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई दी और उन्होंने देखा की इस जंगल में इतनी मधुर बांसुरी कोन बजा रहा हैं। भगवान ने मनुष्य रूप धारण किया और राजा के पास पहुंचे। और राजा से कहा की आप उसी राज्य के राजा हो क्या जिसके राजा सबसे सुंदर थे। इसपर राजा ने भगवान को अपनी पूरी व्यथा की कहानी बताई।और फिर भगवान ने अपना वास्तविक रूप में प्रकट हुए और बताया की उसका घमड़ तोड़ने के लिए ही आपको श्राफ दिया था। राजा ने भगवान से माफी मांगी और भगवान ने उसके सर से दोनो सिंग हटा दिए और उसको उसका रूप और राजपाट वापस लौटा दिया।।
 

शिक्षा - मनुष्य को किसी भी बात पे घमड़ी नही होना चाहिए। क्योंकि घमंड विनाश का रूप होता हैं।

गुरुवार, 8 जून 2023

गरीब लाछा गुर्जरी की कथा /जाट गुर्जर के रिश्तो की मिशाल

      एक गांव में एक गरीब लाछा गुर्जरी रहती थी। उसका परिवार गांव के ऊंट चराने में लगा हुआ था। लाछा गुर्जरी को अपने ऊंटों से बहुत प्यार था और वह उनके लिए हर रोज़ दिनभर मेहनत करती थी। लेकिन धनी और अमीर लोग उसे हमेशा ग़रीब समझते थे और उसके साथ अनदेखी करते थे।

      एक दिन, गांव में एक महापंडित बुलाया गया और उन्होंने घोषणा की कि वह गांव के सभी लोगों के पास एक परीक्षा लेंगे और जीतने वाले को बड़ा इनाम देंगे। इससे सभी लोगों में एक उत्साह और उत्साह उभरा।

      लाछा गुर्जरी ने भी अपने ऊंटों के साथ इस परीक्षा में हिस्सा लेने का निर्णय किया। उसने अपने ऊंटों को तैयार किया और उन्हें अच्छी तरह से संभाला।

       परीक्षा दिन आया और सभी लोग अपने-अपने योग्यता के साथ पहुंचे। महापंडित ने एक ऊंट को आगे बढ़ाने का आदेश दिया और कहा, "जो ऊंट अपनी बुद्धिमानी और चालाकी से मेरे पास पहले पहुंचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा।"

      जब यह सुनकर लोग उन्हीं ऊंटों को देखने लगे, तो सभी बड़ी उम्मीद से ऊंट की ओर देख रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे एक गरीबी से भरी लाछा गुर्जरी के ऊंट आगे बढ़ने लगे। सभी लोग चकित हो गए और लाछा गुर्जरी के ऊंट की जीत की ओर देखने लगे।

       लाछा गुर्जरी के ऊंट ने महापंडित के पास पहुंचते ही वहां विजयी घोषित किया गया। सभी लोग चौंक गए और आश्चर्यचकित हो गए। यह देखकर महापंडित ने पूछा, "यह गरीबी से भरे हुए ऊंट ने मेरी परीक्षा में कैसे जीत हासिल की?"

       लाछा गुर्जरी ने गर्व से उठते हुए ताना दिया, "महापंडित जी, जाट गुर्जर के ऊंट की बुद्धि, चालाकी और संघर्ष से भरी होती है। यह मेरे ऊंटों के लिए बस एक परीक्षा थी, लेकिन हमारे जाट गुर्जर के रिश्तों की मिशाल थी। हम ग़रीब हों, लेकिन हमारी बुद्धि, संघर्ष और समर्पण हमेशा हमारे साथ होता है।"

          इस कथा से हमें यह सिखाया जाता है कि सम्पत्ति या सामरिक स्थिति से बढ़कर, एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, सामर्थ्य और संघर्ष के माध्यम से महत्वपूर्ण कार्यों को प्राप्त कर सकता है। जाट गुर्जर के रिश्ते यह बताते हैं कि ग़रीबी और संघर्ष के बावजूद, हम अपनी मेहनत, बुद्धि और समर्पण से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

लाछा गुर्जरी के मालपुआ (Sweet) की कहानी

लाछा गुर्जरी के मालपुआ की कहानी

 
लाछा गुर्जरी के मालपुआ

     बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर और प्यारी लड़की लाछा गुर्जरी नामक थी। वह एक छोटे से गांव में रहती थी और उसका परिवार गांव के आदिवासी समुदाय से संबंधित था। लाछा गुर्जरी को खाने की खुशबू और मिठाई बनाने की ज़िद हमेशा से थी।

      एक दिन गांव में एक बड़ा मेला आयोजित हुआ, और उसमें अनेक प्रकार की खाने की दुकानें लगीं। लाछा गुर्जरी भी उस मेले में गई और अपनी मिठाई बेचने का सोचा। वह बहुत मेहनत से दिग्गी मालपुआ बनाती और अपनी दुकान पर रखती थी।

      मेले में राजा और उसके दरबार के सदस्य भी मौजूद थे। राजा ने सुना कि लाछा गुर्जरी की मालपुआ बहुत मशहूर हैं, और उन्होंने इसका स्वाद चखने का निर्णय किया। राजा ने अपने दरबारियों को भेजकर दिग्गी मालपुआ खाने को कहा और अपनी खुशबू भरी गद्दी पर बैठ गए।

     जब दरबारी लोग लाछा गुर्जरी की मालपुआ खाने पहुंचे, तो वे उसकी मिठास से हैरान रह गए। उन्होंने कहा, "यह मालपुआ अद्वितीय है, इसमें कुछ खास है।" एक दरबारी ने कहा, "इसमें इतनी मीठास कहाँ से आती है?" और दूसरा दरबारी ने कहा, "शायद इसमें प्यार की कोई मायरा छिपा होती है।"

       इस बात को सुनकर लाछा गुर्जरी को बहुत खुशी हुई। वह राजा के पास गई और कहा, "महाराज, इस मालपुआ में कोई विशेष चीज़ नहीं है, बस मेरे हाथों का प्यार और समर्पण है। आपका आदर्शवाद और सम्मान इसे इतनी मीठास देते हैं।"

      राजा ने लाछा गुर्जरी की मज़ाकिया बातों को समझ लिया और खुश होकर उसे बधाई दी। वह उसे राजमहल में बुलाया और उसे अपनी राजमहल की रानी बना दिया। लाछा गुर्जरी और राजा के बीच प्यार और सम्मान की कहानी बड़े सुंदर ढंग से चली।

शिक्षा 

     इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि सच्चा प्यार और समर्पण किसी भी खाने को अद्वितीय और स्वादिष्ट बना सकता है। जब हम अपने काम को दिल से करते हैं।

शनिवार, 3 जून 2023

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

 

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

शुतुरमुर्ग के अंडे
 

Cशुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी भारतीय परंपरा में प्रसिद्ध है। यह कहानी बचपन में हमें सिखाती है कि हमें विश्वास करना चाहिए और जिसे हम नहीं देख सकते, उस पर आशा रखनी चाहिए।

      कहीं दूर एक गांव में एक बूढ़ी महिला अकेली रहती थी। उसके पास केवल एक शुतुरमुर्ग था, जिसे वह बहुत प्यार करती थी। शुतुरमुर्ग ने अकेलेपन में उसे साथ दिया था और वह उसे अपना सब कुछ समझती थी।

       एक दिन बूढ़ी महिला ने एक सप्ताहांत से पहले देखा कि शुतुरमुर्ग बहुत उदास और चिंतित लग रहा है। उसने शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे देने का फैसला किया। वह सोचती थी कि इससे शुतुरमुर्ग का मन लगेगा और वह फिर से खुश हो जाएगा।

        बूढ़ी महिला ने उस दिन सुबह उठते ही शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे दिए। शुतुरमुर्ग ने अंडे देखकर खुशी के साथ उन्हें अपने पास रख लिया। वह सोचने लगा कि चांदी के रंग के अंडों से वह अब अधिक खास हो गया है।

      दिन बितते गए, लेकिन कुछ ही दिनों में शुतुरमुर्ग फिर से उदास और चिंतित लगने लगा। बूढ़ी महिला चिंतित हो गई और सोचने लगी कि उसका फैसला गलत था। उसे लगा कि शुतुरमुर्ग को कुछ और होना चाहिए।

      वह नदी के किनारे गई और नदी में रहने वाली एक महिला को मिली। वह महिला उसे बताई कि शुतुरमुर्ग के अंडे सिर्फ इतने ही रंग के होते हैं, वे कभी चांदी के रंग के नहीं होते। यह सिर्फ एक कथा है और एक तरह से तुम्हें यह सिखाती है कि हमें जो कुछ है, उसे स्वीकार करना चाहिए और वही सबसे महत्वपूर्ण होता है।

       बूढ़ी महिला घर लौटी और शुतुरमुर्ग के पास गई। उसने अपनी गलती स्वीकार की और अपनी ओर से उसे खास बनाने के लिए एक बेहतरीन इंद्रधनुष बनाया। शुतुरमुर्ग ने उसे देखा और खुशी से उसे अपने पंखों में उड़ा लिया।

   शिक्षा  

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे लिए पर्याप्त है। हमें अपनी संख्या में आने वाली खुशियों को स्वीकार करना चाहिए और जीवन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे हमें खुशहाली, समृद्धि और शांति मिलेगी।

FAQ  

Question :शुतुरमुर्ग का अंडा का वजन कितना होता है

Answer :शुतुरमुर्ग के एक अंडे का वजन लगभग 1.6 किलोग्राम है। यानी शुतुरमुर्ग का एक अंडा मुर्गी के 24 अंडों के बराबर होता है। सभी पक्षियों में शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ा होता है।

Question :शुतुरमुर्ग के अंडे कैसे सेने होते हैं ? 

Answer :नर शुतुरमुर्ग घोंसला बनाता है,जो 30 सेंटीमीटर गहरा रेत का एक बड़ा-सा गड्ढा बनांता है। इसमें अच्छे प्रकार से  टहनियां डाली जाती हैं। अंडे सेने की जिम्मेदारी केवल मादा की नहीं होती। नर और मादा दोनों मिलकर अंडे को सेते हैं

गुरुवार, 4 मई 2023

स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल

 स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल 

स्वर्ग की मुद्रा- नेकी कर दरिया में डाल

 

         एक धनराज नामक उद्योगपति था। वह प्रतिदिन अपनी कार से अपने ऑफिस जाता था। जैसे ही वह कार में बैठता तो FM रेडिओ शुरू करता। रेडिओ पर एक व्यक्ति सुबह सुबह आध्यात्मिक बातें सुनाता था।  वह हमेशा अपने कार्यकर्म की शुरुवात में कहता। जीवन का एक ही मूल मन्त्र हैं।  नेकी कर और दरिया में डाल। जीवन में नेकी के अलावा कुछ साथ नहीं जायेगा। कुछ भी साथ नहीं जायेगा यह वाक्य प्रतिदिन सुन सुन कर धनराज चिंतित होने लगा की मैंने इतनी मेहनत से इतनी धन सम्पदा बनाई हैं। और यह व्यक्ति बोल रहा ह कुछ भी साथ नहीं जायेगा। उसने निश्चित किया की कुछ करना पड़ेगा। वह अपने ऑफिस पहुंचा और PA को बुलाया और कहा की एक सर्कुलर जारी करो  जिसमे जो भी कर्मचारी यह उपाय सुझाएगा जिससे मृत्यु के बाद में अपनी धन सम्पदा साथ लेकर जा सकूँ। जैसे ही सर्कुलर जारी किया और सभी कर्मचारियों ने उसे पढ़ा तो मन ही मन कहने लगे की धनराज जी सटिया गए हैं।  निश्चित उनपे उम्र का असर दिखने लगा हैं। 

           बहुत लोगो ने इनाम के लालच में अपने अपने सुझाव दिए लेकिन धनराज के किसी का भी सुझाव गले नहीं उतरा।  फिर उसने इनाम की राशि को दुगना कर दिया। तभी एक अनजान व्यक्ति ने कहा की उसके पास एक आईडिया हँ।  जिससे धनराज की समस्या का समाधान हैं। तभी धनराज ने अपने मैनेजमेंट की मीटिंग में उस व्यक्ति को आमंत्रित किया। और उस व्यक्ति ने धनराज से कुछ प्रश्न पूछना शुरू किया।  
व्यक्ति - धनराज जी क्या आप अमरीका गए हैं ?
धनराज - हाँ मेरा पूरी दुनिया में कारोबार हैं तो मेरा आना जाना लगा रहता हैं।
व्यक्ति -निश्चित ही आपके रूपये अमरीका में अनुपयोगी होंंगे ।

धनराज - हाँ में रूपये को डॉलर में बदलवा लेता हूँ।  वंहा पर डॉलर ही चलता हैं
व्यक्ति - आप इंग्लैंड और अन्य देशो में भी जाते रहते होंगे और वंहा पे भी ऐसी व्यवस्था देखि होगी.
धनराज - हाँ इंग्लैंड में पौंड का चलन हैं और अन्य देशो में भी वंहा की करेंसी का प्रचलन होता हैं।
व्यक्ति - धनराज जी इसी प्रकार से मृत्यु के बाद भी आप अपने रूपये को कन्वर्ट करके लेके जा सकते हैं।
धनराज - लेकिन वंहा पे इस रूपये को  किसमे कन्वर्ट करना होगा।
व्यक्ति -आप अपने रूपये को स्वर्ग की मुद्रा में बदल सकते हैं।  जो हैं नेकी कर दरिया में डाल।
इसलिए धनराज जी आप अपने रूपये को लोगो के भलाई में खर्च करे।  ये सारा नेक कार्य स्वर्ग की मुद्रा में बदलता जायेगा  जिसका नाम हैं नेकी। इसलिए धीरे धीरे आप अपने रूपये को नेक कार्यो में लगते रहो ताकि आपके साथ स्वर्ग में नेकी जा सके।
इसलिए कहा जाता हैं की मर्त्यु के बाद केवल नेकी साथ जाती हैं।
तब  धनराज को अपनी कठिन मेहनत से कमाया रुपया अपनी मृत्यु के बाद अपने साथ  ले जाने का रास्ता मिला।

शिक्षा - व्यक्ति को बढ़ती उम्र के साथ साथ अपनी कमाई को नेकी की मुद्रा में बदलते रहना चाहिए अन्यथा आप अपनी मेहनत की कमाई यंही पे छोड़ कर जाना पड़ेगा।


मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति/FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति /

FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

वास्तुशास्त्री को ज्ञान की प्राप्ति

     एक व्यक्ति जिसका नाम मलय था उसने अपने जीवन में बहुत अधिक उन्नति की और जयपुर  में ज़मीन ख़रीद कर उसपर  आलीशान घर बनाकर सपरिवार रहने लगा,उस भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल बना हुआ था और पीछे  की ओर एक 100 साल पुराना आम का पेड़ भी लगा हुआ था।

      उसने वह भूमि उस आम के पेड़ के कारण ही ख़रीदी थी, क्यूँकि उनकी पत्नी को आम बहुत पसंद थे।

      जब कुछ समय बाद जब नए घर की सजावट होने लगी तो उसके कुछ पारिवारिक मित्रों ने उसे सलाह दी कि किसी वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ की सलाह ले लेनी चाहिए।

      हालांकि मलय को ऐसी बातों पर विश्वास नहीं था, फिर भी अपनो का मन रखने के लिए उसने उनकी बात मान ली और हांगकांग से पिछले 30 साल से वास्तु शास्त्र के बेहद प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री मास्टर मखाओ  को बुलवाया।

     उन्हें एयरपोर्ट से लिया,दोनों ने शहर में प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा खाया और उसके बाद वो उन्हें अपनी कार में लेकर अपने घर की ओर चल दिए।

      मलय रास्ते में जब मस्ती से आगे बढ रहा था। और बहुत सी  कारे  उन्हें ओवर टेक करने की कोशिश करती, वो उसे रास्ता दे देते।

      मास्टर मखाओ ने हंसते हुए कहा-  आप बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करते हैं मिस्टर मलय । मलय ने भी हंसते हुए प्रत्युत्तर में कहा - लोग अक्सर ओवर टेक तभी करते हैं जब उन्हें कुछ आवश्यक कार्य में देरी हो रही हो। इसलिए हमें उन्हें रास्ता देना ही चाहिए यही उपयुक्त हैं।

    जैसे ही वो लोग घर के पास पहुँचते-पहुँचते सड़क थोड़ी संकरी हो गयी थी और उन्होंने कार थोड़ी और धीरे कर ली। तभी अचानक एक हंसता हुआ बच्चा गली से निकला और तेज़ी से भागते हुए उनकी कार के सामने से सड़क पार कर गया। मलय अपनी कार को  उसी गति से चलाते हुए उस गली की ओर देखते रहे, जैसे किसी का इंतज़ार कर रहे हों.  

      तभी अचानक उसी गली से एक और बच्चा भागते हुए उनकी कार के सामने से निकला, जो शायद पहले बच्चे का पीछा करते हुए आया था। मास्टर मखाओ ने हैरान होते हुए पूछा - आपको कैसे पता था कि कोई दूसरा बच्चा भी भागते हुए निकलेगा ?

   उन्होंने बड़े सहज भाव से कहा, बच्चे अक्सर एक-दूसरे के पीछे भाग रहे होते हैं और इस बात पर विश्वास करना संभव ही नहीं कि कोई बच्चा बिना किसी साथी के ऐसी भाग दौड़ कर रहा हो।

     मास्टर मखाओ इस बात पर बहुत ज़ोर से हंसे और बोले कि आप निस्संदेह बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं।

     घर के बाहर पहुँच कर दोनों कार से उतरे,तभी अचानक घर के पीछे की ओर से 7-8 पक्षी बहुत तेज़ी से उड़ते नज़र आए,यह देख कर उन्होंने मास्टर मखाओ से कहा कि यदि आपको बुरा न लगे तो क्या हम कुछ देर यहाँ रुक सकते हैं ?

     मास्टर मखाओ ने  कहा हां जरूर पर क्या में कारण जान सकता हूं, तो उन्होंने कहा कि शायद कुछ बच्चे पेड़ से आम चुरा रहे होंगे और हमारे अचानक पहुँचने से डर के मारे बच्चों में भगदड़ न मच जाए, इससे पेड़ से गिर कर किसी बच्चे को चोट भी लग सकती है।

      मास्टर मखाओ कुछ देर चुप रहे, फिर संयत आवाज़ में बोले मित्र, इस घर को किसी वास्तु शास्त्र के जाँच और उपायों की आवश्यकता नहीं है।

मलय ने बड़ी हैरानी से पूछा कि ऐसा क्यूँ ?

    मास्टर मखाओ बोले- जहां आप जैसे विवेकशील  व आसपास के लोगों की भलाई सोचने वाले व्यक्ति विद्यमान होंगे - वह घर संपत्ति वास्तु शास्त्र नियमों के अनुसार बहुत पवित्र-सुखदायी-फलदायी होगी।

    इस प्रकार से एक वास्तुशास्त्र के ज्ञानी व्यक्ति को अपने विषय का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ। और उसने मलय के साथ कुछ दिन गुजरे और जीवन के इन पलो की अहमियत को अपनी वास्तुशास्त्र के प्रथम पृष्ठ में शामिल किया।

शिक्षा -

    जब हमारा मन व मस्तिष्क दूसरों की ख़ुशी व शांति को प्राथमिकता देने लगे, तो इससे दूसरों को ही नहीं, स्वयं हमें भी मानसिक शांति प्रसन्नता की अनुभूति होगी। अन्यथा शांति की तलाश में दर दर भटकते रहो यह किसी वस्तु,मौके धन दौलत से दूर आपके मन मस्तिष्क से ही संभव हैं।

FAQ.....फेंगशुई क्या हैं ?

ANS..... फेंगशुई एक प्राचीन चीनी परंपरा है जिसके अनुसार मान्यता हैं कि इससे हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा  स्थापित करने में मदद करती है। इसे प्राचीन काल से ही समृद्धि, सौभाग्य,विपुलता और खुशी को आकर्षित करने या बनाये रखने के लिए विशेष वस्तुओं का उपयोग करने को प्रोत्साहित करता है। इसके दूसरे पहलु पे गौर फ़रमाये तो ये चीन और हॉन्कॉन्ग जैसे देशो द्वारा अपने बने हुए उत्पादों का अछि तरह से मार्केटिंग करने का तरीका हैं फेंगशुई। इसमें में विभिन्न रंगों का उपयोग, फर्नीचर की व्यवस्था और भवन संरचनाओं का भी महत्व है। यह सही हैं  की इसने प्राचीन चीनी संस्कृति को आज भी लोग इसका पालन करते हैं।  जैसे जैसे आजकल गृह निर्माण और रहनसहन में साजो सामान का समावेश और दिलचस्पी बढ़ी हैं वैसे ही फेंगशुई /वास्तुशास्त्र का प्रसार हुआ है   बात यह है कि समय के साथ, प्राचीन चीनी प्रथा ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है। फेंगशुई की वस्तुओं की वैश्विक स्तर पर मांग है। विश्व के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग इस प्राचीन कला का अनुसरण करने लगे हैं। फेंगशुई की प्रथाओं को अपनाने के बाद कई लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखा है।

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मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

बच्चों की टॉप 5 प्रेरणादायक कहानिया/Short Kids stories

 Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

चुटकी बहुत प्यारी और चंचल लड़की है। चुटकी कक्षा तीसरी में पढ़ती है। एक दिन वो अपने कमरे में पढाई कर रही थी तभी उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी का चित्र देखा । उसे तुरंत अपनी रेल यात्रा याद आ गई,जो कुछ महीने पहले अपने परिवार के साथ की थी। चुटकी ने कोयला उठाया और फिर क्या था,घर की सफ़ेद दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ा,दूसरा डब्बा जुड़ा,जुड़ते–जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। 

       जब कोयला  खत्म हो गया तो चुटकी अपनी दुनिया में वापस आई और उसने देखा कमरे की आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ।  चुटकी के मम्मी पापा ने देखा तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.और उन्होंने चुटकी की इस कला की खूब प्रशंसा की और उसकी चित्रकला में रूचि देखते हुए उसको आवश्यक सामग्री खरीद के उपलब्ध कराई। और चुटकी को चित्रकला से जुड़े हुए विडिओ मोबाइल पर देखने की छूट दी।  इससे चुटकी की अपनी रूचि को पंख लग गए। 

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को पंक लगाई और उनके भविष्य का निर्माण में आज से ही बढ़ाये /Boost the confidence of children because they are the future

 चालक चूहा/Cleaver Rat  

( Hindi short stories )


     मोटू  के घर में एक शरारती चूहया थी । वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में इधर उधर दौड़ती रहती थी। उसने मोटू  की किताब भी कुतर डाली थी। एक दिन तो उसने मोटू के कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। मोटू की माता  जो कई बार ही खाना बनाकर उसे ढकना भूल जाती थी। वह चूहिया उसे भी चट कर जाती थी । चूहिया खा पीकर बड़ी  हो गई थी। 

          एक दिन मोटू  की माता  ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा था । शरारती चुहया की नज़र बोतल पर पड़ गयी। अब वो सरबत को भी चकना चाहती थी लेकिन उसकी कोई भी तरकीब काम नहीं कर रही था लेकिन चुहिया को तो शरबत पीना था।

        चुहिया बोतल पर चढ़ी और किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो गई । अब उसमें अपना मुंह घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन बोतल का मुंह छोटा था इसलिए चुहिया अपना मुंह नहीं घुसा पा रही थी । 

       फिर चुहिया  को एक  आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चुहिया का पेट भर गया। अब वह मोटू के बिस्तर के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम करने लगी आज उसको पूर्ण संतुष्टि और खुश थी ।

   नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता/Hard work with smartness is the key to success. 

रजत  के तीन खरगोश राजा

( Hindi short stories with moral for kids )

      रजत कक्षा तीन का छात्र था। उसके घर में तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे।  रजत अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। और स्कूल से आने के बाद अधिकार समय उन्ही के साथ खेलता था और उनका पूरा ध्यान रखता था । वह स्कूल जाने से पहले पास के बगीचे से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था।स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।और कभी कभी उनको टमाटर और फल खिलाता था।


एक  दिन की बात है  रजत को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका,और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था।  रजत ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।


 रजत उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई।  रजत अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे ,और खेल रहे थे।  रजत को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मां  भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी भी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता/ Understand the agony of others. You will never feel any sorrow

दोस्ती का महत्व/Importance of friends
( Hindi short stories with moral for kids )

 रजत  गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता हैं  । वहां रजत को खूब मजा आता हैं ,क्योंकि नानी के आम का बगीचा हैं  वहां रजत ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं,पर उन्हें रजत आम नहीं खिलाता है।

       एक  दिन की बात है, रजत को खेलते खेलते चोट लग गई। रजत के दोस्तों ने रजत  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी माता  से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर रजत को मालिश किया गया।

        माता  ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। रजत जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

  नैतिक शिक्षा – 

        दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपानी नहीं चाहिए/Always love your best friend. And take the time to choose your friends. Because friends will decide your behavior towards the situation in life.

चिड़िया के होंसले की कहानी |/Chidiya ke honsle ki Story In Hindi


          एक  जंगल था  जिसमें भांति भांति के  छोटे-बड़े जानवरों और पक्षियों का बसेरा था।  उसी जंगल के एक पीपल के पेड़ पर घोंसला बनाकर एक सोहन चिड़िया भी रहा करती थी जो बहुत छोटी सी थी सब उसे प्यार से नन्ही नानी कहते थे। एक दिन जंगल में भीषण आग लग गई।  

      सही जीव जन्तुओ में चारो और  हा-हाकार मच गया। सब अपनी जान बचाकर भागने लगे लेकिन छोटी  चिड़िया जिस पेड़ पर रहा करती थी वह भी आग की चपेट में आ गया था। ऐसी परिस्थति में चिड़िया को भी अपनी जान बचाने के लिए उसे भी अपना घोंसला छोड़ना पड़ा।

     लेकिन चिड़िया  जंगल की आग देखकर बिलकुल भी नहीं  घबराई।  वह तुरंत बिना वक्त गंवाए नदी के पास गई और अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की ओर लौटी. चोंच में भरा पानी आग मे छिड़ककर वह फिर नदी की ओर गई. 

      इस तरह नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर बार-बार वह जंगल की आग में डालने लगी। उसकी इस हरकत को बाकि सभी जानवर देख रहे थे और चिड़िया की इस मूर्खतापूर्ण काम को देख कर सभी हंसने लगे और  बोले, “अरे चिड़िया रानी, ये क्या कर रही हो? चोंच भर पानी से जंगल की आग बुझा रही हो,मूर्खता छोड़ो और प्राण बचाकर भागो. जंगल की आग ऐसे नहीं बुझेगी।”

       उनकी बातें सुनकर चिड़िया बोली, “तुम लोगों को भागना है, तो भागो  मैं नहीं भागूंगी  ये जंगल मेरा घर है और मैं अपने घर की रक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगी फिर कोई मेरा साथ दे न दे.”

       चिड़िया की बात सुनकर सभी जानवरों के सिर शर्म से झुक गए।  उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।  सबने चिड़िया से क्षमा मांगी और फिर उसके साथ जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास में जुट गए. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और जंगल में लगी आग बुझ गई।

Moral of the story -मनुष्य को भी नन्ही चिड़िया के जैसे कठिन परिस्थति में  बिना प्रयास के कभी हार नहीं माननी चाहिए।


                               मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
                               पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।  


विपत्ति चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो? बिना प्रयास के कभी हार नहीं मानना चाहिए.



 

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

निर्धन चतुर व्यक्ति-The clever Man story in Hindi

 निर्धन चतुर व्यक्ति-The clever Man story in Hindi

निर्धन चतुर व्यक्ति

        एक कर्मचंद नाम का गरीब व्यक्ति था। एक दिन उसके पास कुछ भी नही था तभी उसने अपना दिमाक चलाना शुरू किया और उसे अपने घर में एक मरा हुआ चूहा दिखा। उस व्यक्ति ने वो चूहा उठाया और एक भोजनशाला पहुंच गया और उस चूहे को भोजनशाला के मालिक को बेच दिया जिसे अपनी बिल्ली के भोजन के लिए मरा हुआ चूहा खरीद लिया। उसने ने चूहे के बदले कर्मचंद को एक टक्का दिया।  इसके अगले  ही दिन बहुत तेज आंधी तूफान आया जिसके कारण एक घर के मालिक के बगीचे में खूब सारे पेड़ की पत्ती और टहनियो से सारा बगीचा  अस्त व्यस्त हो गया था।उस बगीचे के मालिक को  बड़ी चिंता सताने लगी की इतनी सफाई किस प्रकार में कर पाऊंगा तभी उसे  कर्मचंद मिला ।उस व्यक्ति ने कर्मचंद को कहा की  क्या तुम उसके बगीचे को साफ कर सकते हो ?  तो कर्मचंद  ने कहा हां जरूर कर सकता हूं। लेकिन इस बगीचे के जितने भी पत्ते और टहनियां है वह सब मैं अपने साथ लेकर जाऊंगा । इससे बगीचे का मालिक बहुत खुश हुआ । क्योंकि उसके लिए ये कचरा मात्र था और इस काम के लिए उसे पैसे भी खर्च नहीं करने पड़े ।दोनो में बात पक्की होगइ। कर्मचंद ने देखा की बगीचे के पास ही  बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे । कर्मचंद ने उन बच्चों के पास गया और बोला कि सब बच्चों को मिठाई खिलाऊंगा अगर तुम मेरी इस बगीचे को साफ करने में मदद करोगे बच्चे भी खुश होगये और  उन्होंने सारे टहनियों और पत्तों को बगीचे  के द्वार के पास में सारे पत्ते और टहनियों को इकट्ठा करवा दिया ।और उद्यान पूरा एकदम साफ सुथरा हो गया। 

       तभी वहां से एक कुम्हार गुजर रहा था जिसे अपने मटको को पकाने के लिए इंधन की आवश्यकता थी ।उसने जैसे ही उसने लकड़ी का ढेर देखा तो कुम्हार ने उससे वह ढेर खरीद लिया इस प्रकार कर्मचंद के पास कुछ और पैसे इकट्ठे हो गए ।

     एक दिन कर्मचंद ने देखा की शहर के द्वार पर कुछ लोग हैं  जो  लगभग 500 लोग के आसपास होंगे वो सब  घास काटने का काम करते थे । कर्मचंद ने उन सभी 500 लोगों को पानी पिलाया  तो वो  लोग बड़े खुश हुए और उन्होंने सब ने मिलकर कहा कि बताओ कर्मचंद हम तुम्हारी क्या मदद कर सकते हैं ? कर्मचंद ने कहा कि अभी तो मुझे आपकी हेल्प की आवश्यकता नहीं है ।जब मुझे आवश्यकता होगी तो मैं जरूर आपको बताऊंगा ?

      इसी दौरान कर्मचंद की दोस्ती एक व्यापारी से हो जाती है। उस  व्यापारी ने कहा कि अपने शहर में कुछ व्यापारी 500 घोड़ों के साथ में आ रहे हैं  उनको घोड़ों के लिए घास की आवश्यकता हैं।  अगले ही  दिन कर्मचंद उन लोगों के पास पहुंचा और बोला आज मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है ।उन्होंने कहा कि हां बताइए की हम आपकी  क्या मदद कर सकते हैं । कर्मचंद ने कहा की आप मुझे  घास का गट्ठर दे दो।और कहा कि जब तक जब में आपको ना कहूं तक  तक आप लोग बिल्कुल भी  घास को मत बेचना । इस प्रकार से कर्मचंद ने सारी घास के गट्ठर ले गया । अब  व्यापारी को घोड़ों के लिए घास की आवश्यकता पड़ी लेकिन उनको बाजार में घास नहीं मिली। तो उन्होंने मित्र व्यापारी को बताया तो कर्मचंद ने सारी घास की गठरी उन व्यापारियों को बेच दी। और बदले में  हजार सोने के सिक्के लिए ।इस प्रकार से एक निर्धन व्यक्ति जिसके पास सिर्फ एक मरा हुआ चूहा था ।उसने  अपने बुद्धि की चतुराई के बल से अपनी निर्धनता से मुक्ति पाई।

शिक्षक - कर्म के रास्ते पर चलने से  ही सिद्धि मिलती हैं।  व्यक्ति निर्धन पैदा हो ये कोई पाप नहीं हैं लेकिन गरीब मरना निश्चित पाप हैं।

शुक्रवार, 31 मार्च 2023

बाज़ का जीवन प्रेरणा स्रोत/बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते/ Hawk life in Hindi

 

 बाज़ के स्वतंत्रता और संघर्ष की कहानी

Hawk/शाहिन

 बाज़,शाहिन या हॉक ये सभी उस जाबाज़ पक्षी के नाम हैं। जिसे दुनिया पक्षियों के राजा के नाम से जानती हैं। आसमान में  32o किलोमीटर की गति से दौड़ने वाले इस पक्षी ने अपने पंजों की मजबूत पकड़,सजगता  के साथ आसमान में तेज गति से दौड़ने के लिए जाना जाता हैं।  इस लेख में आज बाज़ के साहसिक जीवन की अनसुनी बातें जानेंगे ।

बाज़ की शारीरिक बनावट और जीवनचक्र

    बाज़ एक शिकारी पक्षी होता हैं। आमतौर पर इसकी शारीरिक बनावट गरुड़ से छोटी होता है।इसके शरीर की लम्बाई 13-23 इंच तथा पंख की लम्बाई 29-47 इंच होती हैं। मादा बाज़ शारीरक आकार में नर से ज्यादा बड़ी होती है/ बाज़ के पंख पतले तथा मुड़े हुए होते हैं जो उसे तेज़ गति से उड़ने और उसी गति से अपनी दिशा बदलने में सहायक होते हैं। बाज़  की छाती की मजबूत मांसपेशियाँ ,लम्बे पतले पंख और सरल आकार के फाल्कन सही मायने में रफ्तार के लिए ही बने है | बाज़ की करीब 1500 से 2000 प्रजातियां पाई जाती हैं। मादा बाज़ एकबार में 3 से 5 अण्डे देती हैं और 35 दी तक शेती हैं। इस दौरान नर बाज़ भोजन की व अन्य व्यवस्ता करता हैं।  इसके चूजे जीवन के शुरुवाती 6  सप्ताह में ही 3 से 4 किलोग्राम वजन  हैं। इसकी गर्दन 270 डिग्री तक घूम सकती हैं।  अलावा बाज़ एक साथ दो  बिंदुओ पर देख सकता हैं। 

        बाज़ एक मांसहारी पक्षी होता हैं। 

      इसे घने जंगल,पहाड़ और वृहत रेगिस्थान पसंद नहीं होता हैं। बाज़ बड़े पेड़ो पर अपना घोंसला बना कर रहता हैं यह बार बार जगह नहीं बदलता हैं। घोंसले में ये चीजें जोड़ता रहता हैं इसलिए इसके घोंसले 4 से 6 फ़ीट तक बड़े और वजनदार हो जाते हैं।  इसलिए ही बाज़ अपने जीवन काल में एक स्थान पर ही रहना पसंद करता हैं।  जब तक भोजन जैसी समस्या नहीं होती यह अपना निवास स्थान नहीं बदलता हैं। बाज़ अपने भोजन के लिए खरगोश,चूहे,गिलहरी,मछली,और काम गति से उड़ने वाले पक्षियों का शिकार करता हैं।  यह लोमड़ी और हिरन जैसे जानवरो को अपने पंचो में जकड कर शिकार कर लेता हैं। यह अपने वजन से अधिक वजन के पशु पक्षियों का शिकार करने में सक्षम होता हैं।  बाज़ को पानी में भी तैरना भी आता हैं। परंतु ये पानी से सीधे हवा में वापस नहीं उड़ सकता इसके लिए इसे पानी से धरातल पर आना पड़ता हैं। इसकी आंखे बहुत तेज होती हैं यह पांच किलोमीटर से अपने शिकार को देख सकती हैं।बाज़ की आंखों का वजन उसके दिमाक से भी भारी होता हैं।और तो और ये अल्ट्रा वायलेट लाइट को भी देखने की क्षमता रखता हैं।

           पौराणिक कथाओं के अनुसार बाज को भगवान विष्णु का वाहन माना गया हैं। वर्तमान में बाज़ संयुक्त अरब अमीरात का राष्टीय पक्षी हैं और UAE में लोग घरों में पालते हैं। बाज़ कुछ मिनिट्स में आसमान में 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाता हैं और कई घंटो तक बिना पंख हिलाए उड़ सकता हैं।एक बार में बाज़ 7 से 8 घंटे लगातार उड़ान पर रह सकता हैं।जंगल में बाज़ का जीवन 23 से 30 वर्ष तक होता हैं।जबकि पालतू बाज़ 50 वर्ष तक जीवनकाल पूरा करते हैं।

      बाज़ अपने बच्चो को जो उड़ने की ट्रेनिंग देता हैं वो दुनिया में कमांडो ट्रेनिंग की भांति सबसे कठिन और रिस्क वालीं ट्रेनिंग होती हैं।

"बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते "

(कहानी )

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बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते

यह कहावत ही बाज़ की अपने बच्चो की ट्रेनिंग की कहानी को बयान करती हैं। माना जाता हैं जब बाकी पक्षियों के बच्चे बचपन में चहकते रहते हैं तब तक बाज़ के बच्चे ऐसे शिकारी बनते हैं जो अपने वजन से दस गुणा प्राणियों का शिकार करते हैं।मादा बाज पक्षी अपने चूजे को पंजे मे दबोचकर 10  से 12 किलोमीटर तक ऊंची उड़ जाती है । इतनी ऊंचाई पर जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।

        अब वह जमीन के बिल्कुल करीब आ जाता  है ।धरती के जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को अब उसकी दूरी धरती से बचती है महज 7 से 800 मीटर लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।उस मुकाम पर पहुंचकर वह एक परिस्थिति में स्थिर हो जाती है! और फिर यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की “कठिन परीक्षा” उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है.तेरी दुनिया क्या है तेरी ऊंचाई क्या है तेरा मुकाम बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 किलोमीटर उस चूजे को पता भी नहीं होती कि उसके साथ क्या हो रहा है 7 किलोमीटर के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते हैं वह खुलने लगते हैं।लगभग 9 किलोमीटर आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते हैं ।यह जीवन का प्रथम समय होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता हैं।अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर होता हैं लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है धरती से लगभग 4 से 500 मीटर दूरी पर बच्चे को महसूस होता  है कि उसके जीवन का शायद यह अंतिम  समय है फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।

      यह पंजा उसकी मां का था जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती हैं।और यह बाज के चूजे की पहली ट्रेनिंग थी और ये निरंतर चलती रहती है जब तक कि उसका बच्चा उड़ना नहीं सीख जाता।ये ट्रेनिंग बिल्कुल एक कमांडो की तरह होती है High pressure and maximum risk… तब जाकर दुनिया को एक शाहीन/बाज़ मिलता है जो वायु की दुनिया का अघोषित बादशाह कहा जाता है ।

हिंदी की यह  कहावत हैं की

“बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते”

    मादा बाज शुरू से ही अपने बच्चों को संघर्ष करना सिखाती है। हम इंसानों की तरह वो उन्हें सुख सुविधाओं के साथ नहीं पालती। इसलिए बाज के बच्चे हमेशा बहादुर और संघर्षशील होते हैं।

      आज के माता पिता को निश्चित अपने  बच्चों के पीछे मादा बाज़ की भांति चिपक के रहना चाहिए जब तक वह इस दुनियां की मुश्किलों से रूबरू नही हो जाता उन्हे लड़ना सिखाइए बिना आवश्यकता के संघर्ष करना सिखाएं ताकि  मजबूत पंखों के बलबूते वो इस दुनिया में ऊंचाई पर उड़ान भर सके।

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मंगलवार, 21 मार्च 2023

BLACK COLOUR STORY-काले रंग के परिवार की कहानी

  काले रंग के परिवार की कहानी

काले रंग के परिवार की कहानी

  एक व्यक्ति जिसका नाम गौरीशंकर था पर उसका रंग काला था उसकी नौकरी शहर में लग गई। वह खुशी खुशी गांव के जीवन से अपने आपको शहर के रंग ढंग में ढालने लगा। खान पान से लेकर उठने और बैठने,बोलने,पहनने तक बनावटीपन डालना शुरू कर दिया। उसे इस प्रकार के बनावटीपन की आदत नहीं थी। लेकिन जीवन का एक बड़ा हिस्सा नौकरी के कारण अब उसे शहर में गुजरना था।इसलिए अपनी जीवनशैली में ये सब तब्दीलियां लाना आवश्यक था। वो बहुत ही सकारात्मक विचारों का व्यक्ति था। इसलिए परिवर्तन में विश्वास करता था।। नौकरी के शुरुवाती दिनों में गौरीशंकर  कंवारा था और शहर में किराए के मकान में ही रहता था। और कोशिश करता की अधिक से अधिक पैसे बचाएं जा सके। 

      कुछ वर्ष की नौकरी के बाद उसका विवाह गांव की एक लड़की से हो गया। उस व्यक्ति के परिवार में सभी लोगों का रंग श्याम रंग था। और घर में नई बहू भी श्याम रंग की ही आ गई। लेकिन गांव में उनका व्यवहार और भाषा बहुत ही मधुर और मिलनसार था इसलिए हमेशा से ही लोगों के साथ उनका प्रेम के रिश्ते थे।विवाह होने के बाद गौरीशंकर ने शहर में घर खरीद लिया और अब अपने माता पिता और पत्नी के साथ रहने लगा। जिस कॉलोनी में घर खरीदा तो पड़ोस में निर्मल का परिवार पहले से ही रह रहा था।


      अब गौरीशंकर कोशिश करता की पड़ोसी से अच्छे संबंध बनाने के लिए सुबह सांय जब मिलते तो उनको अभिवादन स्वरूप नमस्ते बोलता । उसके माता पिता भी शहर में नए थे। वो भी निर्मल के परिवार  को सम्मान पूर्वक राम राम बोलते । लेकिन उस वगौरीशंकर ने महसूस किया की निर्मल परिवार  उनको लगातार अनदेखी  करते रहते थे।। अब पड़ोसी परिवार के पुरुष महिला सभी लोग उनको कलुवा परिवार बोलते थे। और कभी कभार वो गौरीशंकर  के परिवार को भी सुनने को मिलता । उनके श्याम रंग के कारण वो लोग उनको तुछ्य व हीन समझते थे। कभी कोई भी बात होती तो उसमे उनका उनके काले रंग को लेकर कटास करने से नही चूकते। लेकिन गौरीशंकर  का परिवार प्रेम की पोटली से बना था और बहुत ही विनम्र स्वभाव के संस्कारी लोग थे वो इस बात का कभी भी बुरा नही मानते थे। और अधिकांश समय आगे चलके बात करने की पहल करते या कोई बहाना दूंढते।कुछ वर्ष बीत जाने के बाद गौरीशंकर के घर  बेटी पैदा हुई। और उसका रंग गौरा था। परिवार में सभी खुश थे। लेकिन निर्मल परिवार उसका भी अलग अलग तरह से मजाक बनाते। 

      एक बार क्या हुआ की निर्मल  परिवार घूमने के लिए गया हुआ था ।और निर्मल के बुजुर्ग माता पिता घर पर ही थे। उस दौरान एक रात्रि को उनके घर पर बिजली का शॉर्ट सर्किट में आग।लग गई। और घर में धुंवा फैल गया। उस व्यक्ति का परिवार बगल में ही रहता था ।इसलिए उन्हे जलने की बदबू आई। तुरंत उन्होंने घर में ध्यान दिया जब कुछ भी नही दिखा तो वह व्यक्ति बाहर निकल कर देखने लगा तो उसे निर्मल के घर में धुँवा  दिखाई दि। उसने तुरंत सभी को आवाज लगाई और फायर ब्रिगेड को फोन किया। और बहादुरी दिखाते हुए उनके घर में दाखिल हुआ और देखा की दोनो बुजुर्ग बेहोश हो चुके थे। उनको निकाल कर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। और उनकी पूरी देखभाल की 2 दिन के बाद उनका परिवार घूमने के बाद वापस आया तो उनको इस घटना से बहुत दुख हुआ। लेकिन गौरीशंकर  के कारण उसके वर्ष माता पिता बच गए थे। जब उनको पता चला तो निर्मल परिवार को बहुत पछ्तावा हुआ,और वह अपनी पत्नी,बेटे और पुत्रवधु के साथ उनके घर आया और उनकी सहायता के लिए धन्यवाद दिया। और उनके श्याम रंग के कारण उनकी उपेक्षा के लिए भी क्षमा मांगी और अपनी शर्मिंदगी जाहिर की। उन्होंने भी उनको इस बात के लिए माफ कर दिया। पर खुदा की नीति को कौन पहुंचता हैं निर्मल  की पुत्रवधु ने भी कुछ समय बाद एक लड़के को जन्म दिया। और वो बच्चा बिलकुल ही काले रंग का पैदा हुआ। तब उनको समझ आया की ईश्वर ने किसी को रंग दिया ,किसी को रूप दिया, किसी को गुणों का भंडार दिया। इसलिए दुसरो के रंग रूप से व्यक्ति के व्यक्तित्व को नही आंकना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसके गुणों और व्यवहार से होती हैं। यह ही सत्य है।

QUESTION-लोगों का रंग काला क्यों होता हैं ? 

ANSWER-लोगों का रंग गोरा या काला होना हमारी त्वचा में पाए जाने वाले मेलेनिन नामक वर्णक की मात्रा के आधार पर तय होता है People have a fair complexion based on the amount of pigment called melanin found in our skin.

QUESTION-रंगों का राजा कौन सा है?

ANSWER-ब्लू (जैसा कि "रॉयल ब्लू") विशिष्टता की सूची में उच्च है। बैंगनी रंग की दुर्लभता और तीव्रता के कारण यह रंग हमेश से रॉयल्टी से जुड़ा है, प्राचीन रोमन साम्राज्य में केवल धनी और अमीर सम्राट ही इस रंग के कपडे पहन सकते थे।

 


गुरुवार, 9 मार्च 2023

cowardly rabbit-डरपोक खरगोश की कहानी

 Don't believe what you hear

(Story) 

डरपोक खरगोश की कहानी

A rabbit lived in a  dip forest. He was very fearful. If even the slightest sound was heard somewhere, he would start running away in fear. Due to fear, he used to keep his ears standing in air all the time. That's why he could never sleep peacefully and always in tension.


One day the rabbit was sleeping under a apple tree. Sudden a apple fell from the tree near him. Hearing the sound of apple falling, he got up in a panic and jumped up and stood far away. "Run! Run! The sky is falling." Started running away screaming.

On the way he met a deer. The deer asked him, "Hey brother, why are you running like this? What is the matter after all?" Started running. While running, both were shouting loudly, "Run! Run! the sky is falling. Giraffes, wolves, foxes, jackals, and a herd of other animals also started running with them in fear of seeing them. Everyone was running and shouting together, Run! Run! The sky is falling. He was sleeping in the cave. Hearing the noise of the animals, he woke up in a panic. When he came
out of the cave, he got very angry. He roared and said, "Stop! Stop! What is the matter?"


All the animals stopped for fear of the lion. Everyone said in one voice, "The sky is falling down."


Singh laughed a lot after hearing this. Tears welled up in his eyes while laughing. He stopped laughing and said, "Who has seen the sky falling?" Everyone started staring at each other. In the end, everyone's eyes turned towards the rabbit, only then it came out of his mouth, "A piece of the sky has fallen under that apple tree."


"Come on, let's go over there and see." Singh said. The whole platoon of animals along with the lion reached near the apple tree, everyone searched here and there. No one could see any piece of the sky anywhere. Yes, he definitely saw a apple falling on the ground.

Pointing to the apple, the lion asked the rabbit, "Is that the piece of sky, for which you made everyone afraid?"

Now the rabbit understood his mistake. His head bowed down in shame. He started trembling with fear.

Other animals were also very ashamed of this incident, they were regretting their mistake that they were running unnecessarily fearing what they had heard. Happened.


Moral of the story's - Don't believe what you hear (सुनी सुनाई बातो पर यकींन ना करे )