मंगलवार, 27 जून 2023

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी/Short story of Peter Rabbit

पीटर रैबिट के बारे में लघु कहानी

Short story of Peter Rabbit in Hindi

 पीटर रैबिट एक शरारती छोटा खरगोश था जो अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ एक बिल में रहता था। एक दिन, पीटर ने अपनी माँ की बात नहीं मानी और सब्जियाँ खाने के लिए मिस्टर मैकग्रेगर के बगीचे में चला गया। मिस्टर मैकग्रेगर बहुत क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे, और उन्हें अपने बगीचे में खरगोश पसंद नहीं थे। जब उसने पीटर को देखा, तो उसने कुदाल लेकर पूरे बगीचे में उसका पीछा किया। पतरस बहुत डरा हुआ था, और वह जितनी तेजी से भाग सकता था भागा। आख़िरकार वह पानी के डिब्बे में छिपकर भागने में सफल रहा।
       अपने साहसिक कार्य के बाद पीटर बहुत थका हुआ और भूखा था। उसने घर जाकर अपनी मां को जो कुछ हुआ था, बताने का फैसला किया। जब वह घर पहुँचा तो उसकी माँ उस पर बहुत क्रोधित हुई। उसने उससे कहा कि वह एक शरारती खरगोश है और उसे फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। पतरस को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह फिर कभी उसकी अवज्ञा नहीं करेगा।
       
        अगले दिन, पीटर श्री मैकग्रेगर के बगीचे में वापस गया। इस बार, वह अधिक सावधान था. उसने कोई सब्ज़ी नहीं खाई, और उसने कोई शोर नहीं किया। उसने बस चारों ओर देखा और ताजी हवा और धूप का आनंद लिया। कुछ देर बाद उसने घर जाने का फैसला किया. वह खुश था कि उसने अपना सबक सीख लिया था, और उसने अब से एक अच्छा खरगोश बनने के लिए दृढ़ संकल्प कर लिया था।
      पीटर रैबिट की कहानी आज्ञा नही मानना और मुक्ति की एक उत्कृष्ट कहानी है। यह बच्चों को अपने माता-पिता की बात सुनने का महत्व सिखाती है, और यह दर्शाता है कि सबसे शरारती खरगोश भी अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अच्छे बन सकते हैं।

          पीटर रैबिट को इस कहानी में एक जिज्ञासु और साहसी खरगोश के रूप में वर्णित किया गया है। वह हमेशा परेशानी में रहता था, लेकिन वह बहुत चतुर और साधन संपन्न भी था।
         मिस्टर मैकग्रेगर एक क्रोधी बूढ़े व्यक्ति थे जिन्हें खरगोश पसंद नहीं थे। वह हमेशा उन्हें अपने बगीचे से दूर भगाता रहता था।
पीटर रैबिट की माँ एक बुद्धिमान और धैर्यवान खरगोश थी। वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी और वह हमेशा उन्हें सही गलत की सीख देती थी।
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सोमवार, 26 जून 2023

घमंडी राजा की कहानी

 घमंडी राजा की कहानी

घमंडी राजा की कहानी

एकबार एक राजा था । राजा दिखने में बहुत रूपवान और सुदृढ़ था और उसे इस बात का बहुत घमंड था। एकबार राजा दरबार में अपने रूप की प्रशंसा कर रहा था और कह रहा था की वो इतना सुंदर और बलवान हैं की भगवान भी उसके सामने बौने होंगे। तभी वहां से भगवान गुजर रहे थे । उन्होंने राजा की बात सुनी और एक राजा के इस घमंड के भाव से क्रोधित हो गए। भगवान ने उसे श्राफ दिया की उसके सिर पर दो सिंह निकल आए

       अगले दिन जैसे ही राजा सुबह जगा तो उसने देखा की उसके सिर पर 2 सिंग निकले हुए हैं। राजा वापस चादर ओढ़ के सो गाया । राजा ने सिपाई को बुलाया और कहा की शाही नाई को बुलाकर लाए। थोड़े समय के बाद शाही नाई महल में पहुंचा और सीधे राजा के कक्ष में गया । राजा ने सिपाइयो को जाने का आदेश दिया ।राजा ने चादर के अंदर से ही नाई से बात कर रहा था । उसने नाई से कहा की आप मुझे तीन वादे करो की आप को जो में चीज दिखाऊंगा उसपर आप हंसेगा नही । 

       नाई ने कहा की ठीक हैं महाराज में बिल्कुल भी हंसी नहीं करूंगा।दूसरा वादा करो की यह बात किसी और को नही बताओगे।इसके लिए भी नाई ने राजा से कहा की वो किसी को भी नही बताएगा। राजा ने नाई से कहा की जो समस्या में आपको बताऊंगा उसका इलाज भी आपको खोजना हैं। नाई ने हामी भरदी की ठीक हैं महाराज आपके इस आदेश की भी पालना हो जायेगी। उसके बाद राजा ने अपने को चादर से अलग किया और नाई को अपने सर पर उगे 2 सिंग दिखाए। जैसे ही नाई ने देखा वो अपनी हंसी रोक नही पाया। इससे राजा बहुत क्रोधित होगया । लेकिन नाई ने तुरंत राजा से माफी मांगी और कहा की वो शेष दोनो आदेशों की पूरी पालना करेगा। नाई ने राजा के बड़े बालों से दोनो सिंग को छुपा दिया और उसकी अच्छी डिजाइन बना कर राजा को पगड़ी पहना दी जिससे किसी को पता ना चले।और नाई ने राजा से जाने की अनुमति ली और चला गया। नाई महल के बरामदे तक ही पहुंचा था की उसने देखा की एक बड़ा बरगद का पेड़ हैं जिसमे चिड़ियाओं के अपने घोंसले के लिए छोटी छोटी गुफाएं बना रखी थी। नाई से रहा नही गया और उसने बरगत के उन छेड़ो में मुंह दिया और बोला की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" और नाई बोलकर आगे चला गया। 

       एक रात उस बरगद के पेड़ पर बिजली गिरी और पेड़ टूट कर ढेर हो गया। राजा ने आदेश दिए की पेड़ की लकड़ी अच्छी हैं इनसे म्यूजिकल यंत्र बनालो। एक दिन राजा का मन संगीत सुनने का किया तो वाद्य यंत्र मंगवाए और संगीत शुरू करने का आदेश दिया। तो सभी यंत्र गाने लगे की "राजा के दो सिंग राजा के दो सिंग" इस पर दरबार के बैठे सभी मंत्रीगण हंसने लगे।राजा इससे क्रोधित होकर राजपाट छोड़ दिया और जंगल में जाकर एक कच्ची झोंपड़ी बनाईं और जंगली जानवरों के साथ रहने लगा। जंगल में राजा ने अपने मनोरंजन के लिए बांसुरी बजाना शुरू किया। और धीरे धीरे वो बहुत ही अच्छी बांसुरी बजाने लगे उसकी बांसुरी सुनकर जंगल के सारे जानवर इकठे होने लगे । एक दिन राजा जंगल में तालाब से पानी लाने गया तो राजा ने पानी में अपनी परछाई देखी और अपना चेहरा देख कर राजा रोने लग गया। इसके बाद हमेशा राजा आंख बंद करके पानी भरता और अपना चेहरा नहीं देखता। 

        एक दिन वही भगवान उधर दे गुजर रहे थे तभी उन्हें बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई दी और उन्होंने देखा की इस जंगल में इतनी मधुर बांसुरी कोन बजा रहा हैं। भगवान ने मनुष्य रूप धारण किया और राजा के पास पहुंचे। और राजा से कहा की आप उसी राज्य के राजा हो क्या जिसके राजा सबसे सुंदर थे। इसपर राजा ने भगवान को अपनी पूरी व्यथा की कहानी बताई।और फिर भगवान ने अपना वास्तविक रूप में प्रकट हुए और बताया की उसका घमड़ तोड़ने के लिए ही आपको श्राफ दिया था। राजा ने भगवान से माफी मांगी और भगवान ने उसके सर से दोनो सिंग हटा दिए और उसको उसका रूप और राजपाट वापस लौटा दिया।।
 

शिक्षा - मनुष्य को किसी भी बात पे घमड़ी नही होना चाहिए। क्योंकि घमंड विनाश का रूप होता हैं।

गुरुवार, 8 जून 2023

गरीब लाछा गुर्जरी की कथा /जाट गुर्जर के रिश्तो की मिशाल

      एक गांव में एक गरीब लाछा गुर्जरी रहती थी। उसका परिवार गांव के ऊंट चराने में लगा हुआ था। लाछा गुर्जरी को अपने ऊंटों से बहुत प्यार था और वह उनके लिए हर रोज़ दिनभर मेहनत करती थी। लेकिन धनी और अमीर लोग उसे हमेशा ग़रीब समझते थे और उसके साथ अनदेखी करते थे।

      एक दिन, गांव में एक महापंडित बुलाया गया और उन्होंने घोषणा की कि वह गांव के सभी लोगों के पास एक परीक्षा लेंगे और जीतने वाले को बड़ा इनाम देंगे। इससे सभी लोगों में एक उत्साह और उत्साह उभरा।

      लाछा गुर्जरी ने भी अपने ऊंटों के साथ इस परीक्षा में हिस्सा लेने का निर्णय किया। उसने अपने ऊंटों को तैयार किया और उन्हें अच्छी तरह से संभाला।

       परीक्षा दिन आया और सभी लोग अपने-अपने योग्यता के साथ पहुंचे। महापंडित ने एक ऊंट को आगे बढ़ाने का आदेश दिया और कहा, "जो ऊंट अपनी बुद्धिमानी और चालाकी से मेरे पास पहले पहुंचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा।"

      जब यह सुनकर लोग उन्हीं ऊंटों को देखने लगे, तो सभी बड़ी उम्मीद से ऊंट की ओर देख रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे एक गरीबी से भरी लाछा गुर्जरी के ऊंट आगे बढ़ने लगे। सभी लोग चकित हो गए और लाछा गुर्जरी के ऊंट की जीत की ओर देखने लगे।

       लाछा गुर्जरी के ऊंट ने महापंडित के पास पहुंचते ही वहां विजयी घोषित किया गया। सभी लोग चौंक गए और आश्चर्यचकित हो गए। यह देखकर महापंडित ने पूछा, "यह गरीबी से भरे हुए ऊंट ने मेरी परीक्षा में कैसे जीत हासिल की?"

       लाछा गुर्जरी ने गर्व से उठते हुए ताना दिया, "महापंडित जी, जाट गुर्जर के ऊंट की बुद्धि, चालाकी और संघर्ष से भरी होती है। यह मेरे ऊंटों के लिए बस एक परीक्षा थी, लेकिन हमारे जाट गुर्जर के रिश्तों की मिशाल थी। हम ग़रीब हों, लेकिन हमारी बुद्धि, संघर्ष और समर्पण हमेशा हमारे साथ होता है।"

          इस कथा से हमें यह सिखाया जाता है कि सम्पत्ति या सामरिक स्थिति से बढ़कर, एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, सामर्थ्य और संघर्ष के माध्यम से महत्वपूर्ण कार्यों को प्राप्त कर सकता है। जाट गुर्जर के रिश्ते यह बताते हैं कि ग़रीबी और संघर्ष के बावजूद, हम अपनी मेहनत, बुद्धि और समर्पण से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

लाछा गुर्जरी के मालपुआ (Sweet) की कहानी

लाछा गुर्जरी के मालपुआ की कहानी

 
लाछा गुर्जरी के मालपुआ

     बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर और प्यारी लड़की लाछा गुर्जरी नामक थी। वह एक छोटे से गांव में रहती थी और उसका परिवार गांव के आदिवासी समुदाय से संबंधित था। लाछा गुर्जरी को खाने की खुशबू और मिठाई बनाने की ज़िद हमेशा से थी।

      एक दिन गांव में एक बड़ा मेला आयोजित हुआ, और उसमें अनेक प्रकार की खाने की दुकानें लगीं। लाछा गुर्जरी भी उस मेले में गई और अपनी मिठाई बेचने का सोचा। वह बहुत मेहनत से दिग्गी मालपुआ बनाती और अपनी दुकान पर रखती थी।

      मेले में राजा और उसके दरबार के सदस्य भी मौजूद थे। राजा ने सुना कि लाछा गुर्जरी की मालपुआ बहुत मशहूर हैं, और उन्होंने इसका स्वाद चखने का निर्णय किया। राजा ने अपने दरबारियों को भेजकर दिग्गी मालपुआ खाने को कहा और अपनी खुशबू भरी गद्दी पर बैठ गए।

     जब दरबारी लोग लाछा गुर्जरी की मालपुआ खाने पहुंचे, तो वे उसकी मिठास से हैरान रह गए। उन्होंने कहा, "यह मालपुआ अद्वितीय है, इसमें कुछ खास है।" एक दरबारी ने कहा, "इसमें इतनी मीठास कहाँ से आती है?" और दूसरा दरबारी ने कहा, "शायद इसमें प्यार की कोई मायरा छिपा होती है।"

       इस बात को सुनकर लाछा गुर्जरी को बहुत खुशी हुई। वह राजा के पास गई और कहा, "महाराज, इस मालपुआ में कोई विशेष चीज़ नहीं है, बस मेरे हाथों का प्यार और समर्पण है। आपका आदर्शवाद और सम्मान इसे इतनी मीठास देते हैं।"

      राजा ने लाछा गुर्जरी की मज़ाकिया बातों को समझ लिया और खुश होकर उसे बधाई दी। वह उसे राजमहल में बुलाया और उसे अपनी राजमहल की रानी बना दिया। लाछा गुर्जरी और राजा के बीच प्यार और सम्मान की कहानी बड़े सुंदर ढंग से चली।

शिक्षा 

     इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि सच्चा प्यार और समर्पण किसी भी खाने को अद्वितीय और स्वादिष्ट बना सकता है। जब हम अपने काम को दिल से करते हैं।

शनिवार, 3 जून 2023

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

 

शुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी

शुतुरमुर्ग के अंडे
 

Cशुतुरमुर्ग के अंडों की कहानी भारतीय परंपरा में प्रसिद्ध है। यह कहानी बचपन में हमें सिखाती है कि हमें विश्वास करना चाहिए और जिसे हम नहीं देख सकते, उस पर आशा रखनी चाहिए।

      कहीं दूर एक गांव में एक बूढ़ी महिला अकेली रहती थी। उसके पास केवल एक शुतुरमुर्ग था, जिसे वह बहुत प्यार करती थी। शुतुरमुर्ग ने अकेलेपन में उसे साथ दिया था और वह उसे अपना सब कुछ समझती थी।

       एक दिन बूढ़ी महिला ने एक सप्ताहांत से पहले देखा कि शुतुरमुर्ग बहुत उदास और चिंतित लग रहा है। उसने शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे देने का फैसला किया। वह सोचती थी कि इससे शुतुरमुर्ग का मन लगेगा और वह फिर से खुश हो जाएगा।

        बूढ़ी महिला ने उस दिन सुबह उठते ही शुतुरमुर्ग को चांदी के रंग के अंडे दिए। शुतुरमुर्ग ने अंडे देखकर खुशी के साथ उन्हें अपने पास रख लिया। वह सोचने लगा कि चांदी के रंग के अंडों से वह अब अधिक खास हो गया है।

      दिन बितते गए, लेकिन कुछ ही दिनों में शुतुरमुर्ग फिर से उदास और चिंतित लगने लगा। बूढ़ी महिला चिंतित हो गई और सोचने लगी कि उसका फैसला गलत था। उसे लगा कि शुतुरमुर्ग को कुछ और होना चाहिए।

      वह नदी के किनारे गई और नदी में रहने वाली एक महिला को मिली। वह महिला उसे बताई कि शुतुरमुर्ग के अंडे सिर्फ इतने ही रंग के होते हैं, वे कभी चांदी के रंग के नहीं होते। यह सिर्फ एक कथा है और एक तरह से तुम्हें यह सिखाती है कि हमें जो कुछ है, उसे स्वीकार करना चाहिए और वही सबसे महत्वपूर्ण होता है।

       बूढ़ी महिला घर लौटी और शुतुरमुर्ग के पास गई। उसने अपनी गलती स्वीकार की और अपनी ओर से उसे खास बनाने के लिए एक बेहतरीन इंद्रधनुष बनाया। शुतुरमुर्ग ने उसे देखा और खुशी से उसे अपने पंखों में उड़ा लिया।

   शिक्षा  

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे लिए पर्याप्त है। हमें अपनी संख्या में आने वाली खुशियों को स्वीकार करना चाहिए और जीवन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे हमें खुशहाली, समृद्धि और शांति मिलेगी।

FAQ  

Question :शुतुरमुर्ग का अंडा का वजन कितना होता है

Answer :शुतुरमुर्ग के एक अंडे का वजन लगभग 1.6 किलोग्राम है। यानी शुतुरमुर्ग का एक अंडा मुर्गी के 24 अंडों के बराबर होता है। सभी पक्षियों में शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ा होता है।

Question :शुतुरमुर्ग के अंडे कैसे सेने होते हैं ? 

Answer :नर शुतुरमुर्ग घोंसला बनाता है,जो 30 सेंटीमीटर गहरा रेत का एक बड़ा-सा गड्ढा बनांता है। इसमें अच्छे प्रकार से  टहनियां डाली जाती हैं। अंडे सेने की जिम्मेदारी केवल मादा की नहीं होती। नर और मादा दोनों मिलकर अंडे को सेते हैं

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी

 पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी 

पशु प्रेमी किसान ,घोड़ा और बकरे की कहानी
 एक समय की बात है, एक गांव में एक पशु प्रेमी किसान रहता था। उसके पास एक घोड़ा और कुछ बकरे थे। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

       किसान के पास एक बड़ा खेत था, जिसमें वह फल, सब्जियां और चारा उगाता था। घोड़ा और बकरे खेत में घूमने का आनंद लेते थे और सब्जियों को चबाकर खाते थे। किसान ने इन पशुओं को बहुत अच्छा खाना देते थे और उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ते थे।

         एक दिन, बड़ा बवंडर आया और उससे घोड़ा और बकरे अचानक अलग हो गए। खेत पर बहुत सारी बारिश हुई और उनका रास्ता भटक गया। पशु प्रेमी किसान बहुत चिंतित हो गए।

      वह उन्हें खोजने के लिए उनकी खोज में निकल पड़े। दिन भर की मेहनत के बाद, वह अपने घोड़े और बकरों को ढूंढ़ निकले और उन्हें खेत में वापस लाए।

      घोड़ा और बकरे खेत तक बहुत खुश थे क्योंकि वहां उनको आरामदायक और स्वादिष्ट चारा मिल रहा था। पशु प्रेमी किसान अपनी पशुओं को देखकर बहुत खुश थे क्योंकि वे सुरक्षित और सम्पन्न थे।

      शिक्षा : यह कहानी हमें सिखाती है कि पशुओं की सेवा करना और उनकी देखभाल करना हमारा कर्त्तव्य है। यह हमें प्रेम और समझदारी की भावना सिखाती है। हमें पशुओं के प्रति ध्यान और प्यार देना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें उनकी संरक्षण करना चाहिए।

पशु प्रेमी किशन की कहानी

एक गांव में एक पशु प्रेमी रहता था। उसका नाम किशन था। वह पशुओं को बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल करने में बहुत रुचि रखता था।

एक दिन किशन ने एक सड़क के किनारे देखा कि एक बेचारा घोड़ा बहुत बीमार होकर बिल्कुल दुबला-पतला हो गया है। उसकी आंखों में दुख और दुर्दशा का दृश्य था। किशन ने उसे देखकर दया की भावना से उसके पास गया और उसे ले आया।

किशन ने घोड़े की देखभाल शुरू की, उसे ठंडी और स्वच्छ जगह में रखा, उसे अच्छा खाना खिलाया और उसके लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान की। धीरे-धीरे, घोड़ा स्वस्थ हो गया और उसकी खूबसूरती वापस आ गई।

कुछ समय बाद, किशन एक बकरे को देखा जो गरीबी और बीमारी के कारण बहुत कमजोर हो गया था। उसकी उन्नति के लिए कोई साधन नहीं थे और वह असहाय था। किशन ने बकरे की देखभाल शुरू की, उसे उचित आहार और देखभाल प्रदान की। धीरे-धीरे, बकरा स्वस्थ हो गया और उसकी शक्ति और प्रगति देखी गई।

किशन ने अपने पशु-मित्रों की सेवा करके बहुत संतुष्टि महसूस की। उसने समझा कि पशुओं की देखभाल में उनका ख्याल रखना, उन्हें प्यार देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना असली पशु-प्रेम का अर्थ है।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें सभी प्राणियों की सेवा करनी चाहिए और पशु-प्रेम और दया दिखानी चाहिए। पशुओं के प्रति सम्मान और देखभाल करना हमारी मानवता के प्रतीक है।