सोमवार, 27 मार्च 2023

दो सुंदर बहनों की कहानी

दो बहनों की दुःख भरी प्रेम कहानी  

दो बहनों की दुःख भरी प्रेम कहानी


         यह कहानी हैं दो सुंदर लड़कियों की जिसमे एक का नाम था रूपेरी और दूसरी का नाम था सुनेरी । दोनो के बाल्यकाल में ही उनकी माता का देहांत हो गया था । क्योंकि दोनो बहिन अभी बहुत छोटी थी। इसलिए उनके पिता ने एक दूसरा विवाह किया । और अब घर में रूपेरी और सुनेरी की सौतेली मां भी रहने लगी लेकिन सौतेली मां का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नही था । उनकी पिता के पास एक छोटा सा खेत था। जिसमें उनके पिता हल जोतकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे इसी दौरान उनकी सौतेली मां की एक बेटी पैदा हुई और वह अपनी बेटी की बहुत अच्छी परवरिश करने लगी ।और रुपेरी और सुनेरी को खेत की जुताई के लिए बैलो की जगह दोनों बहनों से खेतो को जुताना शुरू कर दिया । अब खेत में उसकी बेटी भोजन  लेकर जाती और वह औरत  भोजन में  अपने पति के लिए रोटी भेजती और उन दोनों लड़कियों के लिए पशुओ का चारा भेजती। इस प्रकार के व्यवहार के कारण उनके  पिता को बड़ा दुख होता था ।

आधी रोटी अपनी दोनों बेटियों में बांट देते थे।

        पिता अपने हिस्से की आधी रोटी अपनी दोनों बेटियों में बांट देते थे। और यह सब उसकी बेटी देखती थी ।और घर जाकर अपनी मां को बताती थी कि मां बाबूजी अपने हिस्से का भोजन उन दोनों बहनों को दे देते हैं। तो धीरे-धीरे उसकी सौतेली मां ने भोजन की मात्रा को कम कर दिया । तो जितना वह भोजन भेजती थी उसमें से आधा कर दिया लेकिन पिता उसमे भी  उन दोनों बेटियों को आधा  दे देता था। तथा आधा खुद खाता था। एक  दिन ऐसा हुआ कि सौतेली मां ने खाना भेजना ही बंद कर दिया। इससे दुखी होकर रूपेली तथा सुनेरी के पिता ने उनसे कहा कि बेटी अब तुम जाओ ।अब तुम्हारे भाग्य में जो है वह तुम्हें प्राप्त होगा। ऐसा कह के पिता उन दोनों को भेज देता है। दोनों बहने घूमते घूमते एक जंगल में पहुंच जाती है। और वहां एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहने लगती है। जंगल में अपना गुजर-बसर करने के लिए कुछ भेड़े पालना शुरू कर देती हैं। अब बड़ी बहन रूपेली प्रतिदिन भेड़ों को चराने जंगल में जाति और छोटी बहन सुनेरी घर पर रहती । जब रुपेली शाम को भेड़ों को चरा कर वापस आती तो वह आवाज देती  कि सुनेरी बहन दरवाजा  खोलो  तुम्हारी बहन रूपेरी आई है ऐसा सुनके सुनेरी दरवाजा खोल देती थी। और दोनों बहने आराम से रहने लगी। एक  दिन की बात है कि रुपेरी  रोज की तरह  भेड़ों को लेकर जंगल में गई हुई थी ।तभी एक राजकुमार घोड़ी पर बैठकर शिकार करने के लिए उधर से गुजर रहा था ।तो उसकी नजर रुपेरी पर पड़ी वो बहुत ही सुंदर थी ।जिसे देखकर राजकुमार का मन उसके ऊपर मोहित हो गया ।और उसने कहा कि वो उससे शादी करना चाहता हैं। रूपेरी ने उसे मना किया ,लेकिन फिर भी राजकुमार नही माना और जबरन उसको अपने घोड़े पर बिठाकर अपने नगर में ले गया ।और उससे विवाह कर लिया ।जब शाम को रुपेरी बहन नहीं आई तो सुनेरी बहन  इंतजार करते करते रोने लगी और  रो रो के उसका बुरा हाल हो गया। जब आखिर रूपेरी  नहीं आई तो दूसरे दिन सुनेरी बहन उसकी  खोज में निकल पड़ी और ढूंढते- ढूंढते  कई वर्ष बीत गए और अब दोनो का रूप रंग,भाषा ,शकल, जीवन बहुत बदल चुका था।

बहन की दासी बनी बहन

एक दिन सुनेरी  उस नगर में पहुंच गई जिस नगर में रूपेरी   महारानी थी। और वहां पर सुनेरी जोर-जोर से आवाज लगाकर काम पर रख लेने की दुहाई (आग्रह करना )करने लगी । तब उसकी आवाज उस नगर की महारानी ने सुनी तो उसने अपनी दासी से कहा कि उसको अंदर बुला कर लाओ। और काम पे रखलो।दासी ने उसको रूपेरी  के पुत्र की देखभाल में काम पे लगा दिया।और कहा की इस बच्चे को खिलाने का काम आपको करना हैं। तो सुनेरी  बड़ी प्रसन्न हुई ।अब वह बड़े चाव से उस बच्चे को प्यार करती और खूब खिलाती और जब उस को नींद आती तो उसको लोरी गा के सुनाती। लोरी में वो बोलती की "रूपेरी  बाई जायो सुनेरी बाई खिलायो"रूपेरी बाई ने जन्म दिया तथा सुनेरी बाई ने खिलाया वह बार-बार ऐसा ही गुनगुनाती थी। एक दिन महारानी ने ये सब अपने कानो से सुना तो वह समझ गई की ये तो सुनेरी बहन ही हैं और वो तुरंत उसके पास गई और कहा की वह उस लोरी को दुबारा गुनगुनाए तो उसने कहा की " रुपेरी बाई जायो और सुनेरी  बाई खिलायो"तो यह बात सुनकर रूपेली  बाई समझ गई यह तो अपनी बहन सुनेरी  बाई ही है ।दोनों बहने आपस में गले मिलकर खूब रोई और फिर दोनो साथ साथ खुशी से रहने लगी। इस प्रकार से दोनो बहनों के प्रेम की कहानी का अंत हुआ। जिनके एक के भाग्य में महारानी बनना लिखा था और एक के दासी बनना लिखा था।।

2 टिप्‍पणियां: