शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

महिलाओं के नाभि को ढकने की कहानी

शिवजी  और पार्वती

   एक समय की बात हैं ।  शिवजी  और पार्वती दोनो कैलाश पर्वत पर आराम फरमा रहे थे तभी पार्वती जी ने शिवजी से कहा की क्यों न वो पृथ्वी की सैर करने के लिए जाया जाय। शिवजी ने भी हामी भर दी और कहा  पार्वती जी आप 12 महीने वाले रास्ते से चलेंगी  या 6 महिनेवाले रास्ते से। माता पार्वती ने कहा कि मैं तो 12 महीने वाले रास्ते से चलूंग। 

      शिवजी ने कहा कि देखो पृथ्वी  में तरह तरह के लोग हैं उनके तरह-तरह के कष्टों को देखकर तुम दुखी मत होना । माता पार्वती ने कहा की ठीक हैं मैं बिलकुल भी दुखी नहीं होऊँगी । माता पार्वती तथा शिवजी धरती की सैर पर निकल पड़े। सबसे पहले उन्होंने देखा कि एक गाय जो है वह दर्द से तड़प रही थी तो पार्वती जी ने पूछा शिवजी से यह क्या हो रहा है। तो शिवजी ने कहा कि ऐसे ही है आप आगे चलो ऐसा कुछ भी नहीं है। माता पार्वती ने कहा कि हे स्वामी पहले मुझे बताओ कि क्या हो रहा है। शिवजी ने कहा कि गाय को बच्चा होने वाला है तो पार्वती जी ने कहा कि मां बनने पर इतने कष्ट होते हैं। तुम मेरी तो कोख बांध दो एक बार गांठ लगने के पश्चात दोबारा नहीं खुलती है ।

       माता पार्वती शिव जी आगे बढ़े एक नगर में पहुंचे तो नगर में बहुत शांति तथा वहां के लोग उदास दिखाई दीये। माता पार्वती ने पूछा कि क्या बात हैं । इतनी शांति क्यों हैं और आप लोग उदास क्यों हों। 

      लोगों ने कहा कि नगर की महारानी को बच्चा पैदा होने वाला है तो वह बहुत ही पीड़ा में है । माता पार्वती जी इतनी हर्ट हुई कि उन्होंनेवशी जी से कहा की अगर माता बनने में इतना कष्ट है तो मेरी तो कोख  बांध दो । शिव जी ने कहा कि नहीं ऐसी  हट  नहीं करते हैं । फिर आगे चले रास्ते में घोड़ी को कष्ट हो रहा था ।  माता ने पूछा यह घोड़ी क्यों रो रही हैं।इसको क्या हो रहा है  तो शिव जी ने फिर कहा  की घोड़ी को बच्चा पैदा होने वाला हैं ।इसलिए वह कष्ट में है। माता पार्वती ने कहा कि नहीं अब तो आपको मेरी कोख बांधनी पड़ेगी । 

      इस बार पार्वती के  हट के पश्चात शिवजी ने उनकी कोख बांध दिया।  माता पार्वती जी के साथ शिव जी अपने ससुराल पहुंचे ससुराल में उनकी बहुत आवभगत की गई। बहुत मिठाईयां बनी व्यंजन बनाए गए उन सब मिठाइयों व्यंजनों को शिवजी अकेले ही खा गए ।माता पार्वती के लिए कुछ भी नहीं बचा माता पार्वती ने सिर्फ भथवा और पानी पीकर अपनी भूख मिटाई। दोपहर के समय जब शिवजी और पार्वती जी दोनों बैठे थे। तो शिवजी ने पार्वती से पूछा कि तुमने खाने में क्या खाया पार्वती ने कहा कि जो आपने खाया वही मैंने खाया । पार्वती माता को नींद आ गई तो शिवजी ने उनकी नाभि की ढकनी उतार कर देखा तो उसमें सिर्फ भथूआ और पानी ही था। जब माता पार्वती जगी तो शिव जी ने उनसे कहा कि तुमने मुझे झूठ क्यों कहा तुमने तो खाने में केवल भथुवा और पानी पिया था । 

      इस बात से माता पार्वती क्रुद्ध हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि आज के बाद कोई भी महिला की नाभि की ढकन नहीं उतार सकेगा। और  उसकी नाभि में उसके पीहर तथा ससुराल की इज्जत होगी। इसके बाद माता पार्वती तथा शिवजी कैलाश पर्वत की ओर वापस चल पड़े। रास्ते में वो गाय दिखी जो अब अपने बच्चे के साथ बड़ी खुशी से खेल रही थी । आगे चले तो देखा की नगर के अंदर लोग बड़े खुश हो रहे थे। एक दूसरे को मिठाईयां बांट रहे थे। और ढोल बज रहे थे तो माता पार्वती ने पूछा कि यह सब क्या हो रहा है ? 

      शिव जी ने कहा की नगर की महारानी के बेटा पैदा हुआ है ।इस खुशी में ढोल नगाड़े बजाए जा रहे और मिठाइयां बांटी जा रही हैं। माता पार्वती ने कहा कि आपको मेरी गांठ तो खोलनी पड़ेगी। तब शिव जी ने कहा की  मैंने कहा था ना एक बार गांठ लगने के बाद उन्हें नहीं खोली जाती है । लेकिन माता पार्वती ने उस खुशी को प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने कोख को खुलवाया।

 नाभि की रोचक जानकारी- नाभि से व्यक्तित्व की  पहचान

 
शास्त्र में नाभि के रूप

1.समुद्र शास्त्र में नाभि के प्रकार के अनुसार स्‍त्री और पुरुष के व्यक्तित्व के बारे में उल्लेख मिलता है। जिन महिलाओं की नाभि समतल होती है उन्हें जल्द गुस्सा आता है, लेकिन पुरुष की नाभि समतल है तो वह बुद्धिमान और स्पष्टवादी होगा। जिनकी नाभि गहरी होती है वे सौंदर्य प्रेमी, रोमांटिक और मिलनसार होते हैं। इन्हें जीवनसाथी सुंदर मिलता है। जिन महिलाओं की नाभि लंबी और वक्री होती है, वे आत्मविश्वास से भरी हुई और आत्मनिर्भर होती हैं। जिनकी नाभि गोल होती है, वे आशावादी, बुद्धिमान और दयालु होती हैं। ऐसी महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय गुजरता है। उथली नाभि वाले लोग कमजोर और नकारात्मक होते हैं। ऐसे लोग अक्सर काम को अधूरा छोड़ देते हैं और वे स्वभाव से चिढ़चिढ़े भी होते हैं।

2.ध्यान दीजियेगा की जिन लोगों की नाभि ऊपर की ओर बड़ी और गहरी होती हैं ,तो ऐसे लोग अमूमन हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के होते हैं। उभरी और बढ़ी हुई नाभि है तो ऐसे लोग जिद्दी प्रकार के होते हैं। अंडाकार नाभि वाले लोग सोचने में अपना समय गंवाकर हाथ आया मौका छोड़ देते हैं। चौड़ी नाभि वाले लोग शक करने वाले और अंतरमुखी होते हैं। जिन लोगों की नाभि ऊपर से नीचे आती हुई 2 भागों में बंटी हुई दिखाई दे तो ऐसे लोग आर्थिक, पारिवारिक और सेहत की दृष्टि से मजबूत होते हैं। 

3. नाभि पर सरसों का तेल लगाने से होंठ मुलायम होते हैं। नाभि पर घी लगाने से पेट की अग्नि शांत होती है और कई प्रकार के रोगों में यह लाभदायक होता है। इससे आंखों और बालों को लाभ मिलता है। शरीर में कंपन, घुटने और जोड़ों के दर्द में भी इससे लाभ मिलता है। इससे चेहरे पर कांति बढ़ती है।

 4.हिन्दू शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि भगवान ब्रह्मा का जन्म विष्णु की नाभि से हुआ था। दरअसल, इस संसार में प्रत्येक मनुष्य का जन्म नाभि से ही होता है। नाभि को पाताल लोक भी कहा गया है। विष्णु पाताल लोक में ही रहते हैं। इस धरती और संपूर्ण ब्रह्मांड का भी नाभि केंद्र है। नाभि केंद्र से ही संपूर्ण जीवन संचालित होता है।

5 हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नाभि हमारी जीवन ऊर्जा का केंद्र है। कहते हैं कि मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में 6 मिनट तक रहते हैं। शरीर में दिमाग से भी महत्वपूर्ण स्थान है नाभि का। नाभि शरीर का प्रथम दिमाग होता है, जो प्राणवायु से संचालित होता है।


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