शनिवार, 1 अप्रैल 2023

निर्धन चतुर व्यक्ति-The clever Man story in Hindi

 निर्धन चतुर व्यक्ति-The clever Man story in Hindi

निर्धन चतुर व्यक्ति

        एक कर्मचंद नाम का गरीब व्यक्ति था। एक दिन उसके पास कुछ भी नही था तभी उसने अपना दिमाक चलाना शुरू किया और उसे अपने घर में एक मरा हुआ चूहा दिखा। उस व्यक्ति ने वो चूहा उठाया और एक भोजनशाला पहुंच गया और उस चूहे को भोजनशाला के मालिक को बेच दिया जिसे अपनी बिल्ली के भोजन के लिए मरा हुआ चूहा खरीद लिया। उसने ने चूहे के बदले कर्मचंद को एक टक्का दिया।  इसके अगले  ही दिन बहुत तेज आंधी तूफान आया जिसके कारण एक घर के मालिक के बगीचे में खूब सारे पेड़ की पत्ती और टहनियो से सारा बगीचा  अस्त व्यस्त हो गया था।उस बगीचे के मालिक को  बड़ी चिंता सताने लगी की इतनी सफाई किस प्रकार में कर पाऊंगा तभी उसे  कर्मचंद मिला ।उस व्यक्ति ने कर्मचंद को कहा की  क्या तुम उसके बगीचे को साफ कर सकते हो ?  तो कर्मचंद  ने कहा हां जरूर कर सकता हूं। लेकिन इस बगीचे के जितने भी पत्ते और टहनियां है वह सब मैं अपने साथ लेकर जाऊंगा । इससे बगीचे का मालिक बहुत खुश हुआ । क्योंकि उसके लिए ये कचरा मात्र था और इस काम के लिए उसे पैसे भी खर्च नहीं करने पड़े ।दोनो में बात पक्की होगइ। कर्मचंद ने देखा की बगीचे के पास ही  बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे । कर्मचंद ने उन बच्चों के पास गया और बोला कि सब बच्चों को मिठाई खिलाऊंगा अगर तुम मेरी इस बगीचे को साफ करने में मदद करोगे बच्चे भी खुश होगये और  उन्होंने सारे टहनियों और पत्तों को बगीचे  के द्वार के पास में सारे पत्ते और टहनियों को इकट्ठा करवा दिया ।और उद्यान पूरा एकदम साफ सुथरा हो गया। 

       तभी वहां से एक कुम्हार गुजर रहा था जिसे अपने मटको को पकाने के लिए इंधन की आवश्यकता थी ।उसने जैसे ही उसने लकड़ी का ढेर देखा तो कुम्हार ने उससे वह ढेर खरीद लिया इस प्रकार कर्मचंद के पास कुछ और पैसे इकट्ठे हो गए ।

     एक दिन कर्मचंद ने देखा की शहर के द्वार पर कुछ लोग हैं  जो  लगभग 500 लोग के आसपास होंगे वो सब  घास काटने का काम करते थे । कर्मचंद ने उन सभी 500 लोगों को पानी पिलाया  तो वो  लोग बड़े खुश हुए और उन्होंने सब ने मिलकर कहा कि बताओ कर्मचंद हम तुम्हारी क्या मदद कर सकते हैं ? कर्मचंद ने कहा कि अभी तो मुझे आपकी हेल्प की आवश्यकता नहीं है ।जब मुझे आवश्यकता होगी तो मैं जरूर आपको बताऊंगा ?

      इसी दौरान कर्मचंद की दोस्ती एक व्यापारी से हो जाती है। उस  व्यापारी ने कहा कि अपने शहर में कुछ व्यापारी 500 घोड़ों के साथ में आ रहे हैं  उनको घोड़ों के लिए घास की आवश्यकता हैं।  अगले ही  दिन कर्मचंद उन लोगों के पास पहुंचा और बोला आज मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है ।उन्होंने कहा कि हां बताइए की हम आपकी  क्या मदद कर सकते हैं । कर्मचंद ने कहा की आप मुझे  घास का गट्ठर दे दो।और कहा कि जब तक जब में आपको ना कहूं तक  तक आप लोग बिल्कुल भी  घास को मत बेचना । इस प्रकार से कर्मचंद ने सारी घास के गट्ठर ले गया । अब  व्यापारी को घोड़ों के लिए घास की आवश्यकता पड़ी लेकिन उनको बाजार में घास नहीं मिली। तो उन्होंने मित्र व्यापारी को बताया तो कर्मचंद ने सारी घास की गठरी उन व्यापारियों को बेच दी। और बदले में  हजार सोने के सिक्के लिए ।इस प्रकार से एक निर्धन व्यक्ति जिसके पास सिर्फ एक मरा हुआ चूहा था ।उसने  अपने बुद्धि की चतुराई के बल से अपनी निर्धनता से मुक्ति पाई।

शिक्षक - कर्म के रास्ते पर चलने से  ही सिद्धि मिलती हैं।  व्यक्ति निर्धन पैदा हो ये कोई पाप नहीं हैं लेकिन गरीब मरना निश्चित पाप हैं।

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