एक व्यापारी की कहानी
एक व्यापारी था जिसका नाम राजीव था वो अपने राज्य में कारोबार करता था। लेकिन उस
की आमदनी बहुत कम थी इसलिए वो विदेश में जाकर कारोबार करने की इच्छा रखता था। एक दिन उसने अपने परिवार में इस बात को रखा की वो विदेश में जा कर व्यापार करना चाहता हैं लेकिन घर वालो ने उसकी शादी की उम्र का हवाला देकर पहले शादी करने को कहा। तब कुछ समय बाद उसकी शादी होगई। अब उसकी पत्नी भी उसके घर उसके साथ रहने लगी।
तब एक दिन उसने अपने मन की बात अपनी पत्नी से साझा किया। पत्नी ने कहा की वह उनके साथ हैं। इसलिए वो व्यापार के लिए खुशी खुशी जा सकता हैं। यह बात सुनकर राजीव बहुत खुश हो गया ।और शादी के कुछ वर्ष बाद वो विदेश में जाकर व्यापार करने लगा ।और कुछ ही समय में बहुत पैसा कमाया। इस बीच में वो घर पर चिट्ठी लिखा करता था और पैसे भिजवाता रहता था ।इस प्रकार से आने वाले कुछ वर्षो में उसने बहुत पैसा कमा लिया था।अब उसको लगा की उसे अब वापस अपने देश लौटना चाहिए। और उसने अपना कारोबार समेट कर वापस जहाज का टिकट खरीद लिया और अपने देश की और बढ़ चला।।
जिस जहाज में वो यात्रा कर रहा था । उसमे बहुत से लोग सफर कर रहे थे। तभी उसकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो जहाज के एक हिस्से में अकेला उदास बैठा हुआ था। राजीव से रूका नहीं गया और वो इस व्यक्ति के पास जाकर बैठ गया और बाते करना शुरू कर दिया । तभी राजीव ने इस व्यक्ति से उसकी उदासी का कारण पूछा तो पता चला की उसके पास बहुत अच्छे अच्छे विचारो के फॉर्मूला हैं लेकिन उन फॉर्मूला का उसे विदेश में कोई खरीददार नही मिला इसलिए वो उदास व निराश हैं। यह बात सुनकर राजीव ने कहा की वो अपना फॉर्मूला उसे बताए वो उसका मुंह मांगी अशर्फियां देगा।यह बात सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसने राजीव को एक बात बताई की वो कभी भी कोई कार्य करे तो 2 मिनट का धैर्य रखे और सोच कर फिर उस कार्य करे तो उसका बहुत बड़ा फायदा होगा।
राजीव ने उसे 500 अशर्फियां दे दी और दोनो बाते करते करते अगले कुछ दिनों मे अपने देश पहुंच गए।और अपने अपने घर पहुंच गए। राजीव सुबह सुबह अपने घर पहुंचा तो देखा की सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी पर थे वो राजीव को देख कर बहुत खुश हुए। राजीव हेलो हाय करके घर में दाखिल हुआ और सीधा अपने कमरे में गया ।तभी देखता है की उसकी पत्नी के बगल में एक हटा कटा जवान लड़का सोया हुआ था। अपनी पत्नी के बिस्तर पर किसी और को पाकर वह बहुत क्रोधित हो गया और तुरंत दीवार पर लगी तलवार उठा ली ।तभी उसने बिस्तर पर उसकी पत्नी को हिलता हुआ देख कर तलवार को पीछे छिपा लिया ।लेकिन तलवार पीछे रखे एक बर्तन से टकराने के कारण वो बर्तन नीचे गिर गया और उसकी पत्नी राजीव को देखकर बहुत खुश हों गई। और जल्दी से सोए हुए व्यक्ति को कहा की बेटा जल्दी खड़े हो और अपने पिता के पांव छुओ। यह सुनकर राजीव के पैरों से जमीन खिसक गई। और उसका जहाज में मिले व्यक्ति की कही बात याद आई। की धैर्य से 2 मिनट सोचकर कार्य करने से उसका फायदा होंगा और आज उसने अपने ही बेटे की गरदन काटने से अपने आपको रोक लिया।
शिक्षा.... जोश में हमेशा विवेक काम करना बंद कर देता हैं इसलिए कुछ भी करने से पहले 2 मिनट रुक जान चाहिए और पुन मनन करके कार्य करने से हमेशा फायदा ही होगा। और आप नुकसान से बच जाओगे।