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मंगलवार, 27 जून 2023

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी/Short story of Peter Rabbit

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी

Short story of Peter Rabbit in Hindi

 पीटर रैबिट एक शरारती छोटा खरगोश था जो अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ एक बिल में रहता था। एक दिन, पीटर ने अपनी माँ की बात नहीं मानी और सब्जियाँ खाने के लिए मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे में चला गया। मिस्टर मैकग्रेगर बहुत क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे, और उन्हें अपने बगीचे में खरगोश पसंद नहीं थे। जब उसने पीटर को देखा, तो उसने कुदाल लेकर पूरे बगीचे में उसका पीछा किया। पतरस बहुत डरा हुआ था, और वह जितनी तेजी से भाग सकता था भागा। आख़िरकार वह पानी के डिब्बे में छिपकर भागने में सफल रहा।
       अपने साहसिक कार्य के बाद पीटर बहुत थका हुआ और भूखा था। उसने घर जाकर अपनी मां को जो कुछ हुआ था, बताने का फैसला किया। जब वह घर पहुँचा तो उसकी माँ उस पर बहुत क्रोधित हुई। उसने उससे कहा कि वह एक शरारती खरगोश है और उसे फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। पतरस को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करेगा।
       
        अगले दिन, पीटर श्री मैकग्रेगर के बगीचे में वापस गया। इस बार, वह अधिक सावधान था. उसने कोई सब्ज़ी नहीं खाई, और उसने कोई शोर नहीं किया। उसने बस चारों ओर देखा और ताजी हवा और धूप का आनंद लिया। कुछ देर बाद उसने घर जाने का फैसला किया. वह खुश था कि उसने अपना सबक सीख लिया था, और उसने अब से एक अच्छा खरगोश बनने के लिए दृढ़ संकल्प कर लिया था।
      पीटर रैबिट की कहानी आज्ञा नही मानना और मुक्ति की एक उत्कृष्ट कहानी है। यह बच्चों को अपने माता-पिता की बात सुनने का महत्व सिखाती है, और यह दर्शाता है कि सबसे शरारती खरगोश भी अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अच्छे बन सकते हैं।

          पीटर रैबिट को इस कहानी में एक जिज्ञासु और साहसी खरगोश के रूप में वर्णित किया गया है। वह हमेशा परेशानी में रहता था, लेकिन वह बहुत चतुर और साधन संपन्न भी था।
         मिस्टर मैकग्रेगर एक क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे जिन्हें खरगोश पसंद नहीं थे। वह हमेशा उन्हें अपने बगीचे से दूर भगाता रहता था।
पीटर रैबिट की माँ एक बुद्धिमान और धैर्यवान खरगोश थी। वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी और वह हमेशा उन्हें सही गलत की सीख देती थी।
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शनिवार, 3 जून 2023

पशु प्रेमी किशन की कहानी

एक गांव में एक पशु प्रेमी रहता था। उसका नाम किशन था। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

एक दिन किशन ने एक सड़क के किनारे देखा कि एक बेचारा घोड़ा बहुत बीमार होकर बिल्कुल दुबला-पतला हो गया है। उसकी आंखों में दुख और दुर्दशा का दृश्य था। किशन ने उसे देखकर दया की भावना से उसके पास गया और उसे ले आया।

किशन ने घोड़े की देखभाल शुरू की, उसे ठंडी और स्वच्छ जगह में रखा, उसे अच्छा खाना खिलाया और उसके लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान की। धीरे-धीरे, घोड़ा स्वस्थ हो गया और उसकी खूबसूरती वापस आ गई।

कुछ समय बाद, किशन एक बकरे को देखा जो गरीबी और बीमारी के कारण बहुत कमजोर हो गया था। उसकी उन्नति के लिए कोई साधन नहीं थे और वह असहाय था। किशन ने बकरे की देखभाल शुरू की, उसे उचित आहार और देखभाल प्रदान की। धीरे-धीरे, बकरा स्वस्थ हो गया और उसकी शक्ति और प्रगति देखी गई।

किशन ने अपने पशु-मित्रों की सेवा करके बहुत संतुष्टि महसूस की। उसने समझा कि पशुओं की देखभाल में उनका ख्याल रखना, उन्हें प्यार देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना असली पशु-प्रेम का अर्थ है।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें सभी प्राणियों की सेवा करनी चाहिए और पशु-प्रेम और दया दिखानी चाहिए। पशुओं के प्रति सम्मान और देखभाल करना हमारी मानवता के प्रतीक है।

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

चालाक गधा /Clever Donkey -Short Stories

 


चालाक गधा  /Clever Donkey -Short Stories

चालाक गधा


     एक गांव में एक कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। कुम्हार अक्षर गधे को मटके बनाने के लिए मिट्टी लाने के काम में लेता था। एक बार मटके बनाने का काम कमजोर होने के कारण कुम्हार परेशान था तभी किसी दोस्त ने बताया की वो नदी के पार गांव से नमक लाके उससे बेच सकता हैं और अपना घर खर्चा चला सकता हैं। कुम्हार को यह सुझाव अच्छा लगा।

       दूसरे दिन सुबह जल्दी ही कुम्हार गधे को लेकर नमक लाने चला गया। और अब नमक का व्यवसाय करने लगा।अब रोज कुम्हार जाता और नमक लाकर बेचता । एक दिन कुम्हार गधे पर नमक की बोरी लाद कर वापस आ रहा था। तभी नदी में गधे का पैर फिसल गया। और गधा नदी में गिर गया। थोड़ी देर की मशक्त के बाद कुम्हार ने गधे को उठाया और बोरी को सही करके चलने लगा तो गधे ने महसूस किया की उसकी पीठ पर वजन कम लग रहा हैं। अब गधा जब भी नमक लेकर नदी से वापस आता तो पानी में बैठ जाता। पानी में नमक पिघल जाता और गधे का वजन कम हो जाता। गधा बहुत खुश था लेकिन नमक कम होने से कुम्हार को नुकसान होना शुरू हो गया। 

            कुम्हार परेशान होके ये बात अपने दोस्त को बताई तो दोस्त ने कुम्हार को एक उपाय सुझाया। की वो नमक की जगह रूई लाद कर लाए। कुम्हार ने ऐसा ही किया। गधे को तो आदत हो चुकी थी की नदी में पहुंचे और पानी में लोटने की ।जैसे ही गधा पानी में बैठा और कुम्हार ने उसे उठाया तो वजन बहुत बढ़ चुका था। अब गधे के मन में डर बैठ गया और कुम्हार ने गधे को लाइन पर लाने में कामयाबी पाई।.....Watch Birds Photo Here....

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

बच्चों की टॉप 5 प्रेरणादायक कहानिया/Short Kids stories

 Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

Train /रेलगाड़ी/लोह पथ गामिनी

चुटकी बहुत प्यारी और चंचल लड़की है। चुटकी कक्षा तीसरी में पढ़ती है। एक दिन वो अपने कमरे में पढाई कर रही थी तभी उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी का चित्र देखा । उसे तुरंत अपनी रेल यात्रा याद आ गई,जो कुछ महीने पहले अपने परिवार के साथ की थी। चुटकी ने कोयला उठाया और फिर क्या था,घर की सफ़ेद दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ा,दूसरा डब्बा जुड़ा,जुड़ते–जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। 

       जब कोयला  खत्म हो गया तो चुटकी अपनी दुनिया में वापस आई और उसने देखा कमरे की आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ।  चुटकी के मम्मी पापा ने देखा तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.और उन्होंने चुटकी की इस कला की खूब प्रशंसा की और उसकी चित्रकला में रूचि देखते हुए उसको आवश्यक सामग्री खरीद के उपलब्ध कराई। और चुटकी को चित्रकला से जुड़े हुए विडिओ मोबाइल पर देखने की छूट दी।  इससे चुटकी की अपनी रूचि को पंख लग गए। 

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को पंक लगाई और उनके भविष्य का निर्माण में आज से ही बढ़ाये /Boost the confidence of children because they are the future

 चालक चूहा/Cleaver Rat  

( Hindi short stories )


     मोटू  के घर में एक शरारती चूहया थी । वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में इधर उधर दौड़ती रहती थी। उसने मोटू  की किताब भी कुतर डाली थी। एक दिन तो उसने मोटू के कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। मोटू की माता  जो कई बार ही खाना बनाकर उसे ढकना भूल जाती थी। वह चूहिया उसे भी चट कर जाती थी । चूहिया खा पीकर बड़ी  हो गई थी। 

          एक दिन मोटू  की माता  ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा था । शरारती चुहया की नज़र बोतल पर पड़ गयी। अब वो सरबत को भी चकना चाहती थी लेकिन उसकी कोई भी तरकीब काम नहीं कर रही था लेकिन चुहिया को तो शरबत पीना था।

        चुहिया बोतल पर चढ़ी और किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो गई । अब उसमें अपना मुंह घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन बोतल का मुंह छोटा था इसलिए चुहिया अपना मुंह नहीं घुसा पा रही थी । 

       फिर चुहिया  को एक  आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चुहिया का पेट भर गया। अब वह मोटू के बिस्तर के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम करने लगी आज उसको पूर्ण संतुष्टि और खुश थी ।

   नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता/Hard work with smartness is the key to success. 

रजत  के तीन खरगोश राजा

( Hindi short stories with moral for kids )

      रजत कक्षा तीन का छात्र था। उसके घर में तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे।  रजत अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। और स्कूल से आने के बाद अधिकार समय उन्ही के साथ खेलता था और उनका पूरा ध्यान रखता था । वह स्कूल जाने से पहले पास के बगीचे से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था।स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।और कभी कभी उनको टमाटर और फल खिलाता था।


एक  दिन की बात है  रजत को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका,और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था।  रजत ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।


 रजत उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई।  रजत अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे ,और खेल रहे थे।  रजत को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मां  भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी भी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता/ Understand the agony of others. You will never feel any sorrow

दोस्ती का महत्व/Importance of friends
( Hindi short stories with moral for kids )

 रजत  गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता हैं  । वहां रजत को खूब मजा आता हैं ,क्योंकि नानी के आम का बगीचा हैं  वहां रजत ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं,पर उन्हें रजत आम नहीं खिलाता है।

       एक  दिन की बात है, रजत को खेलते खेलते चोट लग गई। रजत के दोस्तों ने रजत  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी माता  से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर रजत को मालिश किया गया।

        माता  ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। रजत जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

  नैतिक शिक्षा – 

        दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपानी नहीं चाहिए/Always love your best friend. And take the time to choose your friends. Because friends will decide your behavior towards the situation in life.

चिड़िया के होंसले की कहानी |/Chidiya ke honsle ki Story In Hindi


          एक  जंगल था  जिसमें भांति भांति के  छोटे-बड़े जानवरों और पक्षियों का बसेरा था।  उसी जंगल के एक पीपल के पेड़ पर घोंसला बनाकर एक सोहन चिड़िया भी रहा करती थी जो बहुत छोटी सी थी सब उसे प्यार से नन्ही नानी कहते थे। एक दिन जंगल में भीषण आग लग गई।  

      सही जीव जन्तुओ में चारो और  हा-हाकार मच गया। सब अपनी जान बचाकर भागने लगे लेकिन छोटी  चिड़िया जिस पेड़ पर रहा करती थी वह भी आग की चपेट में आ गया था। ऐसी परिस्थति में चिड़िया को भी अपनी जान बचाने के लिए उसे भी अपना घोंसला छोड़ना पड़ा।

     लेकिन चिड़िया  जंगल की आग देखकर बिलकुल भी नहीं  घबराई।  वह तुरंत बिना वक्त गंवाए नदी के पास गई और अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की ओर लौटी. चोंच में भरा पानी आग मे छिड़ककर वह फिर नदी की ओर गई. 

      इस तरह नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर बार-बार वह जंगल की आग में डालने लगी। उसकी इस हरकत को बाकि सभी जानवर देख रहे थे और चिड़िया की इस मूर्खतापूर्ण काम को देख कर सभी हंसने लगे और  बोले, “अरे चिड़िया रानी, ये क्या कर रही हो? चोंच भर पानी से जंगल की आग बुझा रही हो,मूर्खता छोड़ो और प्राण बचाकर भागो. जंगल की आग ऐसे नहीं बुझेगी।”

       उनकी बातें सुनकर चिड़िया बोली, “तुम लोगों को भागना है, तो भागो  मैं नहीं भागूंगी  ये जंगल मेरा घर है और मैं अपने घर की रक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगी फिर कोई मेरा साथ दे न दे.”

       चिड़िया की बात सुनकर सभी जानवरों के सिर शर्म से झुक गए।  उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।  सबने चिड़िया से क्षमा मांगी और फिर उसके साथ जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास में जुट गए. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और जंगल में लगी आग बुझ गई।

Moral of the story -मनुष्य को भी नन्ही चिड़िया के जैसे कठिन परिस्थति में  बिना प्रयास के कभी हार नहीं माननी चाहिए।


                               मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
                               पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।  


विपत्ति चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो? बिना प्रयास के कभी हार नहीं मानना चाहिए.



 

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

पप्पू की हवाई यात्रा

 पप्पू की हवाई यात्रा

अब भी हंसी आ रही है

Story

 

हवाई जहाज उड़ान पर था कि एक यात्री पप्पू, जो इकोनॉमी क्लास में बैठा था, उठकर अचानक फर्स्ट क्लास सेक्शन में में जाकर बैठ गया।

      फ्लाइट अटेंडेंट उसे ऐसा करते देखती है और उसका टिकट देखने के लिए मांगती है।  वह पप्पू से कहती है कि चूंकि उसने इकोनॉमी क्लास के लिए भुगतान किया है, इसलिए उसे सबसे पीछे बैठना होगा, जो इकोनॉमी क्लास है

      पप्पू जवाब देता है, "मैं पप्पू हूं, सारी दुनिया मुझे पप्पू के नाम से जानती है। मैं बहुत प्रसिद्ध हूं, मैं बहुत रईस भी हूं। दिल्ली जा रहा हूं और वहीं रहता हूं। "

       फ्लाइट अटेंडेंट कॉकपिट में जाती है और पायलट और सह-पायलट को बताती है कि एक पप्पू नाम का यात्री प्रथम श्रेणी में बैठा है, जिसका टिकट इकोनॉमिक क्लाश का है और  सीट पर वापस नहीं जा रहा है।

     सह-पायलट पप्पू के पास जाता है और समझाने की कोशिश करता है कि चूंकि उसने इकोनॉमिक क्लाश का टिकट लिया है, इसलिए उसे अपनी वास्तविक सीट पर वापस जाना चाहिए।

      पप्पू फिर जवाब देता हैं, "मैं पप्पू हूं, मैं खानदानी रईस हूं, मैं दिल्ली जा रहा हूं और वहां मुझे बहुत बड़े-बड़े लोगों से परिचय है।"

      सह-पायलट लौटता है और पायलट को जानकारी देता है।

पायलट कहता है, “वो पप्पू है और मैं पप्पू का भी गुरु हूं। मैं उसको उसी भाषा में बोलूंगा, जो वह समझता है।

           वह वापस पप्पू के पास जाता है और उसके कान में कुछ फुसफुसाता है, जिस पर पप्पू कहता है, "ओह, आई एम सॉरी", और उठकर इकोनॉमी क्लास में अपनी सीट पर वापस चला जाता है।

फ्लाइट अटेंडेंट और सह-पायलट चकित हैं और पायलट से पूछते हैं कि ऐसा क्या बोला कि उसने बिना किसी  उपद्रव के मान गया और वापस अपनी सिट पर चला गया।

पायलट ने जवाब दिया- "मैंने उससे कहा, फर्स्ट क्लास दिल्ली नहीं जा रही है, इकोनॉमिक क्लाश दिल्ली जायेगी"

😅


शुक्रवार, 17 मार्च 2023

बस की पहली यात्रा -मुन्नी का सपना

 मुन्नी की पहली बस यात्रा की  कहानी।

पहली बस यात्रा


  मुन्नी एक 5 वर्ष की लड़की थी। जो अब घर के बगल में सरकारी स्कूल में जाने लग गई थी।मुन्नी के घर के पास ही बस स्टैंड था।जिससे शहर से बसे आती और जाती थी। मुन्नी हमेशा स्कूल से आने के बाद घर की खिड़की पर बैठ जाती थी । और बस स्टैंड का नजारा देखती रहती थी। बसों और यात्रियों के साथ मूंगफली चाय पानी बेचने वालो को आवास हर वक्त मुन्नी के कानो में सुनाई पड़ती थी। 

     मुन्नी के पापा भी साइकिल मरमत का काम करते थे। घर में भोजन,कपड़ा और हारी बीमारी के खर्चे के बाद कुछ नही बचता था। मुन्नी छोटी सी उम्र में घर की आर्थिक स्थिति से अच्छे से अवगत थी। इसलिए वो कभी भी खिलौनों और मिठाइयों की कोई जिद्द नहीं करती थी। पर मुन्नी के मन में बस की यात्रा करने का सपना जरूर घर करने लग गया था । की वो भी एक दिन बस में सफर करेगी और सफर का आनंद लेगी। लेकिन मुन्नी को पता था की ये काम उसके लिए आसान नहीं हैं। क्योंकि मुन्नी का स्कूल भी घर के पास में था। मुन्नी का जीवन स्कूल और घर के अलावा केवल कुछ देर के लिए सांय काल सहेलियों के साथ खेलने में ही गुजरता था। लेकिन मुन्नी और बच्चो की तरह सपने संजोने शुरू कर दिए थे पर साथ में घर की माली हालत भी तो उससे छुपी हुई नही थी।। मुन्नी ये सब सोचते हुए बसों को देख रही थी। तभी उसके पापा की आवाज आई वो उठ कर पापा के पास जाती उसके पापा उसके पास आ चुके थे। 

       उस दिन पापा का काम अच्छा हुआ था इसलिए उन्होंने मुन्नी को 1 रुपया दिया। और।कहा की ये रुपया आपका हुआ। मुन्नी बहुत खुश हुई तभी उसके दिमाक में एक विचार ने जन्म लिया की अब से वो अपनी गिफ्ट स्वरूप या इनाम में मिले रुपया को अपने पास पिग्गी बैंक में इकठ्ठा करेगी और बस में यात्रा करेगी।  अब मुन्नी हर दिन खिड़की में बैठती और बस स्टैंड पे लोगो के नजारे देखती और रोमांचित होती । जब भी घर पर कोई मेहमान या मामा नाना आते तो मुन्नी को उपहार स्वरूप 1-2 रुपया देते और मुन्नी बहुत खुश होती और अपने पिग्गी बैंक में बचत करने लगी। मुन्नी खिड़की में बैठ कर सोचती की  टिकट के आने जाने पैसे होने पर वो बस में खिड़की पर ही बैठेगी और बाहर की ठंडी हवा के साथ नजारो का मजा लेगी। और हर दिन अपनी बचत को गिनती। ऐसे करते हुए उसे 2 साल का समय हो चुका था और मुन्नी अब 7 वर्ष की हो चुकी थी। साथ में बातूनी इतनी की बड़ो के कानो के कीड़े झड़ जाएं।

अब मुनि कक्षा 3 में प्रवेश कर चुकी थी। अब मुन्नी के पास  70 रूपये हो चुके थे। और शहर तक जाने के लिए बस का किराया 30 रुपया था। पर अब मुन्नी घर से शहर कैसे जाए। क्योंकि इतनी कम उम्र में उसको माता पिता से अनुमति मिलने की संभावना नगण्य थी। और वो हिम्मत भी नही जुटा पा रही थी। उसमें हिम्मत करके मौके की तलाश करने लगी। और एक दिन ऐसा आया की उनकी स्कूल की छुट्टी आधे समय पर ही हो गई। मुन्नी सीधे बस स्टैंड गई और बस का इंतजार करने लगी। जैसे ही बस पहुंची उसने कंडक्टर से बड़े ही आत्मविश्वास से पूछा की बस क्या शहर को जा रही हैं। उसकी आवाज की खनक सुनके कंडक्टर ने कहा की मैम बस शहर को ही जा रही हैं और वो मुन्नी को ऊपर चढ़ने में सहायता करने के लिए बढ़ा लेकिन आज मुन्नी के तेवर कुछ अलग ही थे।उसने कहा की में खुद चढ़ सकती हु। कंडक्टर भी हतप्रस्थ रह गया। कंडक्टर ने कहा जैसी आपकी मर्जी मैम। कंडक्टर -क्या आप अकेले ही यात्रा करोगी?

मुन्नी  -हां क्यों अकेले यात्रा करने पर मनाही हैं?

कंडक्टर -अरे नही मैम आपको बच्चा समझ के लिए पूछ लिया।

मुन्नी - में 7 साल की हो चुकी हु। क्या आपको में बच्ची नजर आती हुं?आप मुझे बातो में मत उलझाइए और टिकट दीजिए। मुन्नी ने कंडक्टर को 30 रुपए दिए और टिकट लिया।

    इतने समय में आगे का बस स्टॉप आ गया और कंडक्टर थोड़ी देर के लिए व्यस्थ हो गया। जब तक मुन्नी खिड़की की सीट पर बैठ चुकी थी। और रास्ते में आते हुए घास के मैदान,कभी नहर कल कल करते हुए बहता हुआ पानी और पशु पक्षियों की चहल पहल देखते हुए बस में आंनद की अनुभूति कर रही थी। पर उसकी शारीरिक ऊंचाई कम होने के कारण उसको बार बार ऊपर होकर देखना पड़ रहा था। सामने से आने वाली कार,बस ट्रक, टेम्पु ऐसे लग रहे थे जैसे सीधे बस से आकर टकरा जायेंगे। लेकिन इतनी सुरक्षा से बस आगे बढ़ते हुए मुन्नी के मन में बहुत से सवाल बड़ रहे थे। और वो बाहर की  गतिविधियां देख कर खूब हंस रही थी। बस में लोग बहुत कम थे लेकिन मुन्नी को इस तरह से खिलखिलाते देख सभी साथ में हंस रहे थे। उस दौरान एक बुजुर्ग व्यक्ति उसके बगल में आके बैठ चुका था। उसने कहा की बेटा आप अकेले किधर को जा रहे हो। मुन्नी ने कहा की वो बस में बैठ के शहर जा रही हैं और उसके पास पूरे 30 रूपये की टिकट भी ली हैं। बुजुर्ग ने कहा की क्या आपका कोई रिश्तेदार शहर में रहता हैं। तो मुन्नी ने कहा की नही तो फिर आप शहर को कैसे देखोगी उधर बहुत बड़ी बड़ी सड़के ,छोटी गालियां, ऊंची ऊंची बिल्डिंग होती हैं आप अकेले को डर नही लगता। 

   मुन्नी ने फिर आत्मविश्वास दिखाया और कहा इनसे डरने की कोनसी बात हैं। और फिर खिड़की के बाहर प्रकृति को निहारने लगी। बस अब 2 घंटे के बाद बस शहर पहुंच चुकी थी। सभी सवारियां बस से उतर चुकी थी लेकिन मुन्नी अपनी सीट पर ही बैठी रही। तो कंडक्टर ने भावपूर्ण का मैम यन्हि से रिटर्न होगी। लेकिन मुन्नी ने पैसे देते हुए कहा की मुझे वापस जाने का टिकट दे दीजिए।तब कंडक्टर को समझ आया की वो शहर में केवल बस की यात्रा करनें आई हैं। कंडक्टर ने उसे कहा की वो थोड़ा पानी नाश्ता कर ले बस थोड़ी देर रुकने के बाद चलेगी। लेकिन मुन्नी के मन में तो डर था इसलिए उसने मना कर दिया। लेकिन कंडक्टर नेकदिल इंसान था इसलिए उसने मुन्नी को पानी पिलाया और एक आइसक्रीम खाने को दिया। थोड़ी देर के विश्राम के बाद बस वापस चली। और मुन्नी अपने जीवन की पहली बस यात्रा करके वापस अपने घर पहुंची।

शिक्षा - सपनो को पुरा करने के लिए बचत के साथ थोड़ी हिम्मत दिखानी पड़ती हैं।

रविवार, 12 मार्च 2023

Top 7 Kids Stories -बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां

बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां

-बच्चो की शिक्षाप्रद कहानियां
  दर्जी और हाथी की दोस्ती

       एकबार की बात हैं की एक गांव में एक दर्जी रहता था। दर्जी सुबह प्रात:अपनी दुकान खोल लेता था। उसकी दुकान के सामने से एक व्यक्ति हर रोज अपने हाथी के साथ गांव के तालाब में सुबह सुबह स्नान करने व पानी लाने के लिए जाते थे। दर्जी प्रतिदिन सुबह सुबह हाथी को कुछ खाने के लिए देना शुरू किया। और हाथी आता और दुकान पे रुकता। दर्जी उसे कुछ खाने को देता और उसके सूंड पे हाथ फेरता। इसके बदले हाथी भी तालाब से वापसी के समय दर्जी के लिए तालाब से कमल का फूल लेके आता और दर्जी को फूल देता। 

        यह सिलसिला खूब दिन से चल रहा था। और ये क्रिया एक पशु और मनुष्य की दोस्ती की मिशाल बन गई। सभी लोग दर्जी और हाथी की दोस्ती की चर्चा करते थे।। एक दिन दर्जी को मजाक करने की सूझी और उसने हाथी को कुछ खिलाने।की बजाय उसकी सूंड में सुई चुभा दी। 

      अब क्या था हाथी बहुत नाराज़ हो गया। हाथी उस दिन तालाब से कमल की जगह सूंड में कीचड़ भरकर आय।जैसे ही वो दर्जी की दुकान पे पहुंचा और सारे कीचड़ को उसकी दुकान में फेंक दिया जिससे दर्जी के सारे कपड़े गंदें हो गए।और दर्जी इस घटना से बहुत दुखी हुआ।

शिक्षा -जैसा बोवोगे वैसा पाओगे। इसलिए सबसे मधुर व्यवहार करना ही अच्छा होता हैं । 

लालची कुत्ता 

लालची कुत्ता

   यह कहानी हैं एक कुत्ते की । एक दिन वो भूख के लिए भोजन ढूंढ रहा था। तभी उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। कुत्ते ने उस टुकड़े को मुंह में दबा कर एकांत में खाने का प्लान किया। और वो एक दिशा में चल पड़ा रास्ते में वो एक नदी के ऊपर पुलिया से गुजर रहा था।तभी उसने अपनी परछाई नदी के पानी में देखी। कुत्ते ने सोचा की क्यों न में इसकी रोटी छीन लू फिर आराम से बैठके भोजन करूंगा।  कुत्ता यह सोच ही रहा था की वो अपनी परछाई पे भौंका और भौंकते ही उसका मुंह खुला और उसके मुंह की रोटी पानी में गिर गई। बेचारे कुत्ते को अपने लालची स्वभाव की कीमत अपनी रोटी खो के चुकानी पड़ी। और उसको बहुत पछतावा हुआ।

 शिक्षा - लालच बुरी बला हैं। इसलिए कभी भी अधिक लालच नहीं करना चाहिए।

बंदर मामा और बिल्ली मांसी

बंदर मामा और बिल्ली मांसी

 

       एक बार दो बंदर थे । उनको एक रोटी मिली ।वो अब रोटी का बंटवारा करने लगे तभी उनमें झगड़ा होने लग गया। और वो दोनो एक दूसरे पर अधिक रोटी लेने का आरोप लगाने लगे। तभी उन्होंने बिल्ली मांसी के पास जाकर फैसला करने का निर्णय किया। और बिल्ली के घर पहुंच गए। 

     सारा माजरा समझ के बिल्ली मांसी ने एक तुला ली और दोनो में रोटी का एक एक टुकड़ा रख दिया। लेकिन तुला के एक पलड़े में अधिक होने पर बिल्ली ने एक छोटा टुकड़ा तोड़ के खुद खा लिया। अब दूसरे पलड़े में अधिक रोटी हो गई। अबकी बार उसमे से थोड़ा खा लिया। ऐसा दो से तीन बार किया तब जाके दोनो बंदरो को समझ में आया की उन दोनो की लड़ाई में बिल्ली मांसी ने अपना उल्लू सीधा कर लिया। तुरंत दोनो ने बिल्ली को रोका और बाकी बची हुई रोटी वापस लेके चुपचाप चले गए।

शिक्षा -आपसी झगड़े में हमेशा तीसरा व्यक्ति मौका ढूंढता हैं। इस लिए मध्यस्था की जगह आपसी संवाद में विश्वास करे।

संगठन में शक्ति हैं।

संगठन में शक्ति हैं।

    एकबार चार सांड थे। वो चारो प्रतिदिन जंगल में जाते और एक साथ घास चरते और खुशी खुशी वापस आते। चारो बड़े ही हस्टपुष्ट और ताकतवर थे। उस जंगल के एक शेर था। और उसका इन सांडो का शिकार करके भोजन करने का मन होता था। 

     लेकिन चारो सांडो के बलशाली और एकसाथ रहने के कारण हिम्मत नही कर पाता था। एक दिन शेर ने एक सांड को अपनी और बुलाकर कहा की ये तीनो तो हमेशा ताज़ी ताज़ी घास खाते हैं और तुम्हारे लिए सुखी घास का एरिया छोड़ते हैं। अब शेर की ये बात उस सांड के दिल में घुस गई और दूसरे दिन वो अकेला ही दूसरे एरिया में घास चरने चला गया। अब क्या था शेर ने उसे अकेला देख के उसका शिकार कर लिया और खा गया। ऐसा ही करके उसने चारों सांडो को अलग अलग करके शिकार कर के खा गया।

शिक्षा - एकजुटता में जो ताकत हैं वो किसी भीं और चीज में नही होती हैं। इसलिए संगठन में ही शक्ति होती है।

किसान और उसके बेटे 

किसान और उसके बेटे

        एक किसान था उसके चार बेटे थे। किसान पी में काम करके अपना गुजर बसर करता था। अब किसान बुढ़ा होने लगा था।और उसको अपने बेटो की चिंता सताने लगी थी। एक दिन किसान ने चारो बेटो को बुलाया और अपने पास बैठाया। किसान ने बेटो को बताया की अब वो बूढ़ा और कमजोर हो चुका है। इसलिए अधिक दिन तक जिंदा नहीं रहेगा। किसान ने कहां की उसके मरने के बाद उसके चारो बेटे खेत में जाएं। बना खजाना छुपा हुआ हैं। 

      और ये बताने के कुछ दिन बाद किसान की मृत्यु हो गई। कुछ दिन बात किसान पुत्रों ने खेत में जाकर खजाना ढूंढने का निर्णय किया। और चारो ने पूरे खेत को फावड़े से खुदाई कर डाली। लेकिन उन्हें कन्ही भीं खजाना नहीं मिला। उधर से एक बुजुर्ग गुजर रहा था। उसने खेत की खुदाई देख के कहा की उन्हे खेत में गेहूं की बुवाई कर देनी चाहिए। चारो ने उसकी बात मानके खेत में गेहूं उगा दिया। कुछ महीनो के बाद फसल तैयार हुई और खूब पैदावार हुई। तब उनको समझ में आया की उनके पिता ने उन्हें मेहनत को ही छुपा हुआ खजाना कहा था।

शिक्षा - मेहनत ही जीवन का असली धन हैं।

वकील और गुरुजी को कहानी 

      एक बार की बात हैं की एक वकील और एक गुरुजी दोस्त थे। वकील थोड़ा चालक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। गुरुजी के पास कुछ जमीन थी और उसमे एक कुंआ था और उसमे अच्छा खासा पानी था। होता क्या है की गुरुजी ने वो जमीन और कुंआ वकील से खरीद ली। 

      कुछ दिन में प्रॉपर्टी के कागज़ गुरुजी के नाम हो गए। थोड़े समय के अंतराल के बाद वकील आता है और कहता हैं की  गुरुजी आपको मैने कुंआ बेचा हैं पानी नहीं। गुरुजी समझ गए की वकील ने अपनी होशियारी दिखा दी हैं। गुरुजी ने उस समय कहा की ये तो एकदम सही है। मैने कुंआ खरीदा हैं। अब।वकील पानी यूज करने लगा। 

    थोड़े दिन का समय गुजरा ही था की एक दिन गुरुजी सुबह सुबह वकील के घर पहुंच गए और बोला की दोस्त वो कुंआ तो मैंने खरीद लिया हैं आप अपना पानी खाली करो। ऐसी परिस्थिति में पाकर विचार वकील बड़ा शर्मिंदा हुआ और वकील की होशियारी धरी की धरी रह गई।

शिक्षा - हर जगह पर होशियारी दिखाना उल्टा पड़ जाता हैं

मेले में सुन्दर बैल और ग्राहक को कहानी 

      एक बार एक मेला लगा हुआ था । मेले में जी तरह तरह के सामान और जानवरों की बिक्री होती थी। उसी मेले में एक स्टॉल पर एक व्यक्ति अपना बैल बेचने आया हुआ था। अमूमन मेले।में सस्ता माला बिकता हैं लेकिन उस व्यक्ति का बैल बहुत हस्तपुष्ट और सुंदर था। सभी लोग आते और इस बैल की तारीफ करते और वैसा बैल उनके पास भी होना चाहिए अपनी इच्छा बताते लेकिन जब मोल भाव पूछते तो व्यक्ति कीमत बोलता की दस हजार रुपया। ऊंची कीमत सुनते ही लोग चले जाते। 

      एक व्यक्ति आया और उसे बैल बहुत पसंद आए। उसने कीमत जानी और तुरंत उसे दस हजार रुपए थमा दिए।व्यक्ति ने पैसे गिने और जेब में रख लिए। व्यक्ति को ग्राहक बहुत अच्छा लगा इसलिए उसने उसे कहा की आप बैठिए में आपकी कुछ खातिरदारी करता हु। लेकिन ग्राहक ने कहा की नही आप मुझे बैल दीजिए मुझे जाना हैं। व्यक्ति ने उसे कहा की भया तनिक जल सेवन कर लो। लेकिन ग्राहक ने मना कर दिया और फिर कहा की बैल उसे दे दे उसका जल्दी जाना हैं। व्यक्ति ने उसे फिर चाय पीने को कहा फिर खाने के लिए पुछा फिर उसे स्मोकिंग के कहा लेकिन ग्राहक हर बात पे ना में ही जवाब देता और जल्दी जाने के लिए कहता। व्यक्ति ने अपनी जेब से पैसे वापस निकाल के ग्राहक के हाथ में थमा दिए और बैल देने को मना कर दिया। ऐसा देख ग्राहक ने कहा की भया क्या बात हो गई। तब उस व्यक्ति ने कहा की मैने इस बैल का बड़े प्यार व लाड़चाव से पाला हैं। आपकी ये जल्दी इसे थोड़े ही दिन में मार देगी। 

      ग्राहक ने कहा वो कैसे। तब व्यक्ति ने बताया की आपको मैने आवभगत के लिए इसलिए कहा ताकि आप थोड़ा आराम कर ले लेकिन आप तो एक ही रट लगाए हुए थे की जल्दी जाना हैं। मैं समझ गया की आप इस बैल का तनिक भी आराम नही करने दोगे और ये मर जायेगा।।

शिक्षा - किसी की आवभगत को फॉर्मेलिटी से मत देखिए वो व्यक्ति आपको आराम देना चाहता हैं