शेर और भोले पंडित की कहानी
एक बार जंगल के पास एक गाँव था और जंगल से जंगली जानवर गाँव में आ जाते थे और जानवरो को शिकार बनाते थे। एक बार जंगल का राजा शेर आ गया। शेर गाँव के जानवरों को मार का खा जाता था। गाँव वाले बहुत परेशान हो गए और उन्होंने गाँव के पास एक पिंजरा लगाकर शेर को पिंजरे में बंद कर दिया।
एक दिन सांय पूजा करके मंदिर का पुजारी घर आ रहा था। तभी शेर ने पुजारी जी से पिंजरा खोलने का आग्रह किया।
पुजारी जी ने कहा –“पक्का तुमने गाँव वालों को परेशान किया होगा तभी तुम्हें इस पिंजरे में बंद किया है।
यदि मैं पिंजरा खोल दूंगा तो तुम मुझे खा जाओगे। ” शेर ने पक्का वचन दिया कि पुजारी उसका पिंजरा खोल देगा तो शेर उसे कुछ नहीं करेगा और जंगल चला जायेगा।
पुजारी ठहरा दयालु प्रवर्ती का और वह शेर की बातों में आ गया और पिंजरा खोल दिया जैसे ही पुजारी ने पिंजरा खोला वैसे ही शेर ने उसे दबोच लिया।
भोला पुजारी बोला – “ शेर ! तुम तो जंगल के राजा हो और मैंने तुम्हारी सहायता की है। तुमने मुझे पक्का वचन भी दिया था कि तुम मुझे नहीं खाओगे। ”
शेर –“मैं तो जंगली जानवर हूँ मैं ये वचन का पालन नहीं कर सकता,मुझे जोरों की भूख लगी है और मैं तुम्हें खा कर अपनी भूख मिटाऊंगा।”
वहीँ पास में एक पेड़ पर एक बन्दर बैठा था और वो पुजारी और शेर का पूरा किस्सा सुन रहा था। पुजारी की बात सुनकर बन्दर बोला –“पुजारी क्यों बेवकूफ बना रहे हो ! शेर तो पिंजरे में हो ही नहीं सकता क्योंकि शेर इतना बड़ा है और पिंजरा इतना छोटा। शेर इसमें बंद नहीं हो सकता। ”
बन्दर की बात सुनकर शेर बोला -“मूर्ख बन्दर ! इन गांव वालो ने मुझे इसी पिंजरे में बंद किया था। ”
बन्दर बोला- “मैं मान ही नहीं सकता। आप इतने बड़े और ये पिंजरा इतना छोटा ! ना ये संभव नहीं हो सकता। जब तक आप इस पिंजरे में जा कर नहीं दिखलायेंगे ,मैं कैसे मान लूँ आपको कोई इतने छोटे पिंजरे में बंद कर सकता है।
बंदर के कहने पर शेर पिंजरे में चला गया। जैसे ही शेर पिंजरे में गया बन्दर ने बाहर से पिंजरा बंद कर दिया। इस प्रकार शेर फिर से पिंजरे में बंद हो जाता है और बन्दर की चतुराई से भोले भाले पुजारी की जान बची।
शिक्षा – शेर,बन्दर और पुजारी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दुष्ट कभी भी विश्वास के योग्य नहीं होते हैं। ”
शेर और चूहा
एक बार जंगल में एक शेर गहरी नींद में सोया हुआ था । तभी उसके पास में एक चूहा आया और चूहा शेर के ऊपर चढ़कर खेलने लगा ।जैसे ही शेर की नींद खुली तो यह सब देख के शेर को गुस्सा आ गया और उसने चूहे को दबोच लिया और उसे खाने लगा। चूहे ने बड़ी मासूमियत से उसे छोड़ने का आग्रह किया हे शेर मामा आप मुझे छोड़ दीजिए किसी दिन में आपकी मदद करूंगा। चूहे को मासूमियत से शेर को दया आ गई व शेर उसपे हंसने लगा।और उसने चूहे को छोड़ दिया।
कुछ ही दिन हुऐ थे की शेर शिकारियों के बिछाए हुऐ जाल के में फंस गया । अब क्या था शेर मजबूर था और खूब कोशिश पर जाल से पार नहीं पा सका दुखी होकर जोर जोर से दहाड़ लगाता रहा। तभी चूहे ने सुना की शेर मामा के दहाड़ने की आवाज आ रही हैं।और तुरंत शेर के पास पहुंच गया। अब क्या था तुरंत जाल को कुतरने लग गया और अपने नुकीले दांतो से जाल को काट दिया।और शेर को आजाद कराया। इस तरह से शेर की दयालुता का अहसान उसकी शिकारियों से जान बचाकर चुकाया। इस प्रकार से शेर और चूहे को दोस्ती पक्की हो गई।
शिक्षा - हमे शारीरिक आधार और ताकतवर और कमजोर से इंसान को छोटा बड़ा नही मानना चाहिए।और हमेशा कमजोर और दिन दुखियो पर दया का भाव रखना चाहिए और मदद करनी चाहिए।
इसलिए रहीम जी ने अपने दोहे में कहा हैं की
"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दिजिए डारी।
जहां काम आवे सुई,कहा करे तलवारी।।"
प्रश्न 1 -चूहा चीज वस्तुओ को क्यों कुतरता हैं ?
उत्तर -चूहों के दांत निरंतर बढ़ते रहते हैं और ये इतने ज्यादा मजबूत होते हैं कि वे सीमेंट और धातु जैसी चीजों को भी कुतर सकते हैं। आमतौर पर चूहे के दांत उसके जीवन काल में 20 से 22 सेंटीमीटर तक बढ़ते हैं। यदि चूहा वस्तुओं को कुतरना बंद कर दे तो ये दाँत उसको भोजन करने में बाधक बन जायेंगे और वो भूख से मर्त्यु हो जाएगी इसलिए इसके वस्तुओ के कुतरने से उसके दाँत घिसते रहते हैं और वो आसानी से भोजन कर पता हैं।
प्रश्न 2 -क्या चूहा लोहे के सरियों को भी काट सकता हैं ?
उत्तर- हाँ यह सही हैं की चूहा ताम्बा और लोहे को भी काट सकता हाँ। जर्मनी के एक वैज्ञानिक मिनरलॉगिस्ट फ़्रीड्रिक मोह ने 1812 में वस्तुओ के हॉर्ड्नेस को मापने का एक पैमाना बनाया। इस पैमाने से वस्तुओं की कठोरता का माप किया जाता है। इसमें 1 से 10 तक के स्केल पर चूहों के दाँतो की हार्ड्नेस 5.5 पाई गई। यानि की चूहों के दाँत तांबा और लोहा दोनो से ज़्यादा कठोर होते हैं। जिस चीज को तांबा या लोहे के औजार से तोड़ा नहीं जा सकता उसे चूहे अपने दांत से कुतर सकते हैं।
प्रश्न 3- चूहे के कितने दांत होते हैं ?
उत्तर -चूहों के 16 दांत होते हैं। उनके चार कृंतक होते हैं, दो ऊपरी और दो निचले, मुंह के सामने स्थित होते हैं, जिनका उपयोग कुतरने और काटने के लिए किया जाता है।
घमंडी शेर
एक जंगल में एक शेर था उसको अपनी ताकत पर बहुत घमंड था। उसके दिमाक में यह बात बार बार आती थी की वह जंगल का राजा हैं और सभी जानवर उससे कांपते हैं।इसलिए उसे अपनी ताकत और साहस का कुछ ज्यादा ही रोब दिखाता था।
एक दिन शेर जंगल की सैर पर जा रहा था रास्ते में उसे एक खरगोश मिला।शेर ने खरगोश से पूछा -"बताओ जंगल का राजा कौन ?"
डरता हुआ खरगोश -"महाराज!आप।"
शेर मन ही मन खुश होते हुए आगे बढ़ गया। रास्ते में उसे हिरण मिल गया।
शेर ने वहीं सवाल हिरण से किया -"बताओ जंगल का राजा कौन?"
हिरण डरते हुए -"महाराज ! आपके अलावा और कौन हो सकता हैं।"
शेर हिरण का जबाव सुनकर प्रसन्नता से आगे चल दिया। खिरगोश और हिरण की तरह ही लोमड़ी और भालू ने भी जवाब दिया और शेर मन ही मन बहुत खुश होता।
अब थोड़ी आगे चलने पर शेर को हाथी मिला शेर ने हाथी से पुछा की "बताओ जंगल का राजा कौन?"
हाथी पहले से ही घर पर झगड़े से गुस्से में था।और शेर की बेतुकी बात सुनकर हाथी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने शेर को अपनी सूंड में शेर को पकड़ा और ऊपर उछाल कर पटक दिया।अब हाथी ने शेर से पुछा -"अब बतलाऊं की जंगल का राजा कौन ?"
हाथी से पिटाई खाकर शेर को बहुत दर्द हो रहा था तभी शेर बोला -"नही हाथी भाई मुझे अपनी ताकत पर घमंड था " अब में समझ गया की हर जगह हेंकड़ी नही दिखानी चाहिए।
शिक्षा -अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए
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महाभारत में जब हनुमानजी भीम के रास्ते में अपनी पूंछ फैला लेते हुऐ थे तब भी ने अपने घमंड में कहा की ऐ बंदर अपनी पूंछ को रास्ते से दूर कर नही तो मैं इसे उठा कर फेंक दुंगा। तब हनुमान ने कहा की बेटा में अब बूढ़ा हो गया हूं तनिक आप ही कोशिश करके इसे दूर करदो। भीम को गुस्सा आया और वो पूंछ को उठाने लगा लेकिन बिल्कुल भी हिला नही पाया तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिए और भीम को अपनी ताकत के घमंड को सही इस्तेमाल की शिक्षा दी।।
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