गुरुवार, 8 जून 2023

लाछा गुर्जरी के मालपुआ (Sweet) की कहानी

लाछा गुर्जरी के मालपुआ की कहानी

 
लाछा गुर्जरी के मालपुआ

     बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर और प्यारी लड़की लाछा गुर्जरी नामक थी। वह एक छोटे से गांव में रहती थी और उसका परिवार गांव के आदिवासी समुदाय से संबंधित था। लाछा गुर्जरी को खाने की खुशबू और मिठाई बनाने की ज़िद हमेशा से थी।

      एक दिन गांव में एक बड़ा मेला आयोजित हुआ, और उसमें अनेक प्रकार की खाने की दुकानें लगीं। लाछा गुर्जरी भी उस मेले में गई और अपनी मिठाई बेचने का सोचा। वह बहुत मेहनत से दिग्गी मालपुआ बनाती और अपनी दुकान पर रखती थी।

      मेले में राजा और उसके दरबार के सदस्य भी मौजूद थे। राजा ने सुना कि लाछा गुर्जरी की मालपुआ बहुत मशहूर हैं, और उन्होंने इसका स्वाद चखने का निर्णय किया। राजा ने अपने दरबारियों को भेजकर दिग्गी मालपुआ खाने को कहा और अपनी खुशबू भरी गद्दी पर बैठ गए।

     जब दरबारी लोग लाछा गुर्जरी की मालपुआ खाने पहुंचे, तो वे उसकी मिठास से हैरान रह गए। उन्होंने कहा, "यह मालपुआ अद्वितीय है, इसमें कुछ खास है।" एक दरबारी ने कहा, "इसमें इतनी मीठास कहाँ से आती है?" और दूसरा दरबारी ने कहा, "शायद इसमें प्यार की कोई मायरा छिपा होती है।"

       इस बात को सुनकर लाछा गुर्जरी को बहुत खुशी हुई। वह राजा के पास गई और कहा, "महाराज, इस मालपुआ में कोई विशेष चीज़ नहीं है, बस मेरे हाथों का प्यार और समर्पण है। आपका आदर्शवाद और सम्मान इसे इतनी मीठास देते हैं।"

      राजा ने लाछा गुर्जरी की मज़ाकिया बातों को समझ लिया और खुश होकर उसे बधाई दी। वह उसे राजमहल में बुलाया और उसे अपनी राजमहल की रानी बना दिया। लाछा गुर्जरी और राजा के बीच प्यार और सम्मान की कहानी बड़े सुंदर ढंग से चली।

शिक्षा 

     इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि सच्चा प्यार और समर्पण किसी भी खाने को अद्वितीय और स्वादिष्ट बना सकता है। जब हम अपने काम को दिल से करते हैं।

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