सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

शिव पार्वती और एक किसान -कहानी

                                 

भगवान भी किसान के सामने बेबस होगये 

शिव पार्वती और एक किसान

यह कहानी हैं भगवान शिव जी और माता पार्वती की जो एकबार यमलोक से पृथ्वी लोग के सफर पे जा रहे थे। और शिव व पार्वती साधुओं के भेष में थे।रास्ते में जाते समय पार्वती ने देखा की एक किसान घनी धूप में अपने खेत में काम कर रहा था। और पसीने से लथपथ हो रखा था। उसका हाव भाव देख के पार्वती को लगा की ये बहुत दुखी हैं और उसे उस किसान पर दया आ गई। 

        पार्वती ने शिव जी को किसान की और साथ से इशारा करके देखने को कहा। तो शिव जी पार्वती को रास्ते में आगे बढ़ने को कहा लेकिन पार्वती जी तो ठहरी दया की देवी अपनी जिद्द पर अड़ गई। शिव जी को समझ आ गया की आज पार्वती फिर फंसा कर ही मानेगी।दोनो उस किसान के पास पहुंचे और किसान को अभिवादन किया। किसान भी अनमने मन से उनको अभिवादन किया। शिव ने कहा की भाई कुछ दुखी लग रहे हो बताओ हम आपकी कुछ मदद कर सकें। 

          किसान ने कहा में तो खेत में मेहनत करके अनाज उगाता हु और मेहनत की खाता हु। आप ठहरे साधु संत मांग के गुजारा चलाते हो आप मेरी क्या मदद करोगे। आप अपने रास्ते आगे बढ़िए। लेकिन शिव जी ने कहा भाई देखो हम भगवान हैं। आप अपनी मुसीबत हमे बताओगे तो हम आपकी जरूर सहायता करेंगे। हमे आगे पीछे का सब मालूम होता है। पार्वती ने भी हां में हां भरीऔर किसान को समझाने की कोशिश करने लगी की वो जरूर अपनी पीड़ा शिवजी को बताए ताकि भगवान उनकी सहायता कर सके। दुखी किसान कड़ी धूप और पसीने से परेशान था उसको और गुस्सा आ गया । 

         अब किसान बैलों को छोड़के शिव पार्वती के पास आ गया और बोला की आपने किसको आगे पीछे की पूरी जानकारी होती हैं। यह बोलते ही शिव जी समझ गए की आज पार्वती ने गलत जगह पंगा मंडवा दिया हैं। तुरंत पार्वती ने कहा की ये भगवान हैं इन्ही को सब पता होता हैं। शिव जी ने किसान से कहा हां हां बताइए । किसान के हाथ में बैलों को हेकने के लिए एक लकड़ी हाथ में थी। किसान ने कहा की साधु महाराज आपको तो आगे पीछे का पता ही हैं तो बताओ की ये लकड़ी अब आपके पैरो पे पड़ेगी या पीठ पे। यह सुनकर शिव जी सकपका गए। यदि पैर बोल दिया तो ये किसान उसकी पीठ पे लठ ठोकेगा और पीठ बोल दिया तो टांगे तोड़ देगा।

           ऐसी स्थिति में देख के पार्वती जी मन ही मन में बड़ी खुश हुई की आज आया है ऊंट पहाड़ के नीचे । अपने हाथ पैर जोड़ कर शिव जी ने किसान से माफी मांगी और बड़ी मुश्किल से गले आई मुसीबत से पीछा छूटवाया।।

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